यमन: अकाल की आशंका के बीच व्यापक राजनैतिक समाधान की अपील

यमन में संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने स्थानीय लोगों की व्यथा पर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा है कि उनकी पीड़ा दूर करने के लिये शान्ति प्रयासों में पूरी ऊर्जा झोंके जाने की ज़रूरत है. यूएन दूत ने बुधवार को वीडियो लिंक के ज़रिये सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए, हिंसा रोकने, देश को खोलने और समावेशी राजनैतिक समाधान की तलाश तेज़ करने की पुकार लगाई है.
मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने कहा कि पहले की अपेक्षा अब शान्ति है लेकिन अफ़वाहें फैल रही हैं कि लड़ाई जल्द ही फिर भड़क सकती है, जो फिर से देश भर में व्यापक पैमाने पर हिंसा का कारण बन सकती है.
Yemenis are not “going hungry”. They are being starved. All of us – parties to the conflict, Security Council members, donors, humanitarian organizations and others – should do everything we can to stop this. Time is running out.https://t.co/q1W2IVCLkl
UNReliefChief
विशेष दूत ने सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों को बताया कि कई महीनों से वह वर्चुअल रूप से साझा घोषणापत्र का मसौदे तैयार करने के लिये मध्यस्थता कर रहे हैं और आवश्यकता अनुसार विभिन्न पक्षों से मुलाक़ातें कर रहे हैं.
उन्होंने स्पष्ट किया कि दोनों पक्षों को अब समझौते पर पहुँचना होगा और उनके नेतृत्व द्वारा गम्भीर व सोच समझकर लिये गए संकल्पों के ज़रिये ही, इस संघर्ष का अन्त किया जा सकता है.
"साझा घोषणापत्र पर वार्ताओं को फलीभूत करने हेतु निर्णय लिये जाने का अब यही समय है."
ग़ौरतलब है कि इस समझौते के तहत राष्ट्रव्यापी युद्धविराम सुनिश्चित करने, यमनी जनता की ज़िंदगियों को बेहतर बनाने और स्थायी शान्ति के लिये राजनैतिक प्रक्रिया को फिर शुरू करने के प्रयास किये जा रहे हैं.
बन्दियों की रिहाई की पृष्ठभूमि में उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने सफलतापूर्वक नतीजों को हासिल किया है जिससे बहुत से यमनी लोगों को उम्मीद बँधी है.
मानवीय राहत मामलों के समन्वयक मार्क लोकॉक ने सुरक्षा परिषद को बताया कि यमन के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती व्यापक अकाल की रोकथाम करना है.
उन्होंने कहा कि यमन में बड़ी संख्या में लोगों को पर्याप्त पोषक भोजन उपलब्ध नहीं है, उनमें बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता का अभाव है.
उन्होंने कठोर शब्दों में कहा कि यमनी जनता भूख से पीड़ित नहीं है, उन्हें भुखमरी का शिकार बनाया जा रहा है.
"हम सभी को – युद्धरत पक्षों, सुरक्षा परिषद सदस्यों, दानदाताओं, मानवीय राहत और अन्य संगठनों – इसे रोकने के लिये हरसम्भव प्रयास करने होंगे. समय निकला जा रहा है."
मार्क लोकॉक ने कहा कि हुदायदाह और अन्य बन्दरगाहों तक पूर्ण रूप से पहुँच और स्थायी शान्ति की स्थापना के ज़रिये अकाल की तरफ़ बढ़ते क़दमों को रोका जा सकता है.
उनके मुताबिक वर्ष 2020 में राहत कार्यों के लिये ज़रूरी कुल धनराशि में से महज़ 45 फ़ीसदी का ही प्रबन्ध हो पाया है जिससे खाद्य और स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता पर असर पड़ने की आशंका है.
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के कार्यकारी निदेशक डेविड बीज़ली ने भी आगाह किया है कि विनाश की दिशा में उल्टी गिनती शुरू हो रही है और कुछ ही महीनों में पीड़ा अपने नए स्तर पर पहुँच सकती है.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि स्थानीय मुद्रा के मूल्य में आई गिरावट से हालात और गम्भीर हो रहे हैं. यूएन एजेंसी प्रमुख के मुताबिक उनके संगठन ने यमन को अकाल के कगार से पहले भी पीछे खींचा है लेकिन यह ख़तरा फिर से दरवाज़े को खटखटा रहा है.
उन्होंने वर्ष 2021 में अकाल को टालने के लिये लगभग दो अरब डॉलर की धनराशि की अपील की है और चेतावनी जारी की है कि मदद के अभाव में लोग मौत के मुँह में समा जायेंगे.