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म्याँमार की सेना, देश के भविष्य के लिये ख़तरा - यूएन दूत की चेतावनी

म्याँमार के यंगून शहर में करफ़्यू की परवाह ना करते हुए लोग रात में एकत्र हुए.
Unsplash/Zinko Hein
म्याँमार के यंगून शहर में करफ़्यू की परवाह ना करते हुए लोग रात में एकत्र हुए.

म्याँमार की सेना, देश के भविष्य के लिये ख़तरा - यूएन दूत की चेतावनी

मानवाधिकार

म्याँमार के लिये संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत क्रिस्टीन श्रेनर बर्गनर ने कहा है कि देश की सेना अपने ही नागरिकों के ख़िलाफ़ खड़ी हो गई है, जिससे देश के भविष्य पर जोखिम मंडरा रहा है. विशेष दूत ने म्याँमार में वार्षिक 'सैन्य बल दिवस' की पूर्व संध्या पर, शुक्रवार को जारी अपने बयान में म्याँमार मे हालात पर चिन्ता जताई है.  

क्रिस्टीन श्रेनर बर्गनर ने देश में मौजूदा राजनैतिक संकट का अन्त करने के लिये किये जा रहे प्रयासों के प्रति अपना संकल्प रेखांकित किया है. 

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1 फ़रवरी 2021 को तख़्ता पलट के बाद, म्याँमार की सेना ने देश की सत्ता पर क़ब्जा जमाते हुए, शीर्ष नेताओं को हिरासत में ले लिया था. 

विशेष दूत ने कहा कि सुरक्षा बलों की हिंसक कार्रवाई जारी है, जोकि गहरी व्यथा की वजह है.

“कल, सैन्य बल दिवस है, जोकि विदेशी ताक़तों से म्याँमार की स्वाधीनता का परिचायक है.” 

“किसी भी सेना का दायित्व, शान्ति सुनिश्चित करना और अपने लोगों की रक्षा करना होना चाहिए. लेकिन म्याँमार में तत्मादाव, अपने ही लोगों के ख़िलाफ़ खड़ी हो गई है.” 

श्रेनर बर्गनर ने कहा कि विरोध प्रदर्शनों में महिलाओं, युवाओं और बच्चों सहित अन्य लोगों की मौत हुई है.

“महिलाएँ, शान्ति को स्फूर्ति प्रदान करती हैं, और अवज्ञा आन्दोलनों में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है.”

“युवा नेता, जो म्याँमार के लोकतान्त्रिक दिशा में आगे बढ़ने से लाभान्वित हुए हैं, वे देश के भविष्य की कुंजी हैं, जिसे सेना ख़तरे में डाल रही है.”

स्थानीय जनता के साथ एकजुटता

यूएन की विशेष दूत ने दोहराया कि वो म्याँमार की जनता के साथ पूर्ण एकजुटता के साथ खड़ी हैं, और शान्ति व क़ानून के राज के लिये उनका संकल्प अटल है.

उन्होंने, सैन्य तख़्ता पलट के बाद हिरासत में लिये गए नेताओं को रिहा किये जाने की माँग की है. इनमें राष्ट्रपति विन म्यिन्त और स्टेट काउंसलर आँग सान सू ची भी हैं.

अप्रैल महीने में, म्याँमार में नव वर्ष के उत्सव, थिन्गयान, से पहले, अधिकतम संयम बरते जाने और बुनियादी अधिकारों व लोकतान्त्रिक परम्पराओं का निर्वहन किये जाने की अपील की गई है.

क्रिस्टीन बर्गनर ने कहा कि मौजूदा संकट के समाधान की तलाश करने के लिये, वह संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों को बढ़ावा देती रहेंगी.  

इससे पहले, म्याँमार में मानवाधिकारों की स्थिति पर यूएन के विशेष रैपोर्टेयर टॉम एण्ड्रयूज़ ने मौजूदा हालात पर चर्चा के लिये अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से सभी हितधारकों की एक आपात बैठक बुलाए जाने की अपील की थी. 

टॉम एण्ड्रयूज़ ने गुरुवार को जारी अपने वक्तव्य में कहा कि म्याँमार में सैन्य तख़्ता पलट के बाद अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की जवाबी कारर्वाई आवश्यकता के अनुरूप नहीं है, और गहराते संकट से निपटने के लिये पर्याप्त साबित नहीं हुई है.