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इराक़: यज़ीदी समुदाय को न्याय दिलाने के लिये यूएन प्रमुख ने जताई प्रतिबद्धता

सिंजार पर्वत के इलाक़े में शरण लेने वाले यज़ीदियों ने सीरिया के रास्ते से फिर इराक़ में प्रवेश किया है.
© UNICEF/Khuzaie
सिंजार पर्वत के इलाक़े में शरण लेने वाले यज़ीदियों ने सीरिया के रास्ते से फिर इराक़ में प्रवेश किया है.

इराक़: यज़ीदी समुदाय को न्याय दिलाने के लिये यूएन प्रमुख ने जताई प्रतिबद्धता

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस्लामिक स्टेट (दाएश) के बर्बरतापूर्ण कृत्यों से जीवित बच गए यज़ीदी समुदाय के व्यक्तियों की मदद के लिये, एक नया क़ानून जल्द लागू किये जाने का आग्रह किया है.

संयुक्त राष्ट्र ने चरमपंथी गुट आईसिल (ISIL) द्वारा बर्बरतापूर्ण ढंग से धार्मिक अल्पसंख्यकों व अन्य समुदायों को निशाना बनाए जाने के सात वर्ष पूरे होने पर एक बयान जारी किया है. 

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यज़ीदी समुदाय के जीवित बच गए लोगों के लिये क़ानून (Yazidi Survivors Law) मार्च में पारित किया गया था. 

इस क़ानून में आईसिल द्वारा, महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों के हनन के मामलों की शिनाख़्त करते हुए, सरकारों से उन्हें मुआवज़ा दिये जाने की मांग की गई है.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने कहा, “एक साल पूरा होने के इस ग़मगीन मौक़े पर, संयुक्त राष्ट्र जवाबदेही व न्याय प्राप्ति के लिये सभी प्रयासों को समर्थन देने के लिये पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है.”

आईसिल को दाएश के नाम से भी जाना जाता है, और इस गुट ने इराक़ के उत्तरी हिस्से में यज़ीदी समुदाय के विरुद्ध जनसंहार अभियान चलाया था. 

इस दौरान, हज़ारों लोगों को उनकी पहचान की वजह से अकल्पनीय हिंसा का शिकार बनाया गया. बड़े पैमाने पर यौन हिंसा, सामूहिक हत्याओं, जबरन धर्मान्तरण और अन्य अपराधों के मामले हुए.

बहुत से लोग अब भी विस्थापितों के लिये बनाए गए शिविरों में रह रहे हैं या अब भी लापता हैं. 

यूएन प्रवक्ता ने कहा, “आईसिल के इन जघन्य कृत्यों को युद्धापराधों, मानवता के विरुद्ध अपराधों और जनसंहार की श्रेणी में रखा जा सकता है. उनके दोषियों की पूर्ण जवाबदेही तय किया जाना बेहद अहम है.”

क़ानून लागू करने की पुकार

स्तेफ़ान दुजैरिक ने कहा कि जवाबदेही सुनिश्चित किये जाने और मानवाधिकारों की रक्षा करने में, इराक़ी सरकार के प्रयासों को समर्थन देना, संयुक्त राष्ट्र की एक प्राथमिकता है.

उनके मुताबिक़, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अन्तर्गत सबसे गम्भीर अपराधों से समुदायों की रक्षा किये जाने के सामूहिक दायित्व के अनुरूप इसे क्रियान्वित किया जाएगा.

यूएन प्रवक्ता ने कहा कि यज़ीदी समुदाय की पीड़ा व साहस को समझना, उन्हें उबारना व पुनर्वास एक प्राथमिकता बनी हुई है.

इस क्रम में, यूएन महासचिव ने इराक़ी सरकार द्वारा सम्बद्ध क़ानून को मंज़ूरी दिये जाने और आईसिल द्वारा यज़ीदी समुदाय के ख़िलाफ़ अपराधों की शिनाख़्त किये जाने की सराहना की है. 

साथ ही, उन्होंने इसे जल्द और पूर्ण रूप से लागू किये जाने के लिये प्रोत्साहित किया है.