बेरूत बन्दरगाह विस्फोट: 'लेबनान की जनता को सच जानने का अधिकार'
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अपनी लेबनान यात्रा के दूसरे दिन, सोमवार को बेरूत बन्दरगाह का दौरा किया जहाँ पिछले वर्ष एक भीषण विस्फोट से बड़े पैमाने पर तबाही हुई थी. यूएन प्रमुख ने स्मारक स्थल जाकर, इस हादसे के पीड़ितों को अपने श्रृद्धासुमन अर्पित किये, और ध्यान दिलाया कि लेबनान की जनता को इस हादसे की सच्चाई जानने का अधिकार है.
लेबनान की राजधानी बेरूत में 4 अगस्त 2020 को बन्दरगाह पर हुए धमाके में शहर का एक बड़ा हिस्सा प्रभावित हुआ, 200 से अधिक लोगों की मौत हुई, हज़ारों लोग घायल हुए, बड़ी संख्या में घर व इमारत क्षतिग्रस्त हुए. बेरूत को अरबों डॉलर का नुक़सान पहुँचा था.
उन्होंने बन्दरगाह का दौरा करने के बाद, इसे एक बेहद भावुक लम्हा बताते हुए कहा कि इतनी बड़ी संख्या में पीड़ितों, उनके परिजनों और लोगों की ज़िन्दगी में आये नाटकीय परिवर्तन से, एक गहरी एकजुटता पनपी है.
महासचिव गुटेरेश ने ध्यान दिलाया कि लेबनान की जनता को सच जानने का अधिकार है.
उन्होंने बताया कि हादसे के पीड़ित, उन्हें लगातार सन्देश भेज रहे हैं, जिनमें इस घटना की एक स्वतंत्र जाँच कराये जाने और सच्चाई सामने लाने की माँग की गई है.
यूएन प्रमुख ने भरोसा दिलाया कि वे लोगों की चिन्ताओं को समझते हैं, और कि उन्हें उम्मीद है कि लेबनान में संस्थाएँ, यह सुनिश्चित करेंगी.
फ़लस्तीनी शरणार्थियों से मुलाक़ात
भारी बारिश के बावजूद, यूएन प्रमुख ने उत्तरी लेबनान के त्रिपोली शहर में फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिये यूएन की राहत एवं कार्य एजेंसी द्वारा संचालित एक स्कूल का दौरा किया.
महासचिव ने बच्चों और उनके अभिभावकों के साथ बातचीत में, उनकी रोज़मर्रा की चिन्ताओं और लेबनान में फ़लस्तीनी शरणार्थियों की समस्या के बारे में जानकारी ली.
एक युवा छात्र विसाम ने बताया कि कुछ अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल से बाहर निकालने के लिये मजबूर हुए हैं, चूँकि मौजूदा संकट के कारण, बच्चों को कक्षाओं में भेजने के लिये वे बस किराये का वहन नहीं कर सकते हैं.
वहीं, सीरिया से विस्थापित हुए, जमाल नामक युवा फ़लस्तीनी शऱणार्थी ने बताया कि अक्सर उन्हें भूखे पेट सोना पड़ता है, चूँकि उनके अभिभावकों के लिये परिवार का गुज़ारा चलाना मुश्किल है.
ज़ेना नामक एक युवा छात्रा ने बताया कि फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिये शिक्षा का अधिकार बेहद अहम है, और उनके लिये, यही अपनी ज़िन्दगियों को बदल देने की एकमात्र आशा है.
‘उम्मीद मत खोना’
यूएन प्रमुख ने कठिन हालात में जीवन गुज़ार रहे फ़लस्तीनी बच्चों और उनके अभिभावकों के साथ बातचीत में खेद प्रकट किया.
उन्होंने भोजन व शिक्षा की अहमियत को रेखांकित करते हुए भरोसा दिलाया कि यूएन एजेंसी के लिये ज़्यादा समर्थन सुनिश्चित किये जाने के प्रयास हो रहे हैं.
इसके समानान्तर, यूएन शान्ति प्रक्रिया की पुनर्बहाली के लिये भी प्रयासरत है और दो राष्ट्र समाधान के हित में है, जिसके तहत इसराइल व फ़लस्तीन, एक दूसरे के साथ शान्तिपूर्ण ढँग से रहेंगे.
इस समाधान को मूर्त रूप दिये जाने के बाद, लेबनान व अन्य स्थानों पर फ़लस्तीनी शरणार्थियों की मुश्किलों का अन्त होने की उम्मीद ज़ाहिर की गई है.
उन्होंने माना कि यह आसान कार्य नहीं है, मगर एक बेहतर भविष्य के लिये उम्मीद का दामन नहीं छोड़ना भी अहम है.
विश्वसनीय चुनाव ज़रूरी
यूएन महासचिव ने लेबनान के प्रधानमंत्री नजीब मिकाती, संसद के सभापति नबीह बेरी सहित अन्य राजनैतिक नेताओं व अधिकारियों के साथ मुलाक़ात की.
एंतोनियो गुटेरेश ने इन बैठकों के बाद एक प्रैस वार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह स्पष्ट जान पड़ता है कि अगले वर्ष मई में चुनाव आयोजित कराये जाएंगे.

इनके ज़रिये, लेबनान की जनता के पास अपनी संसद को नए सिरे से सृजित करने और भविष्य के लिये नई राजनैतिक स्थिरता को स्थापित कर पाना आसान होगा.
यूएन महासचिव ने लेबनान की सरकार के कामकाज की सराहना करते हुए कहा कि अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ वार्ता से पहले काफ़ी तकनीकी कार्य को पूरा किया गया है.
उन्होंने बेरूत बन्दरगाह के पीड़ितों के लिये अपनी गहरी एकजुटता दर्शाते हुए भरोसा जताया कि, बन्दरगाह के पुनर्निर्माण के साथ-साथ, अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करना, और समृद्धि व विकास के लिये परिस्थितियों का निर्माण कर पाना सम्भव होगा.
उन्होंने कहा कि लेबनान की जनता इसकी हक़दार है.
महिलाओं, युवजन की भागीदारी
यूएन महासचिव ने धार्मिक नेताओं के साथ अपनी मुलाक़ात मे लेबनान की पहचान व स्थिरता से जुड़े मूल्यों को पुष्ट किया: खुलापन, सहिष्णुता, सहअस्तित्व.
महासचिव गुटेरेश लेबनान के विभिन्न वर्गों व क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर रही महिलाओं के समूह से भी मिले, और उन्होंने राष्ट्रीय राजनैतिक प्रक्रिया में उनकी भागीदारी, समावेशन और प्रतिनिधित्व पर बल दिया.
महासचिव ने कहा कि राजनैतिक नेताओं के साथ मुलाक़ात के दौरान, उन्होंने युवजन व महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित किये जाने पर बल दिया है.
उन्होंने कहा कि व्यापक स्तर पर, सामयिक, निष्पक्ष, स्वतंत्र व पारदर्शी चुनाव कराये जाने बेहद अहम हैं.
इससे लेबनान में लोकतांत्रिक परिपाटियों को बरक़रार रखा जा सकेगा और यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि लेबनान की युवा पीढ़ी व महिलाओं की आवाज़ को सुना जाये.