स्पॉटलाइट: कोविड महामारी में, लिंग आधारित हिंसा का मुक़ाबला करने की पहल
कोविड-19 महामारी से बचने के लिये लागू की गई तालाबन्दियों व अन्य प्रतिबन्धों के बावजूद, संयुक्त राष्ट्र और योरोपीय संघ के एक संयुक्त कार्यक्रम के ज़रिये, लगभग छह लाख 50 हज़ार महिलाओं और लड़कियों को, लिंग आधारित हिंसा के मामलों में सहायता व सेवाएँ मुहैया कराई गईं. ये कार्यक्रम, एक गम्भीर और व्यापाक मानवाधिकार उल्लंघन – लिंग आधारित हिंसा को ख़त्म करने के लिये चलाया गया है.
इस कार्यक्रम का नाम है – Spotlight Initiative और इसके प्रभावों के बारे में एक रिपोर्ट शुक्रवार को न्यूयॉर्क में जारी की गई है. इस रिपोर्ट में और भी बहुत सी उपलब्धियों का विवरण दिया गया है.
Thanks to @GlobalSpotlight, we're working 🌎 to #SpotlightEndViolence by strengthening public services including social protection and access to justice for survivors. See how we work w/ @EU_Commission, @UN_Women, @UNFPA and @UN: https://t.co/45D4obhHQY#PartnersAtCore #WithHer pic.twitter.com/Qm8SBiUz7o
UNDP
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक स्वास्थ्य संकट में, महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा की छाया महामारी की समस्या का सामना करने के लिये, साझीदारों ने किस बहुत तेज़ी से अपने कार्यक्रमों को परिस्थितियों की मांग व ज़रूरतों के मुताबिक़ ढाला.
लैंगिक समानता हासिल करने में देशों की सरकारों की मदद करने वाली संयुक्त राष्ट्र संस्था – यूएन वीमैन की कार्यकारी निदेशक सीमा बहौस ने इस मौक़ पर कहा कि कोविड-19 के कारण दुनिया भर में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ़ हिंसा में बढ़ोत्तरी, लगातार जारी रही जो महिलाधिकारों का व्यापक उल्लंघन है.
उन्होंने कहा कि महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों की रक्षा करने में हासिल हुई प्रगति को क़ायम रखने और उन्हें कठिनाइयों से बचाने के लिये, पहले से और भी ज़्यादा, ठोस कार्रवाई किये जाने की बहुत ज़रूरत है.
ज़मीनी सहायता
स्पॉटलाइट पहल, दुनिया भर में महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ़, तमाम तरह की हिंसा को रोकने के लिये, विश्व में सबसे बड़ा लक्षित प्रयास है.
इस पहल के ज़रिये, महामारी के दौरान प्रयास बढ़ाने के अतिरिक्त, बदलते वातावरण में तेज़ी से ढलने और ऑनलाइन सेवाएँ मज़बूत करने के लिये, सिविल सोसायटी संगठनों की भी मदद की गई है. इनमें वर्चुअल व हॉटलाइन्स के माध्यमों से परामर्श व मदद मुहैया कराया जाना भी शामिल था.
ज़्यादा स्थानीय और ज़मीनी परिस्थितियों में काम करने वाले संगठनों की मदद करने के लिये भी वित्तीय मदद मुहैया कराई गई और अभी तक इस मद पर, 14 करोड़ 60 लाख डॉलर की रक़म ख़र्च की जा चुकी .
पुरुषों और लड़कों के ज़रिये
साथ ही, लगभग आठ लाख 80 हज़ार पुरुषों और लड़कों को, सकारात्मक मर्दानगी, सम्मानपूर्ण पारिवारिक सम्बन्धों, अहिंसक तरीक़ों से संघर्ष समाधान और माता-पिता व अभिभावक की भूमिका निभाने के बारे में शिक्षित व जागरूक किया गया.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हैनरीएटा फ़ोर ने, दुनिया भर में चलाई गई कुछ गतिविधियों के बारे में जानकारी मुहैया कराई है.
उन्होंने कहा कि मलावी में शिक्षकों, युवजन, और विशेष रूप में लड़कों के बीच जानकारी बढ़ाने के लिये, सामुदायिक संगठनों और मीडिया साझीदारों के साथ मिलकर काम किया जा रहा है. इन प्रयासों से, लिंग आधारित हिंसा के मामलों की जानकारी उजागर करने व अधिकारियों तक पहुँचाने, और लड़कियों व महिलाओं को त्वरित और ज़्यादा प्रभावशाली सहायता पहुँचाने में मदद मिल रही है.
मज़बूत क़ानूनों को बढ़ावा
महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा तमाम समाजों में व्याप्त है और ये अक्सर अन्य मानवीय संकटपूर्ण स्थितियों के कारण और भी ज़्यादा जटिल होती है, और स्वास्थ्य महामारी – कोविड-19 के दौरान भी इसमें और सघनता हुई है.
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम – यूएनडीपी के प्रशासक अख़िम स्टीनर का कहना है कि अलबत्ता, मज़बूत रणनीतियों और क़ानूनी ढाँचों से, लिंग आधारित हिंसा को पूरी तरह ख़त्म करने की गारण्टी नहीं मिलती है, मगर, इस वैश्विक अभिशाप का असर कम करने के लिये, वो बहुत ज़रूरी हैं.
मसलन, स्पॉटलाइट पहल के ज़रिये, 17 लातिन अमेरिकी देशों की दण्ड संहिताओं में, महिलाओं की हत्याओं के मामलों को पूरी तरह शामिल कराने में मदद की है. इनमें महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों के लिये ज़िम्मेदार तत्वों को सख़्ती से दण्डित करने के प्रावधान भी शामिल हैं.
बढ़त पर ध्यान
योरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र ने, अब तक हासिल हुई उपलब्धियों को बुनियाद बनाते हुए, एक स्पॉटलाइट वैश्विक मंच विकसित करने का फ़ैसला किया है. इसमें एक ज्ञान हब और पैरोकारी समुदाय की स्थापना शामिल होगी जो इस कार्यक्रम के ज़रिये हासिल किये गए अनुभवों में से आगे का रास्ता तलाश करेंगे.
योरोपीय प्रतिनिधिमण्डल के राजदूत ओलाफ़ स्कूग का कहना था कि महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा की घटनाएँ, वैसे तो दुनिया भर में हृदयविदारक रही हैं, मगर स्पॉटलाइट कार्यक्रम के ज़रिये प्रभावशाली परिणाम हासिल किये गए हैं.
उनका कहना था कि हम हमेशा कहते हैं कि अगर दुनिया को एक बेहतर जगह बनाना है तो शुरुआत घरों से करनी होगी. और यहाँ संयुक्त राष्ट्र में, हम दुनिया भर में चल रहे प्रमुख संघर्षों और लड़ाइयों को सुलझाने के लिये, हर दिन व्यस्त रहते हैं.
लेकिन उसका एक हिस्सा ये भी है कि हम अपने समाजों में हिंसा का मुक़ाबला असरदार ढंग से करने में भी निपुण हैं, और कोई भ समाज इस अभिशाप से मुक्त नहीं है.