महासभा प्रमुख: एकजुट कार्रवाई से जलवायु संकट का समाधान सम्भव
संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने, जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर जनरल ऐसेम्बली में आयोजित एक उच्चस्तरीय चर्चा के दौरान, बढ़ते समुद्री जलस्तर समेत उन कटु वास्तविकताओं की ओर ध्यान आकृष्ट किया है, जिनसे मालदीव और अन्य द्वीपीय देशों के लिये विशेष रूप से ख़तरा पैदा हो रहा है.
मंगलवार को हो रही इस चर्चा में, वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को सीमित रखने के लिये, वित्तीय व तकनीकी उपायों पर ध्यान केंद्रित किया गया है.
यूएन महासभा में एक-दिवसीय बैठक, स्कॉटलैण्ड के ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप26) से कुछ ही दिन पहले बुलाई गई है.
कॉप26 में पैरिस समझौते के तहत तय लक्ष्यों को हासिल करने के इरादे से और वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिये जलवायु कार्रवाई को आगे बढ़ाने की उम्मीद है.
यूएन महासभा के प्रमुख अब्दुल्ला शाहिद ने ज़ोर देकर कहा कि, सभी देश आपस में मिलकर मौजूदा चुनौतियों का सामना कर सकते हैं.
“आज के आयोजन से जलवायु परिवर्तन हल नहीं होगा, केवल हमारी कार्रवाई से होगा.”
महासभा प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि मंगलवार की चर्चा, लोगों को यह ध्यान दिलाने के लिये है कि समन्वित कार्रवाई, विज्ञान में भरोसे और संसाधनों के संगठित व बुद्धिमतापूर्ण इस्तेमाल के ज़रिये हम क्या हासिल कर पाने में सक्षम हैं.
जलवायु आपात स्थिति
जलवायु परिवर्तन पर अन्तर-सरकारी आयोग (IPCC) की प्रमुख वैलेरी मैसॉन-डेलमॉट ने अपने सम्बोधन में स्पष्ट किया कि वैज्ञानिकों को, जलवायु आपात स्थिति के सम्बन्ध में कोई संशय नहीं है.
मानवीय गतिविधियों के कारण वातावरण, महासागर व भूमि के तापमान में वृद्धि हुई है, बर्फ़ पिघल रही है और इससे अभूतपूर्व और त्वरित बदलाव दिखाई दे रहे हैं.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ध्यान दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र और महासभा की स्थापना ही जलवायु परिवर्तन जैसे साझा संकटों के समाधान की तलाश करने के उद्देश्य से की गई थी.
उन्होंने कहा कि ग्लासगो में कॉप26 में सच्चाई से सामना होगा – ख़तरे की घण्टियाँ बज रही हैं और देशों की सरकारों द्वारा किये जा रहे प्रयास, फ़िलहाल पर्याप्त साबित नहीं हो रहे हैं.
मौजूदा परिस्थितियों में, दुनिया वैश्विक तापमान में 2.7 डिग्री सेल्सियस की ओर बढ़ रही है, जोकि 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य से कहीं अधिक है.
तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री तक सीमित रखना, मानवता व पृथ्वी के लिये विनाशकारी दुष्प्रभावों को टालने के लिये आवश्यक है.
कार्रवाई व एकजुटता
महासचिव गुटेरेश ने सचेत किया कि इस दशक के अन्त तक, वर्ष 2010 की तुलना में, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों में 45 प्रतिशत की कटौती करनी होगी और 2050 तक नैट-शून्य उत्सर्जन को हासिल करना होगा.
इस क्रम में, उन्होंने नेताओं से कॉप26 बैठक में निडर लक्ष्यों व ठोस योजनाओं के साथ आने का आहवान किया है.
“कूटनैतिक शिष्टताओं के लिये समय बीत चुका है. अगर सरकारें, विशेष रूप से जी20 सरकारें, आगे बढ़कर इस प्रयास की अगुवाई नहीं करती हैं, तो हम भयावह मानवीय पीड़ा की ओर बढ़ रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि लोगों को सरकारों से नेतृत्व की अपेक्षा है, मगर ग्रीनहाउस गैसों के लिये ज़िम्मेदार जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता को कम करते हुए, स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ने में व्यवसायों, निवेशकों व आम लोगों की भी भूमिका है.
यूएन महासचिव ने धनी देशों से, विकासशील देशों में जलवायु कार्रवाई के लिये वार्षिक 100 अरब डॉलर के वित्त पोषण के संकल्प को पूरा करने का आग्रह किया है.
साथ ही, दानदाताओं और विकास बैन्कों से जलवायु समर्थन राशि का 50 फ़ीसदी, विकासशील जगत में अनुकूलन व सहनक्षमता परियोजनाओं में आवण्टित करने का आग्रह किया है.