यूक्रेन: अनेक शहर पूर्ण तबाही के निकट, जैविक हथियार कार्यक्रम विवाद पर चर्चा
संयुक्त राष्ट्र में शान्तिनिर्माण व राजनैतिक मामलों की प्रमुख रोज़मैरी डीकार्लो ने सुरक्षा परिषद को आगाह किया है कि आमजन व नागरिक प्रतिष्ठानों पर सीधे तौर पर हमले किये जाने पर, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून में पाबन्दी है और कि ऐसी घटनाओं को युद्ध अपराध की श्रेणी में रखा जा सकता है. निरस्त्रीकरण मामलों पर उच्च प्रतिनिधि ने कहा है कि यूक्रेन में जैविक हथियार कार्यक्रम के सम्बन्ध में कोई जानकारी नहीं है.
यूक्रेन में युद्ध अपनी तीसरे सप्ताह में प्रवेश कर गया है. रूस ने अमेरिका द्वारा यूक्रेन में कथित रूप से सैन्य जैविक रीसर्च के लिये समर्थन के मुद्दे पर शुक्रवार को सुरक्षा परिषद की एक बैठक बुलाई.
यूएन की अवर महासचिव रोज़मैरी डीकार्लो ने इस बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि रूसी सैन्य बलों ने, यूक्रेन के दक्षिण, पूर्व और उत्तर में स्थित अनेक शहरों की घेराबन्दी कर दी है.
#Ukraine's cities are being devastated. Civilians are dying. Indiscriminate attacks, including those using cluster munitions, of a nature to strike military objectives and civilians or civilian objects without discrimination are prohibited by international law. Stop the war now. https://t.co/LiTXXsnPrQ
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बताय गया है कि राजधानी कीयेफ़ की ओर जाने वाले रास्तों पर बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात हैं.
उन्होंने कहा कि मारियुपोल, ख़ारकीफ़, सूमी और चेरनीहिफ़ शहरों में हालात विशेष रूप से चिन्ताजनक हैं, जहाँ रिहायशी इलाक़ों और नागरिक प्रतिष्ठानों पर बमबारी के कारण बड़ी संख्या में आम लोग हताहत हुए हैं.
“इन शहरों में जो तबाही ढहाई गई है वो भयावह है.”
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने बताया कि 11 मार्च तक, एक हज़ार 546 लोगों के हताहत होने की पुष्टि हुई है.
रूसी हमले की शुरुआत से अब तक 546 लोगों की मौत हुई है जबकि 982 घायल हुए हैं, हालांकि हताहतों का वास्तविक आँकड़ा इससे कहीं अधिक होने की आशंक है.
अधिकाँश मामलों में भारी तोपख़ानों, मल्टीलॉन्च रॉकेट प्रणालियों और हवाई कार्रवाई के कारण आम लोग हताहत हुए हैं.
यूएन अवर महासचिव ने बताया कि मानवाधिकार कार्यालय को विश्वसनीय ख़बरें प्राप्त हुई हैं कि रूसी सेना, आबादी वाले इलाक़ों में क्लस्टर आयुध का इस्तेमाल कर रही है, और अंधाधुंध हमले किये जा रहे हैं, जिन पर अन्तरराष्ट्रीय क़ानून में पाबन्दी है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़, स्वास्थ्य केंद्रों, स्वास्थ्यकर्मियों और ऐम्बुलेंस पर 26 हमलों की पुष्टि हुई है, जिनमें 12 लोगों की मौत हुई है और 34 घायल हुए हैं. इनमें मारियुपोल के जच्चा-बच्चा अस्पताल पर 9 मार्च को हुआ हमला भी है, जिसकी उन्होंने निन्दा की है.
लाखों ज़रूरतमन्द
अवर महासचिव ने कहा कि सुरक्षा हालात को ध्यान में रखते हुए, अनेक इलाकों में मानवीय सहायता पहुँचाई गई है, और अब तक पाँच लाख लोगों की मदद करना सम्भव हुआ है.
संयुक्त राष्ट्र और साझीदार संगठनों ने मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये योजनाएँ तैयार की हैं, और विशेष रूप से उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जहाँ ज़रूरतों का स्तर सबसे अधिक है.
