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म्याँमार: हिंसा व मानवीय ज़रूरतों में चिन्ताजनक बढ़ोत्तरी, सहायता का आहवान

म्याँमार के यंगून शहर में, एक बेघर परिवार, जिसे ऐसी कोई भरोसेमन्द व्यवस्था शायद ही उपलब्ध है, जो उसकी मदद कर सके.
ILO Photo/Marcel Crozet
म्याँमार के यंगून शहर में, एक बेघर परिवार, जिसे ऐसी कोई भरोसेमन्द व्यवस्था शायद ही उपलब्ध है, जो उसकी मदद कर सके.

म्याँमार: हिंसा व मानवीय ज़रूरतों में चिन्ताजनक बढ़ोत्तरी, सहायता का आहवान

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र के आपात राहत मामलों के समन्वयक मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने आशंका जताई है कि म्याँमार संकट का शान्तिपूर्ण निपटारा किये जाने के अभाव में, देश में ज़रूरतमन्द लोगों की संख्या का बढ़ना जारी रहेगा. उन्होंने एक वक्तव्य में आगाह किया है कि अनेक इलाक़ों में हिंसा, टकराव और असुरक्षा के कारण चिन्ताजनक हालात हैं, जिसके मद्देनज़र मानवीय सहायता कार्य के लिये अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को आगे आना होगा. 

म्याँमार की सेना ने लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को इस वर्ष, एक फ़रवरी को सत्ता से बेदख़ल कर दिया था और राजनैतिक नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था.

इसके बाद से देश में अस्थिरता व्याप्त है और हिंसा के कारण लाखों लोग अपने घर छोड़ने के लिये मजबूर हुए हैं. 

आपात राहत समन्वयक मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने सोमवार को जारी अपने एक वक्तव्य में कहा, “म्याँमार में मानवीय हालात बदतर होते जा रहे हैं.” 

“टकराव और असुरक्षा बढ़ने, कोविड-19 महामारी; और ध्वस्त होती अर्थव्यवस्था के कारण देश भर में, 30 लाख से अधिक लोगों को जीवनदाई सहायता की आवश्यकता है.” 

विस्थापितों की बड़ी संख्या

क़रीब सवा दो लाख लोग अब भी विस्थापित बताए गए हैं. म्याँमार की सत्ता पर सेना का नियंत्रण होने से पहले भी, देश के राख़ीन, चिन शान और काचीन प्रान्तों में विस्थापितों की एक बड़ी आबादी थी.

दीर्घकालीन विस्थापन की समस्या का समाधान अभी ढूँढा नहीं जा सका है. राख़ीन प्रान्त में एक लाख 44 हज़ार रोहिंज्या लोग, शिविरों या वैसी ही परिस्थितियों तक सीमित हो गए हैं. इनमें बहुत से लोग वर्ष 2012 से ऐसी परिस्थितियों में रह रहे हैं. 

काचीन और शान प्रान्त में अनेक वर्षों से एक लाख से अधिक लोग विस्थापित हैं. 

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने शहरी और उसके आस-पास के इलाक़ों में खाद्य असुरक्षा का स्तर बढ़ने की ख़बरों पर चिन्ता जताई है. इनमें यंगून और मण्डाले भी हैं.  

म्याँमार में यंगून शहर का पुराना इलाक़ा.
Unsplash/Zuyet Awarmatik
म्याँमार में यंगून शहर का पुराना इलाक़ा.

टकराव व हिंसा

पिछले कुछ हफ़्तों में देश के पश्चिमोत्तर में हालात बेहद चिन्ताजनक हुए हैं. चिन प्रान्त, और मैग्वे व सगाइन्ग प्रान्त क्षेत्रों में म्याँमार के सैन्य बलों और “रक्षक सेना” के बीच टकराव बढ़ने की ख़बरें हैं. 

37 हज़ार से अधिक लोग नए सिरे से विस्थापन का शिकार हुए हैं, जिनमें महिलाएँ व बच्चे भी हैं. रिपोर्टों के अनुसार 160 घर, चर्च और मानवीय राहत संगठनों के कार्यालय जला दिये गए हैं.

आपात राहत मामलों के प्रमुख ने आगाह किया कि आमजन व नागरिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाकर किये गए हमलों पर, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के तहत स्पष्ट पाबन्दी है और इन्हें तत्काल रोका जाना होगा.

म्याँमार में मानवीय राहतकर्मी ज़रूरतमन्दों तक सहायता पहुँचाने के कार्य में जुटे हैं. अब तक 16 लाख से अधिक लोगों के लिये भोजन, नक़दी और पोषण सहायता सुनिश्चित की गई है. 

मानवीय सहायता

मगर, मानवीय राहत ज़रूरतों को पूरा करने के लिये प्रभावित इलाक़ों तक पहुँचने में दिक्क़तें हैं और समुचित धनराशि का भी अभाव है. 

उन्होंने कहा कि सैन्य बलों की लालफ़ीताशाही के कारण ज़रूरतमन्दों तक सहायता पहुँचाने के कार्य में अवरोध खड़े हो रहे हैं, जिन्हें दूर करते हुए, जल्द से जल्द, निर्बाध मदद मुहैया कराई जानी होगी. 

यूएन के वरिष्ठ अधिकारी ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से राहत प्रयासों को समर्थन प्रदान करने करने की पुकार लगाई है. 

उन्होंने कहा कि मानवीय राहत जवाबी कार्रवाई योजना व अन्तरिम राहत योजना के तहत 38 करोड़ डॉलर की राशि की आवश्यकता है, मगर अब तक इस राशि का आधा हिस्सा ही प्राप्त हो पाया है.

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने ज़ोर देकर कहा कि म्याँमार के लोगों को हमारी आवश्यकता है ताकि उनके बुनियादी अधिकारों की रक्षा और उनके लिये गरिमामय जीवन सुनिश्चित किया जा सके.

उन्होंने सभी पक्षों से आम नागरिकों की रक्षा के लिये, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय व मानवाधिकार क़ानूनों के तहत तय दायित्वों का पूर्ण सम्मान करने और आमजन की बेरोकटोक आवाजाही को सम्भव बनाए जाने का आहवान किया है.