वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

विश्व ब्रेल दिवस: सुलभ जानकारी की महत्ता पर ज़ोर

यूगाण्डा के एक हाई स्कूल में ब्रेल की पढ़ाई. ब्रेल लिपि को नेत्रहीनों के लिये पढ़ने और लिखने का एक सटीक माध्यम माना जाता है.
UNICEF/Michele Sibiloni
यूगाण्डा के एक हाई स्कूल में ब्रेल की पढ़ाई. ब्रेल लिपि को नेत्रहीनों के लिये पढ़ने और लिखने का एक सटीक माध्यम माना जाता है.

विश्व ब्रेल दिवस: सुलभ जानकारी की महत्ता पर ज़ोर

संस्कृति और शिक्षा

संयुक्त राष्ट्र ने, सोमवार, 4 जनवरी को, विश्व ब्रेल लिपि दिवस पर नेत्रविकारों वाले व्यक्तियों और आंशिक रूप से दृष्टिबाधित लोगों के मानवाधिकारों का पूर्ण सम्मान करने के वाली, वैश्विक स्पर्शनीय संचार प्रणाली की महत्ता पर विशेष ज़ोर दिया है.

नेत्र विकलाँगता वाले व्यक्तियों को ग़रीबी, अनदेखी और हिंसा के बढ़े स्तरों का अनुभव करने की ज़्यादा सम्भावना है.

कोरोनावायरस महामारी और उसके परिणामस्वरूप होने वाले – तालाबन्दी जैसे प्रभावों ने नेत्रविकारों वाले व्यक्तियों की चुनौतियों को बदतर बना दिया है, जिससे वो और ज़्यादा अलग-थलग महसूस कर रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र के विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में, लगभग 2 अरब 20 करोड़ लोगों को नज़र की कमज़ोरियों और विकलांगता की स्थिति के साथ जीना पड़ रहा है.

इनमें से लगभग 1 अरब लोगों को नज़र की ऐसी कमज़ोरी अथवा विकलाँगता है जिसे रोका जा सकता था, या उन पर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया है.

ब्रेल लिपि और कोविड-19

महामारी ने आवश्यक जानकारी व सूचनाएँ, सुलभ साधनों में उपलब्ध कारने की महत्ता को भी उजागर कर दिया है – इनमें ब्रेल लिपि और सुनने वाले संसाधन शामिल हैं.

ये, इसलिये भी हर एक इनसान को उपलब्ध होने बहुत आवश्यक हैं ताकि वो ख़ुद को सुरक्षित रखने के लिये ज़रूरी जानकारी हासिल कर सकें और कोविड-19 महामारी के फैलाव का ख़तरा कम कर सकें.

संयुक्त राष्ट्र ने, महामारी की एक समावेशी जवाबी कार्रवाई को बढ़ावा देने के लिये, अपने स्तर पर, अनेक गतिविधियाँ व कार्यक्रम चलाए हैं.

नेत्रविकार से पीड़ित लोगों के ग़रीबी और अभाव भरे जीवन से पीड़ित होने की सम्भावना ज़्यादा होती है.
UN Photo/Manuel Elias
नेत्रविकार से पीड़ित लोगों के ग़रीबी और अभाव भरे जीवन से पीड़ित होने की सम्भावना ज़्यादा होती है.

उदाहरण के लिये, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने मलावी में कोविड-19 की बारे में जाकरूकता फैलाने और उसकी रोकथाम के उपायों के बारे में, 4050 ब्रेल लिपि सामग्रियाँ उपलब्ध कराईं. 

उधर यूएन मानवाधिकार एजेंसी (UNHCR) ने इथियोपिया में, ऑडियो सूचनाएँ, जागरूकता व संचार सामग्री, मीडियाकर्मियों को मुहैया कराई, और उस सामग्री के ब्रेल संस्करण भी उपलब्ध कराए.

इसी तरह से, यूनीसेफ़ ने बच्चों और विकलाँग व्यक्तियों को कोविड-19 का मुक़ाबला करने सम्बन्धी दिशा-निर्देश अनेक भाषाओं और सुलभ रूपों में उपलब्ध कराएँ, जिनमें ब्रेल लिपि भी शामिल थी. 

विश्व दिवस

विश्व ब्रेल लिपि दिवस हर वर्ष 4 जनवरी को मनाया जाता है.

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसम्बर 2018 में, इस दिवस की स्थापना की थी.

4 जनवरी, दरअसल लुइस ब्रेल का जन्म दिवस है, जिन्होंने 15 वर्ष की उम्र में ही, नेत्रविकारों वाले व्यक्तियों और दृष्टि विकलाँग लोगों के लिये पढ़ने और लिखने की स्पर्शनीय प्रणाली - ब्रेल लिपि ईजाद की थी.

ब्रेल लिपि को ऐसे उभरे हुए बिन्दुओं की श्रृंखला पर उँगलियाँ रखकर या उन्हें उँगलियों से छूकर पढ़ा जाता है, जोकि 1 से 6 बिन्दुओं की एक व्यवस्था या प्रणाली होती है. ये बिन्दु अक्षर, संख्या और संगीत व गणितीय चिन्हों के संकेतकों का प्रतिनिधित्व करते हैं. 

ब्रेल लिपि को टाइपराइटर की ही तरह दिखने वाली एक मशीन – ब्रेलराइटर के ज़रिये लिखा जा सकता है, या फिर पेंसिल जैसी किसी नुकीली चीज़ (स्टायलस) और ब्रेल स्लेट (पट्ट) का इस्तेमाल करके, काग़ज़ पर, बिन्दु उकेर कर लिखा जा सकता है. 

संयुक्त राष्ट्र के – विकलाँग व्यक्तियों के अधिकारों पर कन्वेन्शन में ब्रेल लिपि को संचार के एक साधन के रूप में उद्धृत किया गया है.

साथ ही, ब्रेल लिपि को, उन लोगों के लिये, शिक्षा, राय और विचार अभिव्यक्ति, जानकारी हासिल करने और सामाजिक समावेशिता के लिये अति आवश्यक क़रार दिया गया है जो, लोग इसका प्रयोग करते हैं.

गुज़रते वर्षों के दौरान, ब्रेल लिपि में कुछ बदलाव भी होते रहे हैं, और संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक और साँस्कृतिक संगठन - यूनेस्को ने, वर्ष 1949 में ही, ब्रेल लिपि में एकरूपता लाने के इरादे से, समस्याओं पर ध्यान देने वाला एक सर्वेक्षण आगे बढ़ाने की पहल की थी.