यूनेप की 50वीं वर्षगाँठ: जलवायु क्षेत्र में योगदान पर शाबाशी
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि यूएन पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने पिछली आधी सदी के दौरान, दुनिया को अन्तरराष्ट्रीय सहयोग के स्तम्भों पर निर्मित, एक बेहतर व स्वस्थ पृथ्वी ग्रह के दृष्टिकोण पर आधारित रास्ता दिखाया है. यूएन महासचिव ने ये बात यूएन पर्यावरण एजेंसी - यूनेप की 50वीं वर्षगाँठ के अवसर पर गुरूवार को कही है.
यूएन प्रमुख ने केनया की राजधानी नैरोबी में, यूएन पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा इस अवसर पर आयोजित एक विशेष आयोजन को वीडियो सन्देश में बताया कि वर्ष 1972 में जब ये यूएन पर्यावरण एजेंसी गठित की गई थी तो “पृथ्वी पहले ही मानवता के बोझ तले दबने के संकेत दिखा रही थी”.
#UNEP50 is an opportunity to reinvigorate international cooperation and spur collective action to address the triple planetary crisis.Dive into UNEP’s history and explore how it has helped shape five decades of environmental milestones: https://t.co/ZdmnYCnAJh pic.twitter.com/JmL2W0ipSd
UNEP
उन्होंने कहा, “उसके बाद के दशकों में यूनेप और उसके साझीदार संगठनों ने, वायु प्रदूषण का मुक़ाबला करने के लिये, सदस्य देशों के साथ मिलकर काम किया, ओज़ोन परत बहाल की, दुनिया के समुद्रों की संरक्षा की, हरित व समावेशी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया और जैव-विविधता की हानि व जलवायु परिवर्तन के बारे में अलार्म बजाया.”
सबका भला
एंतोनियो गुटेरेश ने ये सामने लाने के लिये यूनेप की सराहना की कि बहुपक्षवाद के साथ काम करने के नतीजे मिलते हैं और लोगों व पृथ्वी, सभी के लिये समाधान प्रस्तुत किये जा सकते हैं.
यूनेप के विज्ञान, नीतिगत कामकाज, समन्वय और पैरोकारी की बदौलत, दुनिया भर में, पर्यावरण के क्षेत्र की ग़लतियों को सुधारने और टिकाऊ विकास में पर्यावरण की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद मिली है.
यूएन प्रमुख ने कहा, “ये कामकाज बहुत ही महत्वपूर्ण रहा है.”
‘प्रकृति के विरुद्ध आत्मघाती लड़ाई रोकनी होगी’
यूएन महाचिव एंतोनियो गुटेरेश ने जलवायु व्यवधान, जैव-विविधता और पर्यावास के नुक़सान व समाजों, और पृथ्वी पर जीवन को ख़तरा उत्पन्न करने वाले प्रदूषण व अपशिष्ठ की तरफ़ ध्यान दिलाते हुए कहा कि “मानवता ने प्रकृति के विरुद्ध आत्मघाती लड़ाई जारी रखी हुई है.”
शीर्षतम यूएन अधिकारी ने इन चुनौतियों से निपटने के लिये चार मुख्य लक्ष्य गिनाए जिनमें शुरुआत, बेहद कमज़ोर हालात में रहने वाले लोगों को संरक्षा मुहैया कराने के साथ की जाए, जिनकी संख्या अब अरबों में पहुँच चुकी है.
उन्होंने कहा, “कमज़ोर परिस्थितियों वाले देशों व समुदायों में ज़्यादा सहनक्षमता की ज़रूरत पूरी करने की ख़ातिर, वित्तीय और तकनीकी सहायता मुहैया कराने के लिये, हमें अन्तरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना होगा.”
उन्होंने दानदाताओं बहुपक्षीय विकास बैंकों से, जलवायु अनुकूलन के लिये अपना हिस्सा दोगुने से भी ज़्यादा करने का आग्रह किया, जिसका आकार वर्ष 2024 तक जलवायु वित्त का कम से कम 50 प्रतिशत हो.
कोयले से मुक्ति
यूएन प्रमुख ने ये भी रेखांकित किया कि दुनिया को वर्ष 2050 तक, नैट शून्य का लक्ष्य हासिल करने के लिये, इस दशक में, वैश्विक उत्सर्जनों में 45 प्रतिशत की कटौती करनी होगी.
“इसका मतलब है, कोई नया कोयला नहीं. और कोई नया कोयला वित्त नहीं.”
उन्होंने तर्क देते हुए कहा, “आर्थिक सहयोग और विकास संगठन – OECD के देशों में, कोयला ज़रूरतें, वर्ष 2030 तक, और अन्य देशों में 2040 तक समाप्त करनी होंगी.”
“हर देश में, हर एक सैक्टर को, इस दशक में ही कार्बन उत्सर्जन से मुक्त बनना पड़ेगा, विशेष रूप में, ऊर्जा व परिवहन क्षेत्रों को.”
विज्ञान को अपनाएँ
यूएन प्रमुख ने कहा कि हम जो कुछ भी करते हैं, उसमें हमें विज्ञान का अनुपालन करना होगा और प्रकृति के साथ सुलह क़ायम करने के लिये, बहुपक्षीय कार्रवाई करनी होगी.
उन्होने विज्ञान का समर्थन करने और बहुपक्षीय कार्रवाई व साझेदारी का रास्ता आसान बनाने के लिये, यूनेप की सराहना भी की.
यूएन प्रमुख ने पिछले 50 वर्षो से, यूनेप के मुख्यालय की मेज़बानी करने और नैरोबी को एक वैश्विक पर्यावरण हब बनाने के लिये, केनया को धन्यवाद भी दिया.