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म्याँमार: हिंसा, विरोध प्रदर्शनों के बीच सुरक्षा परिषद की दृढ़ता व एकजुटता पर बल

म्याँमार के लिये विशेष दूत, क्रिस्टीन श्रेनर बर्गनर.
UN Photo/Loey Felipe
म्याँमार के लिये विशेष दूत, क्रिस्टीन श्रेनर बर्गनर.

म्याँमार: हिंसा, विरोध प्रदर्शनों के बीच सुरक्षा परिषद की दृढ़ता व एकजुटता पर बल

शान्ति और सुरक्षा

म्याँमार के लिये संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत क्रिस्टीना श्रेनर बर्गनर ने आगाह किया है कि देश में राजनैतिक संकट के बीच स्थानीय लोगों ने सुरक्षा परिषद और यूएन के सदस्य देशों से, तख़्तापलट के लिये ज़िम्मेदार सैन्य नेतृत्व के ख़िलाफ़ कार्रवाई का इन्तज़ार है, लेकिन यह उम्मीद धूमिल होती जा रही है. उन्होंने शुक्रवार को सुरक्षा परिषद की बैठक को सम्बोधित करते हुए ज़ोर देकर कहा कि म्याँमार के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की एकता और दृढ़ता पहले से कहीं ज़्यादा अहम है.

म्याँमार में जारी विरोध प्रदर्शनों में हताहतों की संख्या लगातार बढ़ रही है, मौजूदा हालात के मद्देनज़र, विशेष दूत क्रिस्टीन श्रेनर बर्गनर ने शुक्रवार को बन्द दरवाज़ों के पीछे सुरक्षा परिषद की बैठक का स्वागत किया. 

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सुरक्षा परिषद में प्रस्तावों और वक्तव्यों को वीटो करने की शक्ति, पाँच स्थाई सदस्य देशों के पास है: चीन, फ्राँस, रूस, ब्रिटेन, और अमेरिका.  

उन्होंने सदस्य देशों के प्रतिनिधियों को ध्यान दिलाया कि म्याँमार पर उनकी एकता, पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है. 

विशेष दूत ने बताया कि वो, सेना द्वारा 1 फ़रवरी को सत्ता पर क़ब्ज़ा कर लिये जाने के बाद से ही, देश में विभिन्न समुदायों के साथ सम्पर्क बनाए हुए हैं. 

उन्होंने बताया कि संकल्पित सिविल अधिकारी वास्तविक नायक हैं, और देश की लोकतान्त्रिक प्रगति के संरक्षक हैं. 

क्रिस्टीन श्रेनर बर्गनर ने आगाह किया कि संयुक्त राष्ट्र और उसके सदस्यों से, उन्हें जिस आशा का संचार हुआ था, वो धूमिल हो रही है. 

उन्होंने बताया कि हर दिन उन्हें दो हज़ार से ज़्यादा सन्देश मिल रहे हैं, जिनमें देश की जनता, लोकतान्त्रिक सिद्धान्तों की रक्षा के लिये अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई की पुकार लगा रही है. 

विशेष दूत ने सुरक्षा परिषद से आग्रह किया है कि हिंसा पर विराम लगाने और लोकतान्त्रिक संस्थाओं को पुनर्बहाली करने के लिये क़दम उठाए जाने की दरकार है. 

हताहतों की बड़ी संख्या

यूएन की विशेष दूत श्रेनर बर्गनर के अनुसार अब तक निर्दोष और शान्तिपूर्ण ढँग से प्रदर्शन कर रहे,  50 से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं जबकि बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए हैं. 

उन्होंने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि ऐसे सबूत एकत्र हो रहे हैं जो दर्शाते हैं कि सेना द्वारा लोगों को चुनचुनकर निशाना बनाया जा रहा है, जोकि अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानूनों का उल्लंघन है. 

यूएन मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार, 2 मार्च तक, प्रदर्शन कर रहे एक हज़ार से ज़्यादा लोगों को या तो हिरासत में लिया चुका था, या उनके बारे में जानकारी नहीं थी.  

विशेष दूत ने कहा, “यह अहम है कि यह परिषद, नवम्बर में चुनाव नतीजों के समर्थन में, सुरक्षा बलों को नोटिस देने और म्याँमार की जनता के साथ मज़बूती से खड़े होने के लिये, दृढ़ और सामंजस्यपूर्ण रहे.”

इन चुनावों में आँग सान सू ची की पार्टी ने बड़ी जीत हासिल की थी, मगर सेना ने चुनावों में धांधली का आरोप लगाते हुए उन्हें व अन्य राजनैतिक नेताओं को हिरासत में ले लिया था. 

क्रिस्टीन श्रेनर बर्गनर ने बताया कि संकट के दौरान उन्होंने सभी पक्षों के साथ सम्वाद को क़ायम रखा है और उसे आने वाले दिनों में भी जारी रखने का प्रयास किया जाएगा. 

चुनौतियों में घिरा देश

हिंसा और दमन के साथ-साथ, देश में कोरोनावायरस के फैलाव की रोकथाम के लिये वैक्सीनों के टीकाकरण अन्य नियमित टीकाकरण कार्यक्रमों पर फ़रवरी की शुरुआत से ही विराम लग गया है. 

इससे अनेक मोर्चों पर आपात स्वास्थ्य हालात पैदा होने का ख़तरा उत्पन्न हो रहा है. 

इसके साथ-साथ, देश में पिछले एक दशक में हुई आर्थिक प्रगति और एकीकरण पर भी जोखिम मंडरा रहा है. 

“मौजूदा संकट ने कामगारों, उत्पादकों, उद्यम स्वामियों, घरेलू और अन्तरराष्ट्रीय निवेशकों को अभूतपूर्व रूप से प्रभावित किया है.”

म्याँमार में, 1 फ़रवरी को सेना द्वारा तख़्तापलट के बाद, देश भर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं.
ILO Photo/Marcel Crozet
म्याँमार में, 1 फ़रवरी को सेना द्वारा तख़्तापलट के बाद, देश भर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं.

“लोग आपाधापी में एटीएम जाकर अपनी बचत राशि निकाल रहे हैं, चूँकि उन्हें बैंकिंग व्यवस्था के ढह जाने का डर है...अन्तरराष्ट्रीय धन प्रेषण भी रुक गया है और अनेक यूएन एजेंसियों के खाते भी ठप हैं.”

उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि इन चुनौतियों के बीच मानवीय आवश्यकताएँ अब भी बरक़रार हैं. दस लाख से ज़्यादा लोग सहायता की तलाश में हैं, और इनमें से बड़ी संख्या में लोग ऐसे इलाक़ों में रहने को मजूबर हैं जोकि मौजूदा समय या अतीत में हिंसक संघर्ष से प्रभावित रह चुके हैं. 

विशेष दूत ने सदस्य देशों का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि यह सभी का सामूहिक दायित्व है कि रक्षाविहीनों को सुरक्षा प्रदान की जाए.

उनके मुताबिक़, म्याँमार की जनता की आशाओं को पूरा करना, सुरक्षा परिषद के एकजुट समर्थन और कार्रवाई पर निर्भर है.