मानवाधिकार परिषद: बेलारूस, म्याँमार में मानवाधिकार हनन पर चिन्ता, प्रस्ताव पारित

स्विट्ज़रलैण्ड के जिनीवा में 47 सदस्य देशों वाली संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने बुधवार को म्याँमार और बेलारूस पर प्रस्तावों को पारित किया है जिनमें इन देशों में बुनियादी अधिकारों के उल्लंघन की निन्दा की गई है. ग़ौरतलब है कि बेलारूस में अगस्त 2020 में विवादित राष्ट्रपति चुनावों और म्याँमार में हाल ही में सैन्य तख़्ता पलट के बाद, दोनों देशों में मानवाधिकारों की स्थिति पर चिन्ता ज़ाहिर की जाती रही है.
इन प्रस्तावों के मुख्य प्रायोजक योरोपीय संघ की ओर से सम्बोधित करते हुए, यूएन में पुर्तगाल के स्थाई प्रतिनिधि, राजदूत रूई मैचिएरा ने बेलारूस में शान्तिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध बल प्रयोग की निन्दा की.
🔴The 46th session of the Human Rights Council has concluded.🔹 The 23-day long session was the first to be held almost entirely virtually due to #COVID19 restrictions🔹 The 47th session is set to be held on 21 June to 9 July 2021ℹ #HRC46 INFO https://t.co/7ErAqTxc9S pic.twitter.com/tF8JROSdSs
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अगस्त 2020 में विवादों में घिरे चुनावों में राष्ट्रपति अलेक्ज़ेण्डर लुकाशेन्को की जीत हुई थी, लेकिन इसके बाद विरोध प्रदर्शन भड़क उठे थे.
उन्होंने कहा कि बेलारूस में मानवाधिकारों व बुनियादी आज़ादियों का लगातार दमन जारी है. इनमें शान्तिपूर्ण सभा आयोजित करने, अभिव्यक्ति व राय की आज़ादी और मीडिया स्वतन्त्रता शामिल है.
लेकिन बेलारूस के राजदूत यूरी एम्ब्राज़ेविच ने इस प्रस्ताव को ख़ारिज किया है और इसे देश के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप का एक और प्रयास क़रार दिया है.
उन्होंने माना कि बेलारूस के कुछ शहरों में उथल-पुथल हुई है, और इन प्रदर्शनों का उद्देश्य क़ानूनी रूप से निर्वाचित सरकार का विरोध करना रहा है, और इसे
“कुछ योरोपीय देशों से समर्थन भी प्राप्त था. लेकिन इससे लोकतान्त्रिक प्रक्रियाएँ कमज़ोर होती हैं.”
पुर्तगाल के स्थाई प्रतिनिधि ने म्याँमार पर प्रस्ताव को पेश करते हुए कहा कि देश के सत्तासीनों ने अपने क्रूर दमन को तेज़ किया है और उनकी जवाबदेही तय की जानी होगी.
उन्होंने कहा कि बल प्रयोग रोका जाना होगा और स्थानीय लोगों को अपने अधिकारों का इस्तेमाल करने की अनुमति दी जानी होगी.
“योरोपीय संघ, सैन्य प्रशासन से आपातकाल व मार्शल लॉ के हालात का अन्त करने और निर्वाचित नागरिक सरकार को बहाल करने का आहवान करता है.”
“हम राष्ट्रपति विन म्यिन्त, स्टेट काउंसलर आँग सान सू चीन और मनमाने ढँग से हिरासत में लिये गए अन्य लोगों की रिहाई की माँग करते हैं.”
बिना मतदान के पारित इस प्रस्ताव में, मानवाधिकार परिषद ने म्याँमार की सम्प्रभुता, राजनैतिक स्वतन्त्रता, क्षेत्रीय अखण्डता और एकता के लिये मज़बूत संकल्प को पुष्ट किया है.
11 पन्नों के इस दस्तावेज़ में म्याँमार के लिये ‘स्वतन्त्र जाँच तन्त्र’ को समर्थन जारी रखने का भी वादा किया गया है, जिसे परिषद ने पहले स्थापित किया था.
इसका उद्देश्य, म्याँमार में वर्ष 2011 से अन्तरराष्ट्रीय क़ानूनों के हनन व सबसे गम्भीर अन्तरराष्ट्रीय अपराधों के मामलों के सबूत एकत्र करना, तथ्यों को संरक्षित रखना और उनका विश्लेषकर व जाँच करना है.
म्याँमार के विदेश मामलों के मन्त्रालय में उपमन्त्री चॉ म्यो ह्तुत ने प्रस्तावों और भविष्य में अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (International Criminal Court) द्वारा अभियोजन की सम्भावनाओं को ख़ारिज किया है.
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ऐसे किसी भी क़दम को मज़बूती से ख़ारिज किया है, जो म्याँमार को अन्तरराष्ट्रीय न्यायिक प्रणाली की दिशा में ले जा सकता है, और ऐसे किसी भी फ़ैसले को जिससे घरेलू न्यायिक तन्त्र की प्रक्रियाएँ प्रभावित होती हों.
“आईसीसी के सम्बन्ध में, हमारा रुख़ एकदम स्पष्ट है, चूँकि म्याँमार उसके न्यायिक अधिकार क्षेत्र में नहीं है.”
मानवाधिकार परिषद का 47वाँ सत्र 21 जून 2021 से 9 जुलाई 2021 तक आयोजित किया जाएगा.