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कोविड-19 से उबरने के बावजूद लक्षणों की पीड़ा - स्वास्थ्य प्रणालियों पर बोझ की आशंका

यूक्रेन के एक अस्पताल में आईसीयू वार्ड में एक लड़की का इलाज हो रहा है.
© UNICEF/Evgeniy Maloletka
यूक्रेन के एक अस्पताल में आईसीयू वार्ड में एक लड़की का इलाज हो रहा है.

कोविड-19 से उबरने के बावजूद लक्षणों की पीड़ा - स्वास्थ्य प्रणालियों पर बोझ की आशंका

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि कोरोनावायरस संक्रमण से उबरने के बावजूद लम्बे समय तक उसके लक्षणों के माध्यम से, पीड़ित मरीज़ों की अवस्था समझने के लिये और ज़्यादा शोध किये जाने की आवश्यकता है. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने आशंका जताई है कि ऐसे मरीज़ों की बढ़ती संख्या का असर, वैश्विक स्वास्थ्य प्रणालियों पर होगा. 

यूएन एजेंसी में स्वास्थ्य देखभाल की तैयारी के लिये बने विभाग में प्रमुख डॉक्टर जैनेट डिएज़ ने शुक्रवार को पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए बताया, “हम कोविड-19 के बाद की इस अवस्था को जानते हैं, या जैसाकि कुछ मरीज़ और निदानविद् (Clinicians) इसे लाँग कोविड कहते हैं.”

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‘Long Covid’ या लम्बी अवधि का कोविड एक ऐसी अवस्था है, जिसमें कोविड संक्रमण से ठीक होने के बाद भी, लोगों को दीर्घकालीन स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. 

इन लक्षणों में बेहद थकान का अनुभव होना, कमज़ोरी, खाँसी सहित अन्य लक्षण हैं.

“इसलिये, ये ऐसे लक्षण या जटिलताएँ हैं जो एक महीने बाद, तीन महीने बाद, यहाँ तक की छह महीने बाद तक हो सकते हैं, और जैसे-जैसे हमारी समझ बढ़ रही है, हम इस अवस्था की वास्तविक अवधि को समझने का प्रयास कर रहे हैं.”

डॉक्टर डिएज़ ने तन्त्रिका सम्बन्धी (Neurological) और शारीरिक पीड़ा के लक्षणों का उल्लेख करते हुए बताया कि बहुत से पीड़ित, कोरोनावायरस संक्रमण से उबरने के बाद बावजूद, कामकाज फिर शुरू करने में सक्षम नहीं हैं.

उन्होंने कहा कि कोविड-19 संक्रमण के मरीज़ों की बड़ी संख्या और महामारी के आकार के मद्देनज़र ये चिन्ता व्याप्त है कि ऐसे मामलों से स्वास्थ्य प्रणालियों पर भार बढ़ेगा.”

इस अवस्था के सम्बन्ध में अभी विस्तृत आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन यूएन विशेषज्ञ के अनुसार ये लक्षण वास्तविक हैं.

वास्तविक है पीड़ा

बताया गया है कि थकान, कमज़ोरी, ज़रा भी शारीरिक या मानसिक दबाव पड़ने पर तबीयत बिगड़ने, और संज्ञानात्मक (Cognitive) व्यवहार पर असर होने सहित अन्य लक्षण हैं. 

विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे कोरोनावायरस संक्रमण के मरीज़ों के बारे में जानकारी जुटानी होगी, जिन्हें आईसीयू देखभाल की आवश्यकता नहीं थी, लेकिन फिर भी उन्हें लाँग कोविड के लक्षणों का सामना करना पड़ रहा है. 

उन्होंने कहा कि जो मरीज़ अस्पताल में भर्ती हुए और जिन्हें गम्भीर बीमारी के कारण, गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में रखा गया, उनमें ये लक्षण देखे गए हैं.

लेकिन अस्पतालों के बाहर ही, कोविड-19 संक्रमण से उबरने वाले मरीज़ों को भी जटिलताओं का सामना करना पड़ा है, और या तो उनके लक्षण पूरी तरह से ख़त्म नहीं हुए हैं, या फिर नए लक्षण दिखाई दिये हैं. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने, कोविड-19 से उबरने के बावजूद अस्वस्थता की अवस्थता के प्रति पूर्ण समझ विकसित करने और मरीज़ों की देखभाल सुनिश्चित करने के लिये, चिकित्सकों और मरीज़ों से जानकारी मुहैया कराने के लिये कहा है. 

यह जानकारी यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के क्लीनीकल प्लैटफ़ॉर्म के ज़रिये प्रदान की जानी होगी, जिसके लिये फ़ॉर्म, अनेक भाषाओं में उबलब्ध कराया गया है.

डॉक्टर डिएज़ ने बताया कि अभी यह बताना सम्भव नहीं है, कि ये क्यों हो रहा है, लेकिन शोधकर्ता इन सवालों के जवाब ढूँढने के लिये कड़ी मेहनत कर रहे हैं.  

वैक्सीन पर समझौता

कोविड-19 पर वैक्सीन के इन्तज़ाम के लिये हो रहे प्रयासों के तहत संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने, शुक्रवार को Pfizer-BioNTech वैक्सीन के वितरण पर समझौते की घोषणा की है. इसकी शुरुआत मार्च महीने के अन्त से पहले होने की सम्भावना जताई गई है. 

यह समझौता, विश्व स्वास्थ्य संगठन व साझीदार संगठनों के नेतृत्व में स्थापित ‘कोवैक्स पहल’ के तहत किया गया है, जिसका उद्देश्य विकासशील व ज़रूरतमन्द देशों के लिये वैक्सीनें मुहैया कराना है.

इस आपूर्ति समझौते से यूनीसेफ़ चार करोड़ वैक्सीन ख़ुराकें ख़रीद सकेगा.

Pfizer-BioNTech कोविड-19 के लिये पहली ऐसी वैक्सीन है, जिसे यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की ओर से आपात इस्तेमाल की मंज़ूरी मिली है.  

इसके भण्डारण के लिये बेहद कम तापमान की व्यवस्था करनी होती है, जिसे सुनिश्चित करने के लिये, यूनीसेफ़ अपने साझीदार संगठनों के साथ मिलकर सरकारों को सहायता प्रदान कर रहा है. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, अब तक कोरोनावायरस के संक्रमण के 10 करोड़, 72 लाख मामलों की पुष्टि हो चुकी है और 23 लाख, 55 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है.