सूडान: पश्चिमी दारफ़ूर में हाल की हिंसा की जाँच व मानवाधिकार संरक्षण का आग्रह

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने सूडान के पश्चिमी दारफ़ूर इलाक़े में, हाल ही में भीषण हिंसा फिर से भड़कने के सन्दर्भ में, सरकार से आग्रह किया है कि उसे, बिना कोई भेदभाव किये, सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की प्रवक्ता मार्टा हर्तेदो ने शुक्रवार को बताया कि अल जेनीना में, मसालित और अरब समुदायों के बीच पिछले सप्ताहान्त भड़की लड़ाई में लगभग 90 लोगों की मौत हो गई और 190 से ज़्यादा घायल हो गए.
West Darfur: We are appalled by the latest resurgence of violence in #Sudan that has left 87+ people dead and 191+ injured, and forced thousands to flee their homes. https://t.co/dCT1AhET8oPhoto: Displaced persons, mostly women and children, in North Darfur, Sudan. pic.twitter.com/oy62E9DID6
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ताज़ा स्थिति भी, 2019 के अन्त में और जनवरी 2021 में भड़की हिंसा के ही समान है और घटना वाले क़स्बे में सुरक्षा बलों की मौजदगी के बावजूद, अधिकारीगण लड़ाई को रोकने में नाकाम रहे.
प्रवक्ता मार्टा हर्तेदो ने जिनीवा में कहा, “हम अधिकारियों से आग्रह करते हैं कि बिना किसी भेदभाव के, नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में अपनी भूमिका निभाए.
"इस सन्दर्भ में हम, सूडान सरकार से, नागरिकों के संरक्षण के लिये राष्ट्रीय योजना को लागू करने की कार्रवाई तेज़ करने का आहवान करते हैं.”
उन्होंने कहा, “दारफ़ूर में हिंसा के लिये ज़िम्मेदार तमाम क़बीलों को हथियार रहित किया जाए और सरकार को व्यवस्था क़ायम करने और क़ानून का शासन लागू करने में अपनी भूमिका निभानी होगी. इसमें सशस्त्र नागरिकों को, क़ानून अपने हाथों में लेने से रोका जाना भी शामिल है.”
अल जेनीना में ताज़ा लड़ाई तब भड़की जब शनिवार को, कुछ अज्ञात हमलावरों ने, मसालित परुषों के एक दल पर गोलियों से हमला किया, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और एक अन्य घायल हो गया.
उस हमले के बाद, मसालित और अरब समुदायों के सशस्त्र तत्व सक्रिय हो गए.
मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने कहा कि सोमवार शाम तक, क़स्बे के रास्ते और सड़कें, शवों से भर चुके थे, जबकि एक स्वास्थ्य एम्बुलैंस पर भी हमला किया गया और कुछ स्वास्थ्यकर्मी भी घायल हुए.
सूडान सरकार ने स्थिति पर क़ाबू पाने के लिये कुछ क़दम उठाए हैं, और मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने संघर्ष के मूल कारणों को हल करने के लिये, सरकार के संकल्प का स्वागत किया है.
इस लड़ाई की जड़ में, दरअसल ज़मीन व जल संसाधनों पर चल रहा विवाद है.
प्रवक्ता मार्टा हर्तेदो ने कहा, “इन संकल्पों के परिणामस्वरूप, ठोस कार्रवाइयाँ नज़र आनी चाहिये.”
“हिंसक कृत्यों की स्वतंत्र, निष्पक्ष और व्यापक जाँच, बिना किसी देरी के शुरू कराई जानी होगी. उपयुक्त सुलह-सफ़ाई और एक टिकाऊ शान्ति की ख़ातिर, प्रभावशाली जवाबदेही प्रक्रिया पर अमल किया जाना भी ज़रूरी है.”
इस बीच, सूडान के अटॉर्नी जनरल ने घोषणा की है कि पश्चिमी दारफ़ूर में हुई ताज़ा हिंसा की जाँच करने के लिये 15 अभियोजक भेजे गए हैं.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने सूडान सरकार से कहा है कि मानवाधिकार हनन के लिये ज़िम्मेदार लोगों को न्याय के लिये जवाबदेह ठहराया जाना सुनिश्चित किया जाए और दोनों पक्षों की शिकायतों को दूर करने के भी प्रयास किये जाएँ.