'21वीं सदी की दुनिया में, दासता स्वीकार्य नहीं'
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने दासता के समकालीन रूपों के प्रभावों की तरफ़ ध्यान आकर्षित करते हुए कहा है कि इस तरह की घिनौने चलन के लिये 21वीं सदी में कोई जगह नहीं हो सकती. महासचिव ने दासता के उन्मूलन के लिये अन्तरराष्ट्रीय दिवस के अवसर पर ये बात कही है, जोकि 2 दिसम्बर को मनाया जाता है.
यूएन प्रमुख ने इस अन्तरराष्ट्रीय दिवस पर अपने सन्देश में कहा है कि व्यवस्थित नस्लवाद के ख़िलाफ़ इस वर्ष हुए वैश्विक प्रदर्शनों ने, दुनिया भर में अन्यायों की विरासत की तरफ़ फिर से ध्यान केन्द्रित कर दिया है. ध्यान रहे कि इन अन्यायों की जड़ उपनिवेशवाद और दासता के काले इतिहास में जमी हुई हैं.
Slavery is not simply a matter of history.Today, more than 40 million people are still victims of contemporary slavery.I call on countries, civil society & the private sector to strengthen their efforts to end this abhorrent practice. https://t.co/2FtDcsbLd9 pic.twitter.com/4QyYgsv38b
antonioguterres
“लेकिन दासता, केवल इतिहास का एक मामला भर नहीं है.”
संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 4 करोड़ लोग अब भी समकालीन दासता का शिकार हैं, जिनमें क़रीब ढाई करोड़ लोग जबरन मज़दूरी में फँसे हुए हैं और, लगभग डेढ़ लाख लोग जबरन विवाह के पीड़ित हैं.
चार में एक पीड़ित, बच्चे हैं, और कुल पीड़ितों में लगभग 71 प्रतिशत महिलाएँ और लड़कियाँ हैं.
असमानता से भेदभाव को और बल
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “निर्धन व हाशिये पर रहने वाले समूह, विशेष रूप में नस्लीय व जातीय अल्पसंख्यक, आदिवासी लोग व प्रवासी, दासता के समकालीन रूपों से विषमतापूर्वक रूप में प्रभावित हैं.”
उन्होंने कहा, “लैंगिक असमानता के कारण भेदभाव के चलन को और ज़्यादा बल मिलता है.”
दासता दरअसल, पीढ़ियों से चली आ रही ग़ुलामी, जबरन मज़दूरी, बाल मज़दूरी, घरेलू ग़ुलामी, जबरन विवाह, क़र्ज़ दासत्व, शोषण के लिये इनसानों की तस्करी, जिसमें यौन शोषण भी शामिल है, और सशस्त्र संघर्षों में इस्तेमाल के लिये बच्चों की जबरन भर्ती, जैसे रूपों से अपनी जड़ें निकालती है.
मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन
यूएन महासचिव ने समाज के तमाम वर्गों से तमाम घिनौने चलन रोकने के लिये उनके सामूहिक प्रयास और ज़्यादा मज़बूत करने का आग्रह किया है.
“मैं पीड़ितों और भुक्तभोगियों की पहचान करके, उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने और उनका सशक्तिकरण करने में समर्थन का आहवान करता हूँ, इन प्रयासों में समकालीन दासता पर यूएन स्वैच्छिक ट्रस्ट कोष में दान देना भी शामिल है.”
महासचिव ने अपने सन्देश में डर्बन घोषणा-पत्र और कार्रवाई कार्यक्रम को एक ऐसा व्यापक कार्रवाई केन्द्रित दस्तावेज़ क़रार दिया जिसमें नस्लवाद, नस्लीय भेदभाव, धर्म व पहचान पर आधारित नफ़रत व असहिष्णुता का मुक़ाबला करने के लिये ठोस उपायों की पेशकश की गई है.
इस दस्तावेज़ में यह भी पुष्टि की गई है कि दासता और दास व्यावार मानवता के ख़िलाफ़ अपराध हैं, और हमेशा इन गतिविधियों को इसी तरह के अपराधा समझा जाना चाहिये था.
एंतोनियो गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा, “ये महत्वपूर्ण दस्तावेज़ दासता और दासता सम्बन्धित गतिविधियों को मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन मानता है... हम इस तरह के मानवाधिकार उल्लंघन 21वीं सदी में स्वीकार नहीं कर सकते.”
अन्तरराष्ट्रीय दिवस
दासता के उन्मूलन के लिये अन्तरराष्ट्रीय दिवस, हर वर्ष 2 दिसम्बर को मनाया जाता है.
इसी दिन, इनसानों की तस्करी और यौनकर्मियों व अन्य लोगों का शोषण रोकने के लिये यूएन कन्वेन्शन वजूद में आई थी. ये कन्वेन्शन 1951 में लागू हुई थी.