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आजीविका

बांग्लादेश के टेकनाफ़ में शरणार्थियों के लिए बनाए गए एक अस्थाई घर में एक रोहिंज्या परिवार.
© UNICEF/Suman Paul Himu

रोहिंज्या शरणार्थियों को म्याँमार वापिस भेजने की योजना तुरन्त स्थगित करने का आग्रह

संयुक्त राष्ट्र के एक स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ने गुरूवार को कहा कि बांग्लादेश से रोहिंज्या शरणार्थियों को वापिस म्याँमार भेजे जाने की प्रायोगिक परियोजना (pilot project) को तुरन्त स्थगित किया जाना होगा.

यूएनडीपी के समर्थन से, समुदाय के सदस्यों ने बिछुआ के रेशों की कटाई और प्रसंस्करण में प्रशिक्षण पूरा किया, जिनकी निर्यात बाज़ार में अच्छी क़ीमत मिलती है.
La Designs/Sonam Tashi Gyaltsen

भारत: सिक्किम के लेप्चा समुदाय के लिए, 'प्रकृति में ही ईश्वर का वास है'

भारत में सिक्किम प्रदेश के लेप्चा समुदाय के लोग, प्रकृति व जैव विविधता को ईश्वर का दर्जा देते हैं. प्रकृति-आधारित उनकी जीवनशैली व आजीविकाओं की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने, राज्य सरकार व भागीदारों के साथ मिलकर ‘सुरक्षित हिमालय पहल’ शुरू की है. इसके तहत, स्थानीय लेप्चा समुदाय को उनकी पारम्परिक आजीविका की तुलना में, अधिक मुनाफ़ा कमाने के उपायों में प्रशिक्षित किया जा रहा है.

म्याँमार के राख़ीन प्रान्त में अनेक लोगों के शरण स्थल बर्बाद हो गए हैं.
© UNOCHA/Pierre Lorioux

म्याँमार: 'मोका' प्रभावित इलाक़ों में चुनौतियाँ गहराईं, राहत के लिए समय की कमी

संयुक्त राष्ट्र ने शुक्रवार को आगाह किया है कि म्याँमार में, मई में आए घातक चक्रवाती तूफ़ान ‘मोका’ से हुई बर्बादी के दो सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी, मानवीय राहत की उपलब्धता व सुलभता अनिश्चित है, बीमारियाँ फैल रही हैं और एक विशाल खाद्य संकट का जोखिम मंडरा रहा है.

इसराइल की हवाई कार्रवाई में ग़ाज़ा में इमारतों को नुक़सान पहुँचा है.
© Ziad Taleb

इसराइल और ग़ाज़ा में संघर्षविराम पर सहमति, यूएन महासचिव ने किया स्वागत

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इसराइल और फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा के बीच, पिछले कई दिनों से जारी लड़ाई के बाद संघर्षविराम पर हुई सहमति का स्वागत किया है.

सोमारी बाई जैसे लाखों आदिवासी लोगों को, पिछले एक दशक में भू-स्वामी बनाया गया है.
UNDP India

‘भूमिहीन से भू-स्वामी’: आदिवासी समुदायों को उनके अधिकार दिलाने के प्रयास

भारत में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP), भारत सरकार के साथ मिलकर स्थानीय आदिवासी समुदायों, विशेषकर महिलाओं को वन भूमि स्वामित्व का अधिकार दिलाने के लिए प्रयासरत है. इससे ना केवल आदिवासियों को आजीविका के बेहतर साधन मिल रहे हैं, बल्कि यह वन संरक्षण के लिए भी एक उपयुक्त उपाय साबित हो रहा है. 

पारम्परिक वरली कला में प्रशिक्षण के ज़रिए, महिलाओं को आजीविका का उत्तम साधन मिला है.
UNDP India

भारत: कला के ज़रिए जीवन को आकार देने की मुहिम

भारत में यूएनडीपी और साझीदार मिलकर, महिलाओं को प्राचीन वरली कला में प्रशिक्षण के ज़रिए आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयासरत हैं. इस स्वदेशी महिला कला को बढ़ावा देकर, मुम्बई और ठाणे के बाहरी इलाक़ों में बसे आदिवासी व अन्य कमज़ोर समुदायों की वंचित महिलाओं को सशक्त बनाने में सफलता मिली है.

भारत में जौहर परियोजना के तहत अब तक एक हज़ार से अधिक पशु सखियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है.
World Bank

भारत: झारखंड की सामुदायिक पशु स्वास्थ्य कार्यकर्ता, ‘पशु सखियाँ’

भारत के झारखंड प्रदेश में विश्व बैंक समर्थित जौहर परियोजना के तहत महिलाओं को पशु स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के रूप में प्रशिक्षित किया जा रहा है. ये ‘पशु सखियाँ’ किसानों को पशुओं की देखभाल के तरीक़ों पर सलाह देती हैं, और उन्हें किसान समूहों व बाज़ारों से जोड़कर पशु-पालन व बिक्री में मदद करती हैं. ‘पशु सखी मॉडल’ को हाल ही में संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन और अन्तरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान ने, किसानों के लिए सेवा वितरण के शीर्ष 8 वैश्विक सर्वोत्कृष्ट मॉडल में से एक के रूप में चुना है.

तैयम्मा का मानना है कि रोज़गार के विकल्पों को जानने के बाद कोई भी ग़रीब नहीं रह सकता.
UNDP India/Dheeraj Aithal

व्यवसाय में महिलाओं की सक्रियता से, सबका फ़ायदा

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) भारत में, ‘कोड उन्नति’ परियोजना के तहत, SAP लैब्स इंडिया के साथ मिलकर, उद्यमशीलता एवं युवा नवाचार को बढ़ावा देने के लिये प्रयासरत है, जिसके उत्साहजनक परिणाम सामने आ रहे हैं.

सी-बकथॉर्न के पौधे पर लगे बेर फल.
UNDP India

भारत: बेर चुनकर पहाड़ों की रक्षा की अनोखी मुहिम

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने भारत में सरकार और वैश्विक पर्यावरण सुविधा के साथ साझेदारी में, ‘SECURE Himalaya’ नामक कार्यक्रम शुरू किया है, जिसके तहत, सी-बकथॉर्न-आधारित उत्पादों पर एक व्यापार मॉडल विकसित करके, स्थानीय समुदायों को वैकल्पिक आजीविका व रोज़गार के नए अवसर मिल रहे हैं.

 

श्रीलंका में लगातार दो मौसम में ख़राब कृषि पैदावार होने के कारण खाद्य असुरक्षा का संकट गहरा हुआ है.
© UNICEF/Chameera Laknath

श्रीलंका: 34 लाख ज़रूरतमंदों तक जीवनरक्षक सहायता पहुँचाने के लिये संशोधित अपील

संयुक्त राष्ट्र ने विशाल आर्थिक संकट से गुज़र रहे देश, श्रीलंका के लिये अपनी मानव कल्याण आवश्यकताओं व प्राथमिकताओं के लिये प्रस्तावित योजना में संशोधन करते हुए 34 लाख से अधिक लोगों के लिये जीवनरक्षक सहायता सुनिश्चित किये जाने का अनुरोध किया है.