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अफ़ग़ानिस्तान में बन्दियों को यातना दिये जाने के आरोप, नई रिपोर्ट में चिन्ता 

अफ़ग़ानिस्तान के हेरात में एक महिला क़ैदी खिड़की के पास खड़ी है.
© UNICEF/Sebastian Rich
अफ़ग़ानिस्तान के हेरात में एक महिला क़ैदी खिड़की के पास खड़ी है.

अफ़ग़ानिस्तान में बन्दियों को यातना दिये जाने के आरोप, नई रिपोर्ट में चिन्ता 

मानवाधिकार

अफ़ग़ानिस्तान में सुरक्षा व्यवस्था और आतंकवाद सम्बन्धी अपराधों के आरोपों में हिरासत में लिये गए एक-तिहाई से ज़्यादा बन्दियों को यातना और अन्य प्रकार के दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा है. अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (UNAMA) और यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय द्वारा साझा रूप से बुधवार को जारी एक नई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है. 

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अफ़ग़ानिस्तान में यूएन मिशन और यूएन मानवाधिकार कार्यालय की यह रिपोर्ट, 1 जनवरी 2019 से 31 मार्च 2020 की अवधि पर आधारित है.  

रिपोर्ट के लिये, 656 पुरुषों, महिलाओं और बच्चों से बात की गई जिन पर सुरक्षा और आतंकवाद से जुड़े अपराधों में शामिल होने का सन्देह है, या उन पर इस आशय के आरोप लगे हैं, और कुछ मामलों में दोष साबित हुए हैं. 

इन व्यक्तियों को अफ़ग़ानिस्तान के अलग-अलग हिस्सों में 64 हिरासत केन्द्रों में रखा गया है. 

वर्ष 2017-2018 की तुलना में यातना का शिकार होने का दावा करने वाले बन्दियों की संख्या में मामूली गिरावट आई है लेकिन ताज़ा आँकड़े चिन्ताजनक हैं.

जिन व्यक्तियों से बात की गई उनमें से 30 प्रतिशत का कहना है कि उनके साथ ऐसा बर्ताव किया गया.

रिपोर्ट बताती है कि यातना दिये जाने पर, अन्तरराष्ट्रीय और अफ़ग़ान क़ानून प्रणाली के तहत प्रतिबन्ध है और ऐसी घटनाओं को, किसी भी तरह के हालात में स्वीकृति नहीं दी जा सकती, और ना ही सही ठहराया जा सकता है. 

प्रक्रिया का पालन नहीं

रिपोर्ट के मुताबिक़ बन्दियों के लिये प्रक्रिया सम्बन्धी सुरक्षा उपायों का पालन कभी-कभार ही किया जाता है.

मोटे तौर पर ऐसा कोई मामला नहीं दिखा जिसमें बन्दियों को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी दी गई हो या फिर पूछताछ से पहले वकील उपलब्ध कराए गए हों. 

बहुत कम संख्या में ऐसे बन्दी देखने को मिले जिनकी चिकित्सा जाँच कराई गई या फिर उन्हें हिरासत के शुरुआती दिनों में अपने परिवार से सम्पर्क करने की अनुमति दी गई.

क़रीब पचास फ़ीसदी बन्दियों से काग़ज़ात पर उनके हस्ताक्षर या अँगूठा लगवाते समय, उन पर लिखित ब्यौरा नहीं बताया गया, जिससे अभियोजन प्रक्रिया सवालों के घेरे में आती है. 

रिपोर्ट के मुताबिक प्रक्रियात्मक उपाय लागू करने में विफलता के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय में बन्दियों को एकातन्तवास या बिना किसी सम्पर्क के हिरासत में रखे जाने के मामले बढ़ रहे हैं. 

बताया गया है कि निर्धारित प्रक्रिया के असरदार पालन के ज़रिये, यातना दिये जाने के मामलों में कमी लाई जा सकती है. साथ ही इससे आम जनता का सार्वजनिक संस्थाओं, विधि व्यवस्था से जुड़ी एजेंसियों और क़ानून के राज में भरोसा बढ़ेगा.

इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट में कन्दाहार में जबरन गुमशुदगी के बढ़ते मामलों पर चिन्ता जताई गई है जो कथित तौर पर अफ़ग़ान राष्ट्रीय पुलिस से जुड़े हैं. 

इन मामलों की उपयुक्त जाँच कराए जाने और दोषियों की जवाबदेही तय किये जाने पर बल दिया गया है. 

रिपोर्ट में अफ़ग़ान सरकार द्वारा हिरासत में यातना की रोकथाम के लिये उठाए गए क़दमों की शिनाख़्त की गई है लेकिन इस पर विराम लगाने के लिये और ज़्यादा उपाय करने पर बल देते हुए सिफ़ारिशें जारी की गई हैं.

इन उपायों के तहत क़ानून प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमता बढ़ाना, उन्हें संसाधन उपलब्ध कराना और समुचित प्रशिक्षण मुहैया कराया जाना अहम होगा.