लोगों को मनमाने ढंग से हिरासत में रखे जाने पर विराम लगाने की पुकार

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) वोल्कर टर्क ने विश्व भर के देशों की सरकारों से आग्रह करते हुए कहा है कि लोगों को मनमाने ढंग से हिरासत में रखे जाने की घटनाओं पर सदैव के लिये रोक लगाने की दरकार है.
वर्ष 2023 में ‘मानवाधिकारों के सार्वभौमक घोषणापत्र” (Universal Declaration of Human Rights/UDHR) के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं.
UN Human Rights Chief @volker_turk calls for end to arbitrary detention, incl. those who speak up on environment, climate, discrimination, abuses & corruption, as well as journalists & human rights defenders. https://t.co/31irzQB5BW https://t.co/vZd5mSY867
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यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने बुधवार को अपना एक वक्तव्य जारी किया जिसमें दुनिया भर में सरकारों, हिरासत केन्द्र प्रशासनों से उन सभी बन्दियों को रिहा किये जाने, आम माफ़ी दिये जाने की अपील की है, जिन्हें अपने अधिकारों का इस्तेमाल करने के कारण, हिरासत में रखा गया था.
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा, “अपने दिलों की आवाज़ सुनिये, इन मामलों की समीक्षा कीजिये, और इस वर्ष के आरम्भ में सार्वभौमिक घोषणापत्र की दूरदृष्टि की दिशा में क़दम रखने का विकल्प चुनिये.”
“एक ऐसी दुनिया जहाँ सभी व्यक्ति, गरिमा व अधिकारों के साथ, स्वतंत्र और समान रूप में जीवन जियें.”
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 10 दिसम्बर 1948 को पेरिस में ‘मानवाधिकारों का सार्वभौमक घोषणापत्र’ पारित किया था.
इस ऐतिहासिक दस्तावेज़ में पहली बार पुरज़ोर ढंग से सन्देश दिया गया कि बुनियादी मानवाधिकारों की सार्वभौमक रक्षा की जानी होगी. इस दस्तावेज़ को अब तक 500 से अधिक भाषाओं में अनुवादित किया जा चुका है.
वर्ष 2023 के दौरान, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय द्वारा एक मुहिम के तहत यह रेखांकित किया जाएगा कि इस सार्वभौमक घोषणापत्र की प्रासंगिकता व अहमियत अब भी बरक़रार है.
इस क्रम में, तीन अहम विषयों पर गतिविधियों व पैरोकारी प्रयास संचालित किये जाएंगे: सार्वभौमिकता व अविभाज्यता को बढ़ावा, भविष्योन्मुख दृष्टि, मानवाधिकारों के पारिस्थितिकी तंत्र की सततता.
वोल्कर टर्क ने कहा कि इस वर्ष जब उन्होंने अपने परिवार के साथ नए साल का आरम्भ किया तो उनके दिलो-दिमाग़ में, हिरासत केन्द्रों में रहने के लिये मजबूर बन्दियों और उनके प्रियजनों का ख़याल आया.
उनके अनुसार इन लोगों को अपने मानवाधिकारों का इस्तेमाल करने के लिये जेल में डाला गया है.
इन बन्दियों में पर्यावरण या जलवायु कार्यकर्ता, भेदभाव के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलन्द करने के साथ-साथ वे लोग भी हैं, जिन्होंने दुर्व्यवहार, भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर किया है.
पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को भी अपनी अति महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी निभाने के लिये जेल में बन्द कर दिया गया.
यूएन के शीर्ष अधिकारी ने सभी सत्तासीन लोगों से आग्रह किया है कि मनमाने ढंग से हिरासत में लिये जाने के मामलों पर सार्वभौमिक घोषणापत्र के अनुरूप क़दम उठाते हुए, सदैव के लिये रोक लगानी होगी.