जियॉर्ज फ़्लॉयड हत्या मामले में अदालत के फ़ैसले का स्वागत
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) मिशेल बाशेलेट ने अमेरिका में जियॉर्ज फ़्लायड हत्या मामले में पूर्व पुलिस अधिकारी डेविड शॉविन को दोषी क़रार दिये जाने के फ़ैसले का स्वागत किया है. यूएन मानवाधिकार कार्यालय प्रमुख ने बुधवार को एक बयान जारी करके कहा कि इस मुक़दमे का कोई अन्य फ़ैसला, न्याय का उपहास रहा होता.
मिनियापॉलिस के पूर्व पुलिस अधिकारी को मई 2020 में, 46 वर्षीय अफ्रीकी-अमेरिकी मूल के जियॉर्ज फ़्लॉयड की हत्या के आरोप में मंगलवार को दोषी क़रार दिया गया.
घटना के दौरान रिकॉर्ड की गई वीडियो फ़ुटेज दर्शाती है कि श्वेत अमेरिकी पुलिस अधिकारी डेविड शॉविन ने, नौ मिनटों से भी ज़्यादा समय तक जियॉर्ज फ़्लॉयड की गर्दन पर अपना घुटना टिकाए रखा. जिसका बाद जियॉर्ज फ़्लॉयड की मौत हो गई थी.
UN Human Rights Chief @mbachelet welcomes verdict in #GeorgeFloyd murder trial. But for countless other victims of African descent and their families, in the #UnitedStates and throughout the world, the fight for justice goes on.Read 👉 https://t.co/gE6ZJ7Uol0#FightRacism pic.twitter.com/LyieaeraJV
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जियॉर्ज फ़्लॉयड की मौत के बाद दुनिया भर में नस्लवाद के विरोध में व्यापक स्तर पर विरोध-प्रदर्शन भड़क उठे थे.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने अपने वक्तव्य में कहा, "यह एक बेहद महत्वपूर्ण फ़ैसला है."
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने जियॉर्ज फ़्लॉयड के परिजनों और न्याय की मांग करने वाले अन्य लोगों के साहस और धीरज की सराहना की है.
मगर उन्होंने आगाह किया कि अमेरिका और पूरी दुनिया में, अफ़्रीकी मूल के अनगिनत अन्य पीड़ितों व उनके परिवारों के लिये न्याय की लड़ाई जारी है.
मिशेल बाशेलेट के मुताबिक़ पुलिस के हाथों मौतों और अत्यधिक बल प्रयोग के मामलों में न्याय के लिये लड़ाई अभी ख़त्म नहीं हुई है.
यूएन मानवाधिकार कार्यालय प्रमुख ने अमेरिका में पुलिस विभागों में सुधार के लिये मज़बूत क़दम उठाए जाने की पुकार लगाई है.
उन्होंने ध्यान दिलाया है कि अब तक किये गए उपायों से अफ़्रीकी मूल के लोगों की मौतों की रोकथाम कर पाना अपर्याप्त साबित हुआ है.
पुलिस की हिरासत के दौरान होने वाली मौतों के लिये पुलिस अधिकारियों पर कभी-कभार ही आरोप तय किये जाते हैं, या फिर उनका दोष साबित होता है.
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने अमेरिका और अन्य देशों में मौजूदा पुलिस व्यवस्था पर पूर्ण-सरकार व पूर्ण-समाज के स्तर पर पुनर्विचार किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया है, ताकि व्यवस्थागत नस्लवाद को दूर किया जा सके.
व्यवस्थागत नस्लभेद का मुक़ाबला
मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र की वरिष्ठ अधिकारी ने आग्रह किया है कि अतीत पर फिर से, नज़दीकी नज़र डालते हुए जियॉर्ज फ़्लॉयड की मौत के सन्दर्भ की गम्भीर पड़ताल की जानी होगी.
इसके लिये आज के समाज में दास प्रथा, पार-अटलाण्टिक दास व्यापार और औपनिवेशवाद की विरासत के विषैले अंशों की शिनाख़्त की जानी होगी, जिन्हें निर्णायक ढंग से उखाड़ फेंकने की आवश्यकता है.
मानवाधिकार उच्चायुक्त के अनुसार, नस्लीय न्याय व बराबरी को हासिल करने के लिये यह ज़रूरी है कि अफ़्रीकी मूल के व्यक्तियों की पूर्ण व समान भागीदारी को इन मायनों में सुनिश्चित किया जाए, जिनसे पुलिस के साथ उनके सम्पर्क व जीवन के हर आयाम में बदलाव लाए जा सकें.
यूएन अधिकारी ने सचेत किया है कि अगर ऐसा नहीं हुआ, तो इस मामले में यह फ़ैसला वास्तविक अहम मोड़ बनने के बजाय, एक बीतने वाला ऐसा लम्हा होगा, जब न्याय के लिये सितारे बस एक साथ आ गए थे.