यमन: जनवरी में, रिकॉर्ड संख्या में आम नागरिकों के हताहत होने की आशंका

यमन में गहन होती हिंसा की आँच, देश के सीमाओं तक पहुँच रही है और हताहतों का आँकड़ा लगातार बढ़ रहा है. इसके मद्देनज़र, यमन के लिये विशेष दूत और मानवीय राहत समन्वयक ने एक साझा बयान कर जारी करते हुए मौजूदा घटनाक्रम पर चिन्ता व्यक्त की है.
विशेष दूत हैन्स ग्रुण्डबर्ग और मानवीय राहत समन्वयक डेविड ग्रेस्ली ने क्षोभ ज़ाहिर करते हुए कहा कि यमन के लिये इस वर्ष के पहले महीने के दौरान, रिकॉर्ड संख्या में आम नागरिकों के हताहत होने की आशंका प्रबल है.
#Yemen: Escalation exacerbates the humanitarian crisis, complicates relief efforts, threatens regional security & undermines peace efforts.Being at war doesn't absolve the parties of intl law obligations.Statement by Hans Grundberg & @DavidGressly https://t.co/qP1fkEU5J0 pic.twitter.com/FfFHUpLRso
OCHAYemen
यूएन के वरिष्ठ अधिकारियों ने 21 जनवरी को सऊदी अरब के नेतृत्व वाली गठबंधन सेना द्वारा सादाह में स्थित एक हिरासत केंद्र पर हवाई कार्रवाई की निन्दा की.
इस केंद्र पर प्रवासियों को भी रखा गया है.
हवाई कार्रवाई में 91 बन्दियों के मारे जाने और 226 के घायल होने का समाचार है, और यमन में पिछले तीन वर्षों में, आम नागरिकों के लिये इसे सबसे ख़राब घटना बताया गया है.
सऊदी अरब के नेतृत्व में गठबंधन, अन्तरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार के समर्थन में है, जोकि हूथी लड़ाकों से लड़ रही है.
वर्ष 2015 से, हूथी लड़ाकों का देश की राजधानी समेत अधिकाँश इलाक़ों पर नियंत्रण है.
पिछले कुछ सप्ताह में, हवाई कार्रवाई और मिसाइल हमलों की जद में अस्पताल, दूरसंचार प्रतिष्ठान, हवाई अड्डा, जल केंद्र और स्कूल आए हैं.
साथ ही, हूथी लड़ाकों द्वारा संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब पर किये जाने वाले हमलों में भी तेज़ी आई है, जिनमें नागरिक हताहत हुए हैं और नागरिक प्रतिष्ठानों को क्षति पहुँची है.
विशेष दूत और समन्वयक ने बताया कि यमन पहले से ही दुनिया के भयावह मानवीय संकटों में है, और अब हिंसा में आई तेज़ी हालात को बद से बदतर बना रही है.
मौजूदा परिस्थितियों में ज़रूरतमन्दों तक मानवीय सहायता पहुँचाने के काम में मुश्किलें पेश आ रही हैं, क्षेत्रीय सुरक्षा के लिये ख़तरा पैदा हो गया है और हिंसक संघर्ष का अन्त करने के लिये हो रहे प्रयासों को धक्का पहुँचा है.
दिसम्बर 2021 में, विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने चेतावनी जारी की थी कि देश में एक करोड़ 30 लाख ज़रूरतमन्दों तक खाद्य सहायता पहुँचाना जारी रखने के लिये, सहायता धनराशि ख़त्म हो रही है.
इस वर्ष जनवरी महीने की शुरूआत से ही, 80 लाख यमनवासियों को कम मात्रा में ही खाद्य सहायता दी जा रही है.
यूएन अधिकारियों ने कहा, “हम पक्षों को ध्यान दिलाते हैं कि युद्धरत होने से वे अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के तहत, अपने दायित्वों से मुक्त नहीं हो जाते है.”
इन क़ानूनों के तहत, ग़ैर-आनुपातिक ढँग से हमले किये जाने पर सख़्त पाबन्दी है और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये हरसम्भव उपाय किये जाने पर बल दिया गया है.
हैन्स ग्रुण्डबर्ग और डेविड ग्रेस्ली ने अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के उल्लंघन के मामलों में जवाबदेही सुनिश्चित किये जाने की अहमियत को रेखांकित किया है.
यूएन के दोनों शीर्ष अधिकारियों ने बताया कि सभी पक्षों के साथ सम्पर्क में है, ताकि हिंसा में कमी लाने के विकल्प को आज़माया जा सके.
इस क्रम में, एक समावेशी सम्वाद की भी शुरूआत की गई है, ताकि हिंसक संघर्ष का अन्त करने के लिये एक राजनैतिक समाधान ढूँढा जा सके.
उन्होंने सभी पक्षों से इन प्रयासों में तत्काल और बिना किसी शर्त के शामिल होने का आग्रह किया है, और यमन में आमजन के हितों व आवश्यकताओं को प्राथमिकता दिये जाने की बात कही है.