युद्ध-पीड़ित अफ़ग़ानिस्तान के लिये 1.3 अरब डॉलर की सहायता राशि की ज़रूरत
संयुक्त राष्ट्र एजेंसियाँ और उसके मानवीय राहत साझीदार संगठनों ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में डेढ़ करोड़ से ज़्यादा ज़रूरतमन्दों तक जीवनरक्षक सहायता पहुँचाने के लिये एक अरब 30 करोड़ डॉलर की धनराशि की आवश्यकता है. यूएन एजेंसियों के मुताबिक दशकों से हो रही हिंसा, प्राकृतिक आपदाओं और कोरोनावायरस संकट के सामाजिक-आर्थिक व स्वास्थ्य प्रभावों के कारण अफ़ग़ान जनता गम्भीर चुनौतियोँ से जूझ रही है.
अफ़ग़ानिस्तान में मानवीय सहायता के ज़रूरतमन्दों की संख्या में चार वर्ष पहले की तुलना में छह गुणा बढ़ोत्तरी हुई है जब क़रीब 23 लाख लोगों को मानवीय राहत प्रदान करने की आवश्यकता समझी गई थी.
The 2021 Afghanistan🇦🇫 Humanitarian Response Plan is now available!US$1.3 billion is needed to reach 15.7 million people in need of life-saving humanitarian support https://t.co/2UWJ4pSzfE pic.twitter.com/kICgfPtPxd
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बताया गया है कि बच्चों के लिये मौजूदा हालात विशेष रूप से चिन्ताजनक हैं.
यूएन प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने सोमवार को बताया, “अनुमान के मुताबिक पाँच वर्ष से कम आयु के हर दो में से एक बच्चे को इस वर्ष गम्भीर कुपोषण का सामना करना पड़ेगा.”
लोगों के रोज़गार खोने के कारण भुखमरी बढ़ रही है और वर्ष 2021 में अफ़ग़ानिस्तान की आधी आबादी को गुज़ारे के लिये मानवीय राहत सहायता की आवश्यकता होगी.
हताशा में घिर रहे लोग
मानवीय राहत मामलों में समन्वय के लिये संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (OCHA) के अनुसार अफ़ग़ानिस्तान में एक करोड़ 84 लाख लोगों को मदद की आवश्यकता है.
कोरोनावायरस संकट के कारण ज़रूरतमन्दों की संख्या में तेज़ बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.
अफ़ग़ानिस्तान के लिये मानवीय राहत समन्वयक पार्वती रामास्वामी ने मानवीय राहत योजना की प्रस्तावना में लिखा है कि लोगों में लम्बे समय से सहनक्षमता रही है लेकिन वे हताश हो रहे हैं, कर्ज़ लेने या अन्य जोखिम भरे निर्णय लेने के लिये मजबूर हो रहे हैं.
देश के लगभग डेढ़ करोड़ सबसे निर्बल लोगों का जीवन मानवीय राहत पर निर्भर करता है और इसके लिये पर्याप्त मात्रा में वित्तीय संसाधनों को सुनिश्चित किया जाना अहम है.
वर्ष 2021 में हालात और भी बदतर हो सकते हैं – पिछले वर्ष की ज़रूरतों को धन की कमी के कारण पूरा नहीं किया जा सका है, कोविड-19 की वजह से चुनौतियाँ गहरी हुई हैं और विकास सहायता की रफ़्तार में कमी आई है.
शान्ति की तलाश
पार्वती रामास्वामी का कहना है कि विकट परिस्थितियों के बावजूद अफ़ग़ानिस्तान के विभिन्न धड़ों में बातचीत की शुरुआत उम्मीद बंधाती है.
“दशकों तक युद्ध को सहने के बाद लोग मानसिक तौर पर थक चुके हैं और शान्ति के भूखे हैं. वे आम लोगों की मौतों और पीड़ा का अन्त होते देखना चाहते हैं.”
उन्होने स्थाई युद्धविराम या हिंसक घटनाओं में कम लाने की ज़रूरत को रेखांकित किया है ताकि हालात की समीक्षा के लिये मानवीय राहतकर्मियों को दूरदराज़ के क्षेत्रों में जाना भी सम्भव हो सके.
यूएन अधिकारी के मुताबिक जब तक अफ़ग़ानिस्तान में शान्ति वास्तविकता नहीं बन जाती तब तक मानवीय सहायता समुदाय को देश की जनता के साथ कठिन दौर में खड़े रहना होगा.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हम सभी को और ज़्यादा प्रयासों की ज़रूरत है ताकि ज़रूरतमन्दों तक जीवनरक्षक सहायता को पहुँचाया जा सके.