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अमेरिका: प्रदर्शनकारियों व पत्रकारों के ख़िलाफ़ अनावश्यक बल प्रयोग से बचने का आग्रह

अमेरिका के पोर्टलैण्ड शहर में ब्लैक लाइव्स मैटर द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन के दौरान मौजूद पुलिसकर्मी.
Unsplash/Tito Texidor
अमेरिका के पोर्टलैण्ड शहर में ब्लैक लाइव्स मैटर द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन के दौरान मौजूद पुलिसकर्मी.

अमेरिका: प्रदर्शनकारियों व पत्रकारों के ख़िलाफ़ अनावश्यक बल प्रयोग से बचने का आग्रह

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) ने कहा है कि अमेरिका में शान्तिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा ले रहे लोगों और उनकी कवरेज कर रहे पत्रकारों के ख़िलाफ़ ना तो ज़रूरत से ज़्यादा बल प्रयोग किया जाना चाहिये और ना ही उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन होना चाहिये. 

शुक्रवार को एक पत्रकार ने मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता एलिज़ाबेथ थ्रोसेल से अमेरिकी प्रशासन द्वारा विरोध प्रदर्शनों से निपटने के लिये संघीय सुरक्षा अधिकारी तैनात किये जाने के मुद्दे पर सवाल पूछा था. 

अमेरिका के मिनियापॉलिस शहर में 25 मई को जियॉर्ज फ़्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत के बाद से अनेक शहरों में नस्लीय अन्याय के विरोध में प्रदर्शन हुए हैं 

कुछ शहरों में इन प्रदर्शनों पर क़ाबू पाने के लिये संघीय सुरक्षा अधिकारी भेजे गए हैं.

प्रवक्ता एलिज़ाबेथ थ्रोसेल ने कहा कि अमेरिका के पोर्टलैण्ड और अन्य शहरों में हो रहे शान्तिपूर्ण प्रदर्शनों में हिस्सा ले रहे प्रदर्शनकारियों और रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकारों को मनमाने ढँग से हिरासत में लिये जाने या गिरफ़्तार किये जाने का जोखिम नहीं होना चाहिये. 

उन्होंने स्पष्ट किया प्रदर्शनकारियों और पत्रकारों के ख़िलाफ़ ग़ैरज़रूरी, ग़ैरआनुपातिक और बिना देखे-परखे बल प्रयोग करने से बचते हुए उनके अधिकारों का हनन करने से बचा जाना चाहिये. 

कुछ ख़बरों के अनुसार हाल के दिनों में कुछ पुलिस अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है और इन अधिकारियों की शिनाख़्त नहीं हो पाई है.

उन्होंने कहा, “यह एक चिन्ता का विषय है क्योंकि इससे हिरासत में लिये गए लोग क़ानूनी संरक्षण के दायरे से बाहर हो सकते हैं और मनमाने ढँग से हिरासत में लेने और अन्य मानवाधिकार उल्लंघनों में भी बढ़ोत्तरी हो सकती है.”

एलिज़ाबेथ थ्रोसेल ने कहा कि संघीय व स्थानीय सुरक्षा बलों की उपयुक्त और स्पष्ट ढँग से पहचान होनी ज़रूरी है. साथ ही बल प्रयोग तभी किया जाना चाहिये जब वह ज़रूरी और अन्तरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो.

उनके मुताबिक अनावश्यक और अत्यधिक बल प्रयोग के मामलों में पीड़ितों के लिए जल्द से जल्द, स्वतन्त्र, निष्पक्ष और पारदर्शी जाँच का प्रावधान होना चाहिये ताकि मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों की पड़ताल की जा सके. 

इससे दोषियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी. 

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संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार समिति दुनिया भर में विरोध प्रदर्शनों के मद्देनज़र शान्तिपूर्ण ढँग से एकत्र होने के अधिकार का विश्लेषण कर रही है.

इस समिति के पास नागरिक एवँ राजनैतिक अधिकारों के अन्तरराष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र (International Covenant on Civil and Political Rights) को लागू किये जाने की निगरानी करने की ज़िम्मेदारी है. 

यूएन प्रवक्ता ने बताया कि समिति इस सम्बन्ध में एक आम टिप्पणी या दिशानर्देश 29 जुलाई को जारी करेगी जिसमें विरोध प्रदर्शनों, सार्वजनिक व्यवस्था और मीडिया के कामकाज जैसे मुद्दों का ध्यान रखा जाएगा.