इसराइल से आग्रह, यातना और दुर्व्यवहार के लिये दण्डमुक्ति ख़त्म हो

संयुक्त राष्ट्र के स्वतन्त्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने सोमवार को एक बयान जारी किया है जिसमें इसराइल से यातना और बुरे बर्ताव के मामलों के दोषियों की जवाबदेही तय किये जाने का आग्रह किया गया है. अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत अमानवीय, अपमानजनक और क्रूर बर्ताव पर सार्वभौमिक पाबन्दी है.
इसराइल में, अटॉर्नी जनरल (महान्यायवादी) ने इसराइली सुरक्षा एजेंसियों द्वारा फ़लस्तीन के सामेर अल-अरबीद से, कथित रूप से बलपूर्वक पूछताछ किये जाने के मामले में, जाँच, जनवरी 2021 में, बन्द कर दी थी.
इसराइली अटार्नी-जनरल के इस फ़ैसले के बाद यातना व क्रूर, अमानवीय, अपमानजनक बर्ताव या दण्ड पर यूएन के विशेष रैपोर्टेयर निल्स मेल्ज़र और इसराइल द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़ों में मानवाधिकारों के हालात पर रैपोर्टेयर माइकल लिंक सहित अन्य यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों की ओर से यह अपील जारी की गई है.
#Israel: UN experts are alarmed at failure to prosecute, punish and redress #torture & ill-treatment of a detained Palestinian. They urge the Government to ensure full accountability.Torture victims must receive full redress and rehabilitation.Read 👉 https://t.co/LU2f5MnJAO pic.twitter.com/mlo4qWLHUZ
UN_SPExperts
सामेर अल-अरबीद को वर्ष 2019 में बम धमाके में शामिल होने के सन्देह में हिरासत में लिया गया था.
यूएन के स्वतन्त्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने अपने वक्तव्य में कहा कि इसराइल, अल-अरबीद के साथ हुए दुर्व्यवहार और उन्हें यातना दिये जाने के मामले में दोषियों पर आरोप तय करने और उन्हें दण्डित करने में विफल रहा है, जोकि चिन्ता का विषय है.
“इस तरह के बुरे बर्ताव से निपटना सरकार या न्यायपालिका के विवेक पर निर्भर नहीं है, बल्कि अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत एक परम दायित्व है”
अल-अरबीद को सुरक्षा एजेंसियों ने क़ाबिज़ पश्चिमी तट पर अगस्त 2019 में हुए एक कथित हमले के बाद गिरफ़्तार किया था जिसमें एक 17 वर्षीय इसराइली युवती की मौत हो गई थी और उसके पिता व भाई घायल हो गए थे.
बताया गया है कि 25 सितम्बर 2019 को हिरासत में लिये जाने के दौरान अल-अरबीद पूर्ण रूप से स्वस्थ था, लेकिन हिरासत में लिये जाने के 48 घण्टों के भीतर अल-अरबीद को गम्भीर चोटों के इलाज के लिये अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा और इन चोटों ने उसकी ज़िन्दगी के लिये ख़तरा पैदा कर दिया था.
अर-अरबीद अब ऐसी शारीरिक व मनोचिकित्सक अवस्था से पीड़ित है जिसका पूरी तरह से इलाज सम्भव नहीं है.
यूएन विशेषज्ञों ने कहा कि हम तथाकथित कड़ाई से की जाने वाली पूछताछ के ऐसे तरीक़ों और अभूतपूर्व उपायों के इस्तेमाल से चिन्तित हैं.
उनके मुताबिक़ इन तरीक़ों के इस्तेमाल के कारण, कथित रूप से अपराध जबरन स्वीकार कर लिया गया, जबकि यातना व बुरे बर्ताव का सार्वभौमिक निषेध इसी की रोकथाम करने पर लक्षित है.
विशेष रैपोर्टेयर ने कहा है कि सुरक्षा एजेंसियों के एजेण्टों को आपराधिक मुक़दमे चलाए जाने के ख़िलाफ़ बचाव प्रदान किया जाना, इसराइली न्यायिक प्रणाली की एक गम्भीर ख़ामी है.
इससे उन व्यक्तियों से बलपूर्वक पूछताछ किये जाने का रास्ता खुलता है जिन पर सैन्य अभियानों से सम्बन्धित जानकारी रखने का सन्देह होता है.
“यह पथभ्रष्ट बचाव, दरअसल यातना या अन्य क्रूर, अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार या सज़ा जैसे जाँच उपायों के लिये दण्डमुक्ति प्रदान करता है.”
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने आग्रह किया है कि इसराइली एजेंसियों को तात्कालिक रूप से ऐसे क़ानूनों, नियामकों और नीतियों की समीक्षा करनी होगी जिनसे मानवाधिकारों के ऐसे गम्भीर उल्लंघनों को बढ़ावा मिलता हो.
उन्होंने स्पष्ट किया है कि देशों का यह क़ानूनी दायित्व है कि यातना और बुरे बर्ताव के ऐसे मामलों की रोकथाम की जाए और ऐसे कृत्यों के दोषियों को दण्ड मिले.
इसके साथ-साथ पीड़ितों को पर्याप्त सहायता व पुनर्वास सुनिश्चित किया जाना होगा.
स्पेशल रैपोर्टेयर और वर्किंग ग्रुप संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की विशेष प्रक्रिया का हिस्सा हैं. ये विशेष प्रक्रिया संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार व्यवस्था में सबसे बड़ी स्वतन्त्र संस्था है. ये दरअसल परिषद की स्वतन्त्र जाँच निगरानी प्रणाली है जो किसी ख़ास देश में किसी विशेष स्थिति या दुनिया भर में कुछ प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केन्द्रि करती है. स्पेशल रैपोर्टेयर स्वैच्छिक रूप से काम करते हैं; वो संयक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं और उन्हें उनके काम के लिए कोई वेतन नहीं मिलता है. ये रैपोर्टेयर किसी सरकार या संगठन से स्वतन्त्र होते हैं और वो अपनी निजी हैसियत में काम करते हैं.