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कोविड-19: संक्रमण व मौतों की संख्या में कमी, मगर वैक्सीन वितरण में चुनौतियाँ बरक़रार

ईरान के तेहरान में एक स्वास्थ्य केन्द्र में फ़ार्मेसी.
WHO
ईरान के तेहरान में एक स्वास्थ्य केन्द्र में फ़ार्मेसी.

कोविड-19: संक्रमण व मौतों की संख्या में कमी, मगर वैक्सीन वितरण में चुनौतियाँ बरक़रार

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के संक्रमण फैलाव और उससे होने वाली मौतों की संख्या में दुनिया भर में गिरावट दर्ज की गई है जोकि एक सकारात्मक संकेत है. लेकिन यूएन एजेंसी ने, साथ ही आगाह भी किया है कि टीकाकरण अभियान के बीच, न्यायसंगत वैक्सीन वितरण के लिये यूएन की पहल, कोवैक्स, के समक्ष अब भी  बड़ी चुनौतियाँ मौजूद  हैं, जिनसे तत्काल निपटे जाने की आवश्यकता है. 

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी प्रमुख टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने, गुरूवार को, संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को जानकारी देते हुए बताया कि ‘ACT Accelerator’ पहल में, 27 अरब डॉलर की कमी है जोकि चिन्ता का कारण है.

कोवैक्स, इसी व्यापक पहल की वैक्सीन इकाई है.  इस पहल का उद्देश्य कोरोनावायरस के लिये परीक्षण, निदान, उपचार और वैक्सीन को, दुनिया भर में न्यायसंगत ढँग से उपलब्ध कराना है. 

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उन्होंने कहा कि बहुत से देश द्विपक्षीय समझौते कर रहे हैं, और अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के बजाय कोवैक्स अनुबन्धों का सम्मान करना होगा,  

यूएन एजेंसी के महानिदेशक ने, साथ ही ज़ोर देकर कहा कि टीकों का उत्पादन नवाचारी साझेदारियों के ज़रिये तेज़ गति से बढ़ाए जाने की आवश्यकता है.

इसके लिये तकनीक व लाइसेंस के हस्तान्तरण सहित अन्य उपाय अपनाने होंगे ताकि उत्पादन सम्बन्धी समस्याओं से निपटा जा सके. 

कोविड-19 संक्रमणों में गिरावट

इस बीच, दुनिया भर में कोविड-19 संक्रमण के मामलों में लगातार गिरावट आ रही है और पिछले हफ़्ते की तुलना में इस सप्ताह, 17 फ़ीसदी कम मामले दर्ज किये गए हैं.

यह लगातार चौथा हफ़्ता है जब संक्रमणों की संख्या में गिरावट आई है. मौतों की संख्या में भी लगातार दूसरे सप्ताह कमी आई है. 

यूएन एजेंसी के महानिदेशक ने बताया कि पिछले सप्ताह, 88 हज़ार लोगों की मौतें होने की पुष्टि हुई थी, जोकि एक भयावह संख्या है, लेकिन उससे पहले के हफ़्ते की संख्या की तुलना में 10 प्रतिशत कम थी. 

बताया गया है कि बहुत से देश बुनियादी सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय कड़ाई से लागू कर रहे हैं, और इसका असर संक्रमणों की संख्या में आई गिरावट में नज़र आ रहा है.

लेकिन महानिदेशक घेबरेयेसस ने सचेत भी किया कि ऐसा पहले हो चुका है, और यह समय अभी ढिलाई बरतने का समय नहीं है, और सतर्कता बनाए रखने की आवश्यकता है. 

उन्होंने कहा कि अब होने वाली हर एक मौत त्रासदीपूर्ण है, चूँकि टीकाकरण मुहिम की शुरुआत हो चुकी है और उसे आगे बढ़ाया जा रहा है.

वायरस के नए रूप

कोरोनावायरस का व्यापक स्तर पर फैलाव अब भी जारी है और उसकी नई क़िस्में भी उभर रही है. 

महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा कि यह अनपेक्षित नहीं था लेकिन इस महामारी पर क़ाबू पाने में वैश्विक प्रयासों को और ज़्यादा तेज़ किये जाने की आवश्यकता को दर्शाता है. 

उन्होंने ध्यान दिलाया है कि जब दुनिया में कहीं भी, जब भी, कोई वायरस अपना रूप बदलता है, उससे वैक्सीनों, दवाओं और परीक्षणों की क्षमता पर असर पड़ने की आशंका बढ़ जाती है. 

हाल ही में एक नए शोध के नतीजे दर्शाते हैं कि ऑक्सफ़र्ड-ऐस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन, कोरोनावायरस के नए प्रकार से होने वाले मामूली से सामान्य संक्रमण की रोकथाम में ज़्यादा कारगर नहीं है. 

यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि अभी यह पक्के तौर पर जानकारी नहीं है, कि यह वैक्सीन गम्भीर बीमारी की रोकथाम कर पाने में सक्षम है या नहीं. 

“ये नतीजे हमें फिर से ध्यान दिलाते हैं कि वायरस के फैलाव को रोकने के लिये साबित हो चुके बुनियादी सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय लागू करते रहने में हरसम्भव प्रयास करने होंगे.” 

साथ ही वैक्सीनों में भी ज़रूरत के अनुसार बदलाव किये जाने होंगे ताकि उनकी प्रभावशीलता को बरक़रार रखा जा सके. ठीक वैसे ही जैसे फ़्लू की वैक्सीन के लिए साल में दो बार बदलाव किये जाते हैं.

वूहान से लौटी जाँच टीम 

यूएन एजेंसी प्रमुख टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि कोरोनावायरस के स्रोत की जाँच में जुटी स्वतन्त्र विशेषज्ञों की टीम ने चीन का अपना दौरा पूरा कर लिया है.

इस अन्तरराष्ट्रीय टीम में ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, जर्मनी, जापान, रूस, अमेरिका, ब्रिटेन सहित कुछ अन्य देशों के विशेषज्ञ शामिल थे.

यूएन एजेंसी के महानिदेशक ने कहा, “यह बेहद कठिन परिस्थितियों में सम्पन्न किया गया एक बेहद अहम वैज्ञानिक कार्य साबित हुआ है.” 

यूएन विशेषज्ञों की टीम अभी अपनी अन्तिम रिपोर्ट पर काम कर रही है. 

पहले विशेषज्ञों ने कुछ ही दिन एक प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा था कि वायरस के किसी प्रयोगशाला से बाहर निकलने की सम्भावना बेहद कम है. 
लेकिन इन अवधारणाओं को ख़ारिज किये जाने के तरीक़े पर सवाल उठे हैं. 

यूएन एजेंसी के महानिदेशक ने ज़ोर देकर कहा कि सभी अवधारणाएँ अभी पूरी तरह से खुली हैं, व अभी और अध्ययन किये जाने की आवश्यकता है.