इस क्रम में, उन्होंने दानदाताओं से, पिछले सप्ताह डेढ़ अरब डॉलर की अपील के लिये जल्द से जल्द इन्तज़ाम किये जाने का आग्रह किया है.
रोज़मैरी डीकार्लो ने कहा कि घेराबन्दी वाले इलाक़ों से आम नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाले जाने के लिये, युद्धविराम लागू किया जाना बेहद अहम है.
9 मार्च को 51 हज़ार से अधिक लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने में सफलता मिली थी, और इन प्रयासों को जारी रखने पर बल दिया गया है.
बताया गाय है कि हिंसा से जान बचाकर अन्य देशों में पहुँचने वाले शरणार्थियों की संख्या 25 लाख पहुँच गई है, जिनमें अन्य देशों के नागरिक भी हैं.
अवर महासचिव ने ध्यान दिलाया कि सभी शरणार्थियों को, बिना किसी भेदभाव के, सुरक्षा प्रदान किये जाने की आवश्यकता है.
रूसी दावा ख़ारिज
शुक्रवार को सुरक्षा परिषद की बैठक से पहले, रूसी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता मेजर जनरल इगोर कोनाशेन्कोफ़ ने दावा किया था कि यूक्रेन में अमेरिकी मदद से कथित सैन्य जैविक कार्यक्रम के सबूत मिले हैं.
रूसी प्रवक्ता के मुताबिक़, उनके सुरक्षा बलों को मिले दस्तावेज़, जैविक हथियार विकसित किये जाने की बात की भी पुष्टि करते हैं.
निरस्त्रीकरण मामलों की उच्च प्रतिनिधि इज़ुमी नाकामित्सु ने इन चिन्ताओं पर कहा कि संयुक्त राष्ट्र को ऐसे किसी जैविक हथियार कार्यक्रम के सम्बन्ध में जानकारी नहीं है.
उन्होंने बताया कि रूसी महासंघ और यूक्रेन, दोनों ही1972 की जैविक हथियार सन्धि के सदस्य देश हैं, जिसमें ऐसे हथियारों के विकास, उत्पादन, ख़रीद, हस्तान्तरण, भण्डारण और इस्तेमाल पर पाबन्दी लगाई गई है.
इज़ुमी नाकामित्सु के अनुसार 183 सदस्य देशों वाली यह सन्धि 1975 में लागू हुई, जिसके बाद से ही, जैविक हथियारों को सार्वभौमिक रूप से अवैध और घृणित माना जाता रहा है.
मगर, इस सन्धि में एक स्वतंत्र संगठन के तहत बहुपक्षीय सत्यापन तंत्र की व्यवस्था नहीं की गई है, जैसी व्यवस्था रासायनिक हथियार निषिद्ध संगठन (OPCW) में है.

अनुपालन का दायित्व
इस वजह से सन्धि की शर्तों के अनुपालन व समीक्षा का दायित्व सदस्य देशों पर होता है. उच्च प्रतिनिधि ने बताया कि इस सन्धि में ऐसे उपाय ज़रूर हैं जिनके ज़रिये किसी देश द्वारा व्यक्त की गई चिन्ताओं या अन्य देशों की संदिग्ध गतिविधियों से निपटा जा सकता है.
उन्होंने बताया कि रूसी महासंघ और यूक्रेन, भरोसा बढ़ाने के क़दमों में हिस्सा लेते हैं, जिसकी वार्षिक रिपोर्ट पारदर्शिता उद्देश्यों से हर सदस्य देश को उपलब्ध कराई जाती है.
उन्होंने इन मुद्दों को निपटाने के लिये, सदस्य देशों से उपलब्ध प्रक्रियाओं, परामर्श व सहयोग का उपयोग करने का आग्रह किया है.
उच्च प्रतिनिधि ने कहा कि ऐसी परिस्थितियाँ, जैविक हथियार सन्धि को मज़बूत बनाये व संस्थागत रूप दिये जाने की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं.
उन्होंने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि यूक्रेन में परमाणु केंद्रों पर किसी भी दुर्घटना के, सार्वजनिक स्वास्थ्य व पर्यावरण के लिये गम्भीर दुष्परिणाम हो सकते हैं, और ऐसा ना होने देने के लिये हर उपाय किये जाने होंगे