सुरक्षा परिषद: म्याँमार में हालात चिन्ताजनक, हिंसा रोकने की अपील
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने म्याँमार में हिंसा पर तत्काल विराम लगाए जाने और आमजन की सुरक्षा सुनिश्चित किये जाने की पुकार लगाई है. म्याँमार के सैन्य बलों और चरमपंथी गुटों के बीच झड़पों की ख़बरों के बीच, सुरक्षा परिषद ने बुधवार शाम एक वक्तव्य जारी करके, हिंसा पर गहरी चिन्ता जताई है.
सुरक्षा परिषद ने कहा कि म्याँमार में हाल के घटनाक्रम से रोहिंज्या शरणार्थियों और घरेलू विस्थापितों की स्वैच्छिक, सुरक्षित, गरिमामय व सतत वापसी के लिये गम्भीर चुनौतियाँ खड़ी हो गई हैं.
संयुक्त राष्ट्र, म्याँमार में उपजे संकट के मद्देनज़र वहाँ हालात पर नज़र रखे हुए हैं.
#Myanmar: Security Council members called yesterday for an immediate cessation of violence, reiterating the need for full implementation of ASEAN's Five Point Consensus. They reaffirmed their support for the people of Myanmar and its democratic transition. https://t.co/TI3S8QgL0b pic.twitter.com/5zBCdwsKhG
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म्याँमार में सैन्य नेतृत्व ने लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई आँग सान सू ची सरकार को, इस वर्ष एक फ़रवरी को बेदख़ल कर दिया था, जिसके बाद से देश राजनैतिक संकट से जूझ रहा है.
इसके बाद, लोकतंत्र के समर्थन में हुए विरोध प्रदर्शनों का सख़्ती से दमन किया गया है, सैकड़ों लोगों की मौतें हुई हैं और हज़ारों लोगों को हिरासत में लिया गया है.
इस सप्ताह, अन्तरराष्ट्रीय मीडिया में ऐसी ख़बरें सामने आईं, जिनके अनुसार सैन्य बलों ने चिन प्रान्त में भारी हथियारों और सुरक्षा बलों का जमावड़ा शुरू कर दिया है.
मीडिया ख़बरों में हथियारबन्द गुट के विरुद्ध सैन्य कार्रवाई की सम्भावना जताई गई है.
देश के पश्चिमोत्तर इलाक़े में स्थित इस प्रान्त में, सैन्य तख़्तापलट के बाद यह गुट सक्रिय हुआ है.
सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों ने म्याँमार में स्वास्थ्य और मानवीय हालत में बेहतरी लाने के लिये क़दम उठाए जाने की अहमियत को रेखांकित किया है.
इसके तहत, कोविड-19 वैक्सीन की निर्बाध आपूर्ति व वितरण को सम्भव बनाया जाना भी है.
शान्तिपूर्ण समाधान पर बल
सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों ने, एक शान्तिपूर्ण समाधान सम्भव बनाने के लिये, दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) की सकारात्मक व रचनात्मक भूमिका के लिये पूर्ण समर्थन दोहराया है.
साथ ही आसियान के विशेष दूत के लिये समर्थन को पुष्ट करते हुए कहा है कि जल्द से जल्द उनकी म्याँमार यात्रा व मध्यस्थता के ज़रिये सम्वाद प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाना चाहिये.
सुरक्षा परिषद ने म्याँमार की जनता की इच्छा व हितों को ध्यान में रखते हुए, आपसी सम्वाद व मेल-मिलाप पर बल दिया है.
वक्तव्य में कहा गया है कि, “सुरक्षा परिषद के सदस्य, म्याँमार की जनता और देश के लोकतंत्र की दिशा में अग्रसर होने, और म्याँमार की सम्प्रभुता, राजनैतिक स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखण्डता व एकता के लिये अपना समर्थन फिर से पुष्ट करते हैं.”
बदतर मानवीय हालात
इससे पहले, आपात राहत मामलों के प्रमुख मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने अपने एक वक्तव्य में, देश में मानवीय हालात बिगड़ने पर चिन्ता जताई थी.
उन्होंने कहा कि हिंसक संघर्ष व टकराव बढ़ने, वैश्विक महामारी, बदहाल अर्थव्यवस्था के साथ असुरक्षा गहराने की वजह से, ज़रूरतमन्दों की संख्या 30 लाख तक पहुँच चुकी है.
सैन्य तख़्तापलट के बाद से लाखों लोग सुरक्षा की तलाश में अपने घर छोड़कर जाने के लिये मजबूर हो गए हैं. यूएन एजेंसी के शीर्ष अधिकारी ने बताया कि पश्चिमोत्तर इलाक़े में हालात बेहद चिन्ताजनक हैं.
चिन प्रान्त, और मैग्वे व सगाइन्ग प्रान्त क्षेत्रों में म्याँमार के सैन्य बलों और “रक्षक सेना” के बीच टकराव बढ़ने की ख़बरें हैं.
यूएन के वरिष्ठ अधिकारी ने राहत कार्यों के लिये बेरोकटोक आवाजाही और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से वित्तीय समर्थन प्रदान करने की पुकार लगाई है.
उन्होंने कहा कि मानवीय राहत जवाबी कार्रवाई योजना व अन्तरिम राहत योजना के तहत, 38 करोड़ डॉलर की राशि की आवश्यकता है, मगर अब तक इस राशि का आधा हिस्सा ही प्राप्त हो पाया है.