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जलवायु परिवर्तन: कार्बन तटस्थता की ओर ऊँची छलाँग लगाने की पुकार

नीदरलैण्ड्स के ग्रामीण इलाक़े में एक महिला पवन चक्कियों के पास से होकर गुज़र रही है.
Unsplash/Les Corpographes
नीदरलैण्ड्स के ग्रामीण इलाक़े में एक महिला पवन चक्कियों के पास से होकर गुज़र रही है.

जलवायु परिवर्तन: कार्बन तटस्थता की ओर ऊँची छलाँग लगाने की पुकार

जलवायु और पर्यावरण

ऐसे समय जब विश्व भर में वैश्विक महामारी कोविड-19 पर क़ाबू पाने के प्रयास किये जा रहे हैं, सभी देशों के पास जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने का भी अवसर है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सोमवार को ‘ब्लूमबर्ग न्यू इकॉनॉमिक फ़ोरम’ के तीसरे वार्षिक सत्र के दौरान प्रभावशाली हस्तियों को वर्चुअल रूप से सम्बोधित करते हुए कोरोनावायरस संकट से उबरते समय जलवायु कार्रवाई को भी ध्यान में रखने की अहमियत पर बल दिया है.  

ब्लूमबर्ग नव आर्थिक फ़ोरम वैश्विक चर्चा का एक ऐसा मंच है जिसमें सरकारों, व्यवसायों, टैक्नॉलॉजी व शिक्षा जगत की बड़ी हस्तियाँ शिरकत करती हैं. 

महासचिव गुटेरेश ने कहा, “2021 को कार्बन तटस्थता की दिशा में एक ऊँची छलांग का वर्ष होना होगा.”

“हर देश, शहर, वित्तीय संस्था और कम्पनी को वर्ष 2050 तक नैट कार्बन शून्य उत्सर्जन की स्थिति हासिल करने की योजनाएँ अपनानी होंगी.”

एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि हाल के दिनों में योरोपीय संघ, जापान, कोरिया गणराज्य सहित 110 अन्य देशों ने कार्बन तटस्थता हासिल करने के लिये अपने संकल्पों की घोषणा की है. चीन ने नैट कार्बन उत्सर्जन शून्य करने के लिये वर्ष 2060 से पहले की समय सीमा तय की है.  

"ऐसी उम्मीद है कि वैश्विक कार्बन डायऑक्साइड उत्सर्जन की 65 प्रतिशत मात्रा का प्रतिनिधित्व और विश्व अर्थव्यवस्था का 70 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करने वाले देश, वर्ष 2021 के शुरू की अवधि में कार्बन तटस्थता के लिये महत्वाकाँक्षी संकल्प व्यक्त करेंगे."

उन्होंने कहा कि इससे बाज़ारों, संस्थागत निवेशकों और निर्णय-निर्धारकों तक स्पष्ट सन्देश पहुँचता है. 

“कार्बन की क़ीमत तय की जानी होगी. जीवाश्म ईंधन को मिलने वाली सब्सिडी के दिन पूरे हो गए हैं. हमें कोयले को चरणबद्ध ढँग से इस्तेमाल से बाहर करना होगा.“

“हमें टैक्स के बोझ को आय से हटाकर कार्बन पर केन्द्रित करना होगा, करदाताओं से हटाकर प्रदूषकों पर.”

उन्होंने कहा कि जलवायु जोखिमों की जानकारी देनी वाली वित्तीय रिपोर्टिंग को अनिवार्य बनाया जाना होगा, साथ ही, उद्योग जगत, कृषि, परिवहन और ऊर्जा क्षेत्रों में बड़े और वास्तविक बदलाव लाने की ख़ातिर, सरकारों को कार्बन तटस्थता लक्ष्य आर्थिक व वित्तीय नीतियों में समाहित करने होंगे. 

विकासशील देशों के लिये समर्थन

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने यूएन और व्यवसायों व निजी क्षेत्र में साझेदारी के मूल्य को रेखांकित किया है, जोकि ‘Global Investors for Sustainable Development Alliance’ और ‘Net-Zero Asset Owner Alliance’ जैसी पहलों में नज़र आती है. 

हालाँकि उन्होंने ज़ोर देकर कहा है कि इस तरह के गठबन्धनों को विकासशील देशों को शामिल किये बग़ैर वैश्विक नहीं बनाया जा सकता, जिन्हें ठोस सहारे की आवश्यकता है. 

यूएन प्रमुख ने माना है कि कार्बन तटस्थता की दिशा में क़दम आगे बढ़ाना आसान नहीं होगा. 

“हमें न्यायोचित ढँग से आगे बढ़ने की ज़रूरत है, उन लोगों के लिये प्रशिक्षण व सहायता के साथ जिनके रोज़गार ख़त्म हों या जो अन्य रूपों में प्रभावित होंगे.”

अनुकूलन के लिये वित्तीय संसाधन

महासचिव के मुताबिक भविष्य में कार्बन उत्सर्जनों में कटौती के लिये प्रयास करते समय मौजूदा प्रभावों से निपटने पर भी ध्यान देना होगा. 

उन्होंने हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट का ज़िक्र किया जो बताती है कि जलवायु वित्तीय संसाधनों का महज़ 20 फ़ीसदी ही अनुकूलन प्रयासों पर ख़र्च होता है. इसके अलावा केवल 14 प्रतिशत धनराशि ही विश्व के सबसे कम विकसित देशों को मिल पाई है. 

“यह ना केवल अपर्याप्त है, बल्कि यह ख़तरनाक है. अनुकूलन जलवायु कार्रवाई का भूला-बिसरा अंग नहीं होना चाहिये.” 

यूएन प्रमुख ने विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के गहराते संकट का ज़िक्र करते हुए ज़िन्दगियाँ बचाने, वायरस के फैलाव पर क़ाबू पाने और उसके असर को कम करने में यूएन की भूमिका को रेखांकित किया. 

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उन्होंने बताया कि यूएन एक विशाल राहत पैकेज की भी हिमायत कर रहा है ताकि निर्बलतम देशों व व्यक्तियों को सहायता पहुँचाई जा सके.

इसके अलावा, यूएन महासचिव ने वैश्विक युद्धविराम की भी पुकार लगाई है ताकि युद्धरत पक्ष हिंसा के बजाय वायरस से निपटने में अपने प्रयास केन्द्रित किया जा सकें. 

उन्होंने कहा कि यह सही है कि अभी हम महामारी से निपटने पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं, लेकिन एक संकट पर क़ाबू पाते समय हमारे पास दूसरे संकट से निपटने का भी अवसर है.

यूएन प्रमुख ने स्पष्ट किया कि इस महामारी ने दर्शाया है कि आपात हालात में बड़ी सोच के साथ बड़ी कार्रवाई सम्भव है. आने वाले दिनों में दुनिया को अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लेने होंगे जिनका सही होना बेहद ज़रूरी है.