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नई महामारियों से बचाव के लिए मानव, पशु और पर्यावरण स्वास्थ्य की रक्षा की पुकार

इण्डोनेशिया में बर्ड फ्लू को नियन्त्रित करने के लिए अन्तरराष्ट्रीय पशुधन शोध संस्थान (आईएलआरआई) में काम करते हुए शोधकर्तागण.
ILRI/Barbara Wieland
इण्डोनेशिया में बर्ड फ्लू को नियन्त्रित करने के लिए अन्तरराष्ट्रीय पशुधन शोध संस्थान (आईएलआरआई) में काम करते हुए शोधकर्तागण.

नई महामारियों से बचाव के लिए मानव, पशु और पर्यावरण स्वास्थ्य की रक्षा की पुकार

स्वास्थ्य

विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 से इन्सानों की ज़िन्दगियों और अर्थव्यवस्थाओं पर गहराते संकट के बीच एक नई रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगर पशुजनित बीमारियों की रोकथाम के प्रयास नहीं किये गए तो कोविड-19 जैसी अन्य महामारियों का आगे भी सामना करना पड़ेगा. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और ‘International Livestock Research Institute’ की साझा रिपोर्ट में  बढ़ती महामारियों के लिए पशुओं से मिलने वाले प्रोटीन की माँग में इज़ाफ़ा होने, सघन व ग़ैर-टिकाऊ खेती के बढ़ने, वन्यजीवों के दोहन और इस्तेमाल में वृद्धि और जलवायु संकट जैसे कारकों को ज़िम्मेदार बताया गया है. 

पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाली संक्रामक बीमारियों को ज़ूनॉटिक बीमारियाँ ((Zoonotic diseases) कहा जाता है जो बैक्टीरिया, परजीवियों और वायरसों के कारण होती हैं. 

ऐसे रोग पहले जानवरों को संक्रमित करते हैं और फिर उनसे होते हुए ये बीमारियाँ इन्सानों को अपना निशाना बनाती हैं.

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सोमवार को जारी 'Preventing the Next Pandemic: Zoonotic diseases and how to break the chain of transmission' नामक इस रिपोर्ट में पशुजनित बीमारियों के बढ़ते उभारों के लिए ज़िम्मेदार सात रुझानों की शिनाख़्त की गई है और वैश्विक महामारियों की रोकथाम के लिए दस सिफ़ारिशें भी पेश की गई हैं. 

यूएन पर्यावरण एजेंसी की कार्यकारी निदेशक इन्गेर एन्डरसन ने कहा, “विज्ञान स्पष्ट है कि अगर हमने वन्यजीवों का दोहन और पारिस्थितिकी तन्त्रों को बर्बाद करना जारी रखा तो आने वाले वर्षों में पशुओं से मनुष्यों को होने वाली बीमारियाँ लगातार सामने आती रहेंगी.”

“वैश्विक महामारियाँ हमारी ज़िन्दगियों और अर्थव्यवस्थाओं को तबाह कर रही हैं और जैसाकि हमने पिछले कुछ महीनों में देखा है, सबसे ज़्यादा असर निर्धनतम व निर्बल समुदायों पर होता है. भविष्य में महामारियों को रोकने के लिए हमें अपने प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा के लिए और ज़्यादा सोचना-समझना होगा.”

समस्या का बढ़ता दायरा

विश्व भर में पाँच लाख से ज़्यादा मौतों के लिए ज़िम्मेदार महामारी कोविड-19 के स्रोत का सन्देह चमगादड़ों में होने पर जताया गया है.

लेकिन कोविड-19 से पहले भी इबोला, MERS, West Nile बुख़ार सहित अन्य बीमारियाँ पशुओं से मनुष्यों में फैली और उनकी वजह भी मानव गतिविधियों से पर्यावरण पर बढ़ता दबाव माना गया था. 

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हर साल लगभग 20 लाख लोगों की मौत ऐसी पशुजनित बीमारियों से हो जाती है जिन पर ध्यान नहीं दिया जाता. अधिकाँश मौतें निम्न और मध्य आय वाले देशों में होती हैं. 

इन्हीं रोगों के कारण पशुओं-मवेशियों को भी गम्भीर बीमारियाँ होती हैं और उनकी मौत हो जाती है जिसका ख़ामियाज़ा किसानों को उठाना पड़ता है.

