नस्लीय हिंसा के ख़िलाफ़ कार्रवाई - मानवाधिकार उच्चायुक्त की अगुवाई में

मानवाधिकार परिषद ने अफ़्रीकी मूल के लोगों के ख़िलाफ़ क़ानून प्रवर्तन एजेंसियों में समाए ढाँचागत नस्लवाद से निपटने के प्रयासों की अगुवाई की ज़िम्मेदारी मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट को सौंपी है. जिनीवा में परिषद के सत्र के दौरान अफ़्रीकी समूह के देशों के आग्रह पर बुधवार को नस्लवाद पर चर्चा (Urgent Debate) हुई थी जिसके बाद शुक्रवार को इस मुद्दे पर प्रस्ताव सर्वसम्मति से, और मतदान की ज़रूरत के बिना ही पारित हो गया.
अमेरिका के मिनियापॉलिस शहर में 25 मई को निहत्थे अफ़्रीकी-अमेरिकी जियॉर्ज फ़्लॉयड की गर्दन पर एक पुलिस अधिकारी ने आठ मिनट से ज़्यादा समय तक अपना घुटना टिकाए रखा था जिसके बाद हालत बिगड़ने पर पुलिस हिरासत में ही उनकी मौत हो गई थी.
#HRC43 adopts by consensus res. strongly condemning racially discriminatory & violent practices perpetrated by law enforcement against Africans & people of African descent & excessive use of force against #PeacefulProtests & calls on States to cooperate w/ preparation of report.
UN_HRC
इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद दुनिया के अनेक देशों और शहरों में नस्लीय न्याय की माँग में प्रदर्शन हुए थे.
सत्र के दौरान अफ्रीकी समूह के कोऑर्डिनेटर बुर्किना फ़ासो ने कहा था कि यह मौत कोई एक अकेली घटना नहीं है और दुनिया के अनेक हिस्सों में अफ़्रीकी मूल के लोगों को ऐसी मुश्किलें रोज़मर्रा के जीवन में सहनी पड़ती हैं.
इन हालात का हवाला देते हुए नस्लवाद पर चर्चा का आग्रह किया गया था जिसके लिए बुधवार का दिन तय हुआ था.
प्रस्ताव पारित होने से पहले मानवाधिकार परिषद के सत्र में नस्लवाद, कथित पुलिस क्रूरता और प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ हिंसा के मुद्दे पर चर्चा हुई जिसमें 120 से ज़्यादा वक्ताओं ने हिस्सा लिया.
अनेक प्रतिनिधियों ने जियॉर्ज फ़्लॉयड के परिवार के प्रति अपनी सम्वेदनाएँ व्यक्त की. बुधवार को उनके भाई फ़्लॉनेस फ़्लॉयड ने पहले से रिकॉर्ड किए गए अपने भावपूर्ण सन्देश में संयुक्त राष्ट्र से कार्रवाई की पुकार लगाई थी.
कुछ प्रतिनिधियों ने बहस के दौरान अमेरिका में काले लोगों की मौतों की वजहों की तह तक जाने और प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ हिंसा पर अन्तरराष्ट्रीय जाँच की माँग की थी लेकिन अन्य प्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया कि यह मुद्दा सभी देशों को प्रभावित करता है और इसके लिए व्यापक रणनीति की ज़रूरत होगी.
प्रस्ताव के अन्तिम मसौदे के तहत प्रणालीगत नस्लवाद, क़ानून लागू करने वाले एजेंसियों द्वारा अफ़्रीकी और अफ़्रीकी मूल के लोगों के खिलाफ़ अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के हनन पर एक रिपोर्ट तैयार करने की ज़िम्मेदारी मानवाधिकार उच्चायुक्त को सौंपी गई है.
ख़ासतौर पर उन घटनाओं की जिनमें जियॉर्ज फ़्लॉयड और अफ़्रीकी व अफ़्रीकी मूल के अन्य लोगों की मौत हुई है.
प्रस्ताव में यूएन मानवाधिकार प्रमुख को स्वतन्त्र मानवाधिकार विशेषज्ञों की मदद से शान्तिपूर्ण नस्लवाद विरोधी प्रदर्शनों पर सरकारी कार्रवाई की जाँच-पड़ताल करने के लिए भी आग्रह किया गया है.
रिपोर्टों के मुताबिक इन प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारियों, प्रत्यक्षदर्शियों और पत्रकारों के विरुद्ध कथित रूप से अत्यधिक बल का प्रयोग किया गया था.
मानवाधिकार परिषद की मौजूदा प्रमुख एलिज़ाबेथ टिखी-फ़िसेलबर्गर ने प्रस्ताव पर विचार-विमर्श करने के लिए उसका मसौदा तैयार होने की घोषणा की.
“मुझे बताया गया है कि इस बैठक के दौरान पारित किए जाने के लिए कई प्रस्ताव तैयार हैं जैसाकि स्क्रीन पर दिखाया जा रहा है...इसलिए मैं पूछना चाहूँगी कि क्या किसी ने मतदान के लिए अनुरोध किया है.”
किसी की ओर से मतदान का अनुरोध ना किए जाने के बाद प्रस्ताव पारित कर दिया गया.
अफ़्रीकी देशों के समूह के समन्वयक के तौर पर बुर्किना फ़ासो ने नस्लवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में इस चर्चा को ऐतिहासिक क़दम क़रार दिया है और कहा है कि इस पर मानवाधिकार परिषद को गर्व होना चाहिए.
बहस के दौरान मानवाधिकार परिषद में ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ आन्दोलन का समर्थन कर रहे प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ हिंसा की जाँच कराए जाने के समर्थन में भी आवाज़ें बुलन्द की गईं.