म्याँमार में ‘हालात बिगड़ने की आशंका’, आपात बैठक बुलाए जाने का आग्रह
म्याँमार में मानवाधिकारों की स्थिति पर यूएन के विशेष रैपोर्टेयर टॉम एण्ड्रयूज़ ने मौजूदा हालात पर चर्चा के लिये अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से सभी हितधारकों की एक आपात बैठक बुलाए जाने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि इस वार्ता में उन सांसदों को भी आमन्त्रित किया जाना होगा जो फ़रवरी मे सैन्य तख़्ता पलट से पहले चुनावों में लोकतान्त्रिक रूप से चुने गए थे.
टॉम एण्ड्रयूज़ ने गुरुवार को जारी अपने वक्तव्य में कहा कि म्याँमार में सैन्य तख़्ता पलट के बाद अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की जवाबी कारर्वाई आवश्यकता के अनुरूप नहीं है, और गहराते संकट से निपटने के लिये पर्याप्त साबित नहीं हुई है.
“म्याँमार में हालात बदतर हो रहे है...लेकिन विकट हालात में फँसे लोगों के लिये एक तात्कालिक और सुदृढ़ अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई के अभाव में इनके और बिगड़ने की सम्भावना है.”
#Myanmar: Conditions are deteriorating, but they will likely get much worse without an immediate robust, international response in support of those under siege – @RapporteurUn urges UN Member States to hold an emergency summit to head off deepening crisis: https://t.co/BdN3F4jtZr pic.twitter.com/hWdo5eAxzS
UN_SPExperts
“यह अनिवार्य है कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा, यूएन महासचिव की ओर से जारी एक मज़बूत, एकजुट अन्तरारष्ट्रीय कार्रवाई की पुकार को ध्यान से सुना जाए.”
यूएन के स्वतन्त्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ने कहा कि सदस्य देशों ने म्याँमार पर जो सीमित प्रतिबन्ध लगाए हैं, उनसे सैन्य नेतृत्व पर ज़्यादा असर नहीं हुआ है.
बताया गया है कि ‘ग़ैरक़ानूनी गतिविधियों’ के लिये राजस्व तक म्याँमार सैन्य नेतृत्व की अब भी पहुँच है, और मुनाफ़ा देने वाली व्यावसायिक सम्पत्तियों पर कार्रवाई नहीं की गई है.
उन्होंने कहा कि कूटनैतिक प्रयासों की धीमी रफ़्तार, इस संकट के स्तर के अनुरूप नहीं है और मौजूदा हालात से निपटने के लिये मज़बूत कार्रवाई की दरकार है.
विशेष रैपोर्टेयर ने उन रिपोर्टों का उल्लेख किया, जो बताती हैं कि म्याँमार में हालात और ख़राब होने की दिशा में बढ़ रहे हैं, जिससे जान-माल का भारी नुक़सान होने की आशंका है.
टॉम एण्ड्रयूज़ ने आगाह किया कि म्याँमार के पड़ोसी देशो व क्षेत्र में प्रभुत्व रखने वाले देशों को एक साथ लाने वाली आपात शिखर बैठक, और एक केन्द्रित, कूटनैतिक समाधान के बग़ैर, म्याँमार में परिस्थितियाँ बदतर होने का ख़तरा है.
इन हालात में हत्याओं, लोगो को जबरन गायब कराए जाने और उन्हें यातना दिये जाने के मामलों में तेज़ी आने की आशंका व्यक्त की गई है.
विशेष रैपोर्टेयर के अनुसार, सदस्य देशों के पास एक अवसर है लेकिन कार्रवाई का समय तेज़ी से बीता जा रहा है.
म्याँमार मे राजनैतिक संकट से सबसे निर्बल समुदायों पर भारी असर हुआ है, जिनमें प्रवासी भी हैं.
बदतर होते हालात
अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) के मुताबिक, यंगून शहर के इलाक़ों में थोपे गए मार्शल लॉ की वजह से हज़ारों प्रवासियों को अपने मूल स्थानों को लौटना पड़ा है. अधिकाँश लोगों के पास परिवार का ख़याल रखने और जीवन गुज़ारने के लिये पर्याप्त बचत राशि नहीं है.
यूएन प्रवासन एजेंसी के एक अनुमान के अनुसार एक लाख से ज़्यादा प्रवासियों ने अपने मूल समुदायों की ओर वापसी की है, और वे राख़ीन सहित अन्य क्षेत्रों में सुरक्षा की तलाश में लौटे हैं.
तेज़ी से बदले घटनाक्रम में लौटने के लिये मजबूर होने वाले प्रवासियों के पास अपनी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिये पर्याप्त संसाधन नहीं हैं.
इसी महीने, विश्व खाद्य कार्यक्रम ने म्याँमार के अनेक हिस्सों में भोजन व ईंधन की क़ीमतों में तेज़ बढ़ोत्तरी होने की बात कही थी, जिसके लिये सप्लाई चेन और बाज़ार में आए व्यवधान को वजह बताया गया है.
मानवीय राहतकर्मियों के अनुसार, क़ीमतों में वृद्धि का रूझाने आगे भी जारी रह सकता है जिससे निर्धनतम व निर्बलतम समुदायों के लिये गुज़ारा चलाना और भी मुश्किल हो जाएगा.
म्याँमार में, इस वर्ष की शुरुआत में लगभग 10 लाख ज़रूरतमन्दों की शिनाख़त की गई थी, जिन्हें अब भी सहायता की आवश्यकता है.
वर्ष 2021 के लिये मानवीय राहत कार्रवाई योजना के लिये पर्याप्त धनराशि के अभाव में यह कार्य और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है.
मानवीय राहत कार्यों के लिये इस योजना के तहत 26 करोड़ 75 लाख डॉलर की अपील की गई थी, लेकिन फ़िलहाल दो करोड़ 36 लाख डॉलर का ही प्रबन्ध हो पाया है.
स्पेशल रैपोर्टेयर और वर्किंग ग्रुप संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की विशेष प्रक्रिया का हिस्सा हैं. ये विशेष प्रक्रिया संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार व्यवस्था में सबसे बड़ी स्वतंत्र संस्था है. ये दरअसल परिषद की स्वतंत्र जाँच निगरानी प्रणाली है जो किसी ख़ास देश में किसी विशेष स्थिति या दुनिया भर में कुछ प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती है. स्पेशल रैपोर्टेयर स्वैच्छिक रूप से काम करते हैं; वो संयक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं और उन्हें उनके काम के लिए कोई वेतन नहीं मिलता है. ये रैपोर्टेयर किसी सरकार या संगठन से स्वतंत्र होते हैं और वो अपनी निजी हैसियत में काम करते हैं.