कोविड-19: ओमिक्रॉन वैरीएण्ट से बड़े असर की आशंका, स्पष्ट जानकारी की प्रतीक्षा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने बुधवार को कहा है कि कोरोनावायरस के ओमिक्रॉन वैरीएण्ट के मामलों की अब तक 57 देशों में पुष्टि हो चुकी है और यह आँकड़ा बढ़ने की सम्भावना है. उन्होंने सचेत किया कि वायरस के इस रूप व प्रकार का फैलाव और उसमें होने वाले बदलाव, वैश्विक महामारी की दिशा को व्यापक रूप से प्रभावित कर सकते हैं.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी प्रमुख ने बुधवार को जिनीवा में पत्रकारों को जानकारी देते बताया कि वायरस के तेज़ी से फैलने की एक स्पष्ट तस्वीर उभर रही है. मगर, अन्य वैरीएण्ट्स के फैलाव की दर की तुलना में इसे निर्धारित कर पाना कठिन है.
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WHO
दक्षिण अफ़्रीका से प्राप्त आँकड़ों के अनुसार ओमिक्रॉन से फिर संक्रमित हो जाने का जोखिम अधिक है, इसके बावजूद, अभी और ज़्यादा आँकड़े जुटाने की आवश्यकता पर बल दिया गया है.
डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन से हल्के लक्षणों की भी बात कही गई है, मगर इस विषय में भी अभी स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है.
महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा, “हर दिन नई जानकारी सामने आ रही है, मगर वैज्ञानिकों को अध्ययन पूरा करने और नतीजों की व्याख्या करने के लिये समय की आवश्यकता है.”
“जब तक हमारे सामने एक ज़्यादा स्पष्ट तस्वीर नहीं आ जाती, हमें ठोस निष्कर्षों पर पहुँचने के प्रति सावधानी बरतनी होगी.”
इस सन्दर्भ में, यूएन एजेंसी प्रमुख ने सभी देशों से निगरानी, परीक्षण व सीक्वेंसिंग बढ़ाए जाने का आग्रह किया है.
उन्होंने आगाह किया कि इस समय इत्मीमान से बैठने की क़ीमत, ज़िन्दगियों से चुकानी पड़ सकती है.
‘कार्रवाई अभी’
महानिदेशक घेबरेयेसस के मुताबिक़, कुछ अहम सवालों का जवाब ढूंढने की आवश्यकता है, लेकिन हर जगह पर लोग ओमिक्रॉन या डेल्टा से रक्षा विहीन नहीं हैं.
“देश जो क़दम आज और आने वाले दिनों व हफ़्तों में उठाते हैं, वह ओमिक्रॉन की दिशा को निर्धारित करेगा. अगर देश अपने अस्पतालों के भरने की प्रतीक्षा करते हैं, तो इसमें देरी हो जाएगी.”
“इन्तज़ार मत कीजिये. अभी कार्रवाई कीजिये.”
उन्होंने देशों से बेअसर और भेदभावपूर्ण साबित होने वाले यात्रा प्रतिबन्धों से भी परहेज़ करने का आग्रह किया है.
फ़्रांस और स्विट्ज़रलैण्ड ने दक्षिणी अफ़्रीकी देशों पर लागू की गई अपनी यात्रा पाबन्दियाँ, इस सप्ताह वापिस ले ली हैं. यूएन एजेंसी महानिदेशक ने अन्य देशों से भी इसका अनुसरण करने का आग्रह किया है.
शोध व विश्लेषण
हर दिन, यूएन एजेंसी दुनिया भर में हज़ारों विशेषज्ञों की मदद से आँकड़ों के विश्लेषण व शोध कार्य में जुटी है.
उदाहरणस्वरूप, वायरस में होने वाले बदलावों की पड़ताल पर तकनीकी सलाहकार समूह, ओमिक्रॉन के फैलाव, बीमारी की गम्भीरता, वैक्सीन, उपचार व निदान पर ध्यान केन्द्रित कर रहा है.
कोविड-19 उपचार प्राथमिकता पर साझा सलाहकार समूह, अस्पतालों में भर्ती मरीज़ों के उपचार पर ओमिक्रॉन के सम्भावित असर का विश्लेषण कर रहे हैं.
महामारियों के लिये शोध एवं अनुसन्धान ब्लूप्रिण्ट, दुनिया भर के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर जानकारी के अभाव की शिनाख़्त के लिये प्रयासरत है. वहीं, वैक्सीन पर तकनीकी सलाहकार समूह, मौजूदा टीकों के असर की समीक्षा और उनमें ज़रूरी बदलावों पर जानकारी जुटा रहा है.
‘जबरन’ टीकाकरण नहीं
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने कहा है कि किन्हीं भी हालात में लोगों को जबरन टीके लगवाने के लिये मजबूर नहीं किया जाना चाहिये.
उन्होंने मानवाधिकार परिषद के लिये अपने वीडियो सन्देश में कहा कि यह भाग्यशाली होने की बात है कि चिकित्सा शोध के ज़रिये वैक्सीन तेज़ी से विकसित करने में मदद मिली है, ताकि कोरोनवायरस के सबसे गम्भीर रूप की रोकथाम की जा सके.
उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 के अन्त तक विश्व आबादी के 40 फ़ीसदी हिस्से का टीकाकरण किये जाने का लक्ष्य पूरा होने की सम्भावना कम ही है.
साथ ही, वर्ष 2022 के मध्य तक 70 फ़ीसदी आबादी का टीकाकरण करने का लक्ष्य भी अभी वास्तविकता से दूर नज़र आ रहा है.