कोविड-19 की आर्थिक क़ीमत अगले कुछ वर्षों में बढ़कर 9 ट्रिलियन डॉलर होने की आशंका है लेकिन इससे पहले भी पिछले दो दशकों में अन्य पशुजनित बीमारियों के कारण 100 अरब डॉलर से ज़्यादा का आर्थिक नुक़सान हुआ है.

अफ़्रीकी देशों की अहम भूमिका

रिपोर्ट के मुताबिक अफ़्रीकी देशों को हाल के समय में इबोला और अन्य पशु-जनित महामारियों से जूझना पड़ा है और ये क्षेत्र ऐसे भावी समाधानों का स्रोत बन सकता है जिनमें पशुओं, मनुष्यों और पर्यावरणीय स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाए. 

अफ़्रीकी महाद्वीप में बड़े पैमाने पर दुनिया के वर्षावन और वन्य भूमि होने के साथ-साथ दुनिया में सबसे तेज़ गति से बढ़ रही जनसंख्या भी है. इससे पशुओं, वन्यजीवन और मनुष्यों में सम्पर्क की रफ़्तार और मामले बढ़े हैं और उसी वजह से पशुजनित बीमारियों का जोखिम भी. 

International Livestock Research Institute के महानिदेशक जिमी स्मिथ ने बताया कि महाद्वीप पर मौजूदा हालात से आने वाले समय में पशुजनित बीमारियाँ और ज़्यादा तेज़ी से फैल सकती हैं लेकिन अफ़्रीकी देश इबोला और अन्य उभरती बीमारियों से निपटने के रास्ते भी सुझा रहे हैं. 

International Livestock Research Institute के रीसर्चर इथियोपिया में एक भेड़ के रक्त के नमूने एकत्र कर रहे हैं.
ILRI/Barbara Wieland
International Livestock Research Institute के रीसर्चर इथियोपिया में एक भेड़ के रक्त के नमूने एकत्र कर रहे हैं.

उनके मुताबिक बीमारियों पर नियन्त्रण के लिए अफ़्रीकी देश नियम आधारित तरीक़ों के बजाय जोखिम आधारित तरीक़े अपना रहे हैं जो संसाधनों की कमी से जूझ रहे इलाक़ों में ज़्यादा कारगर हैं. 

इसी सिलसिले में वे आगे बढ़कर ‘एक स्वास्थ्य पहल’ (One Health Initiative) का हिस्सा बन रहे हैं और मानव, पशु व पर्यावरण स्वास्थ्य पर ध्यान दे रहे हैं ताकि महामारियों से निपटा जा सके. 

भविष्य में महामारियों की रोकथाम के लिए रिपोर्ट की दस अनुशंसाएँ:

- One Health सहित बहुविषयक (Interdisciplinary) तरीक़ों में निवेश पर ज़ोर 
- पशुजनित बीमारियों पर वैज्ञानिक खोज को बढावा देना
- पशुजनित बीमारियों के प्रति जागरूकता के प्रसार पर बल
- जवाबी कार्रवाई के लागत-मुनाफ़ा विश्लेषण को बेहतर बनाना और बीमारियों के समाज पर असर को आँकना
- पशुजनित बीमारियों की निगरानी और नियामक तरीक़ों को मज़बूत बनाना 
- भूमि प्रबन्धन की टिकाऊशीलता को प्रोत्साहन देना और खाद्य सुरक्षा बढ़ाने के वैकल्पिक रास्तों को विकसित करना ताकि पर्यावासों और जैवविविधिता संरक्षण सम्भव हो
- जैवसुरक्षा और नियन्त्रण को बेहतर बनाना, पशुपालन में बीमारियों के उभार के कारकों को पहचानना और कारगर नियन्त्रण उपायों को बढ़ावा देना
- कृषि और वन्यजीव के सहअस्तित्व को बढ़ावा देने के लिए भूदृश्य (Landscape) की टिकाऊशीलता को सहारा देना
- सभी देशों में स्वास्थ्य क्षेत्र में हिस्सेदारों की क्षमताओं को मज़बूत बनाना
- One Health पहल को भूमि के इस्तेमाल और टिकाऊ विकास की योजना को संचालित करना