चुनावी पृष्ठभूमि में विपक्षी सांसदों के मानवाधिकार हनन के आरोप

अन्तरराष्ट्रीय संसदीय संघ (IPU) ने विभिन्न देशों में चुनाव प्रक्रिया के दौरान सांसदों के मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों को अपने संज्ञान में लिया है. बेलारूस, वेनेज़ुएला, आइवरी कोस्ट और तंज़ानिया में चुनावों के सन्दर्भ में विपक्षी सांसदों के बुनियादी मानवाधिकारों – अभिव्यक्ति की आज़ादी, शान्तिपूर्ण ढँग से एकत्र होने और आवाजाही के अधिकार – पर गम्भीर पाबन्दियाँ लगाई गई हैं जिनके मद्देनज़र उनके अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने का आहवान किया गया है.
अन्तरराष्ट्रीय संसदीय संघ (IPU) देशों की संसदों का वैश्विक संगठन है जो 130 वर्ष पहले देशों के बीच सहयोग व सम्वाद को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित किया गया.
IPU has recd new allegations of #humanrights violations against MPs in countries holding elections, involving opposition MPs whose basic rights to freedom of expression and movement have been curtailed #Venezuela #CotedIvoire #Tanzania #Belarus #Ugandahttps://t.co/XuNwCT4652 pic.twitter.com/fVQJokgauj
IPUparliament
सांसदों के मानवाधिकारों पर आईपीयू समिति एकमात्र ऐसी अन्तरराष्ट्रीय व्यवस्था है जिसका दायित्व उत्पीड़न का शिकार सासंदों के मानवाधिकारों की रक्षा करना है.
सांसदों के मानवाधिकारों पर आईपीयू की समिति ने हाल ही में आयोजित एक वर्चुअल सत्र में, 19 देशों में 300 सांसदों के मामलों की समीक्षा करने के बाद अपनी सिफ़ारिशें प्रशासनिक परिषद को सौंपी है.
इनमें से कुछ मामले यातना, यौन हिंसा और सांसदों को हिरासत में भीड़-भाड़ भरे स्थानों पर रखे जाने से सम्बन्धित हैं.
वहीं बेलारूस में भी हाल में विवादों में घिरे राष्ट्रपति चुनावों के बाद पूर्व विपक्षी सांसद विक्टर गोंचर का मामला नए सिरे से सुर्ख़ियों में है.
विक्टर गोंचर वर्ष 1999 में उस समय लापता हो गए थे जब वह राष्ट्रपति अलेक्ज़ेण्डर लुकाशेन्को के ख़िलाफ़ संसद में कुछ अहम जानकारी साझा करने वाले थे.
आईपीयू को मिली ताज़ा जानकारी के मुताबिक तथ्य दर्शाते हैं कि उनकी गुमशुदगी और सम्भावित हत्या में बेलारूस में उच्चस्तरीय अधिकारियों के शामिल होने का सन्देह है.
इस सम्बन्ध में आईपीयू समिति ने कथित हत्या में शामिल एक पूर्व सुरक्षाकर्मी की ग़वाही सुनी है जिसमें उन्होंने विक्टर गोंचर के अपहरण और हत्या के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई है.
अन्तरराष्ट्रीय संसदीय संघ ने स्थानीय प्रशासन से इस मामले की जाँच करने और दोषियों की जवाबदेही तय करने के लिये हरसम्भव प्रयास करने का आग्रह किया है.
आईपीयू वेनेज़ुएला में मानवाधिकार हनन के ऐसे आरोपों की निगरानी कर रहा है जिनसे विपक्षी दलों के 134 सांसद प्रभावित हुए हैं.
ग़ौरतलब है कि वेनेज़ुएला में छह दिसम्बर को संसदीय चुनाव होने हैं.
समिति को मिले सबूतों के मुताबिक लगभग सभी सांसदों पर हमले हुए, सरकार-समर्थक तत्वों द्वारा उन्हें डराया-धमकाया गया और उनका उत्पीड़न किया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव से पहले विपक्षी पार्टियों के ऐसे नए नेताओं को चुना है जिनकी सरकार के साथ कथित तौर पर सहानुभूति है.
पाबन्दियाँ लागू होने के कारण, दिसम्बर में होने वाले चुनावों में स्वतन्त्र व निष्पक्ष मतदान कराए जाने की सम्भावनाओं पर गम्भीर असर हुआ है.
आइवरी कोस्ट में आईपीयू ने 9 विपक्षी सांसदों के मामलों की समीक्षा की है जिनके बुनियादी अधिकारों के हनन की बात सामने आई है.
वर्ष 2019 में पाँच सासंदों को सार्वजनिक व्यवस्था भंग करने, भ्रामक ख़बरें फैलाने और राज्यसत्ता को चुनौती देने के आरोपों में हिरासत में लिया गया था.
अन्तरराष्ट्रीय संसदीय संघ ने स्पष्ट किया है कि उनके अपराध को साबित करने वाला कोई तथ्य नहीं मिला है और 31 अक्टूबर को हुए चुनाव से पहले उन पर लगाये गए आरोप राजनीति से प्रेरित थे.
बताया गया है कि 24 सितम्बर 2020 को स्थानीय प्रशासन ने चार सांसदों को रिहा कर दिया लेकिन अब भी राजनैतिक सभाओं में उनकी हिस्सेदारी पर पाबन्दी है.
तंज़ानिया में आईपीयू ने एक पूर्व सांसद और हाल ही में राष्ट्रपति चुनावों में विपक्ष के मुख्य प्रत्याशी टुण्डु लिस्सू के मानवाधिकारों के हनन के सबूतों की समीक्षा की है.
हमले में निशाना बनाए जाने के बाद टुण्डु लिस्सू विदेश में स्वास्थ्य लाभ करने के बाद जुलाई में तंज़ानिया लौटे थे.
आईपीयू को मिली जानकारी के मुताबिक, स्वदेश लौटने के बाद से उन्हें जान से मारने की अनेक धमकियाँ मिली हैं और 28 अक्टूबर को राष्ट्रपति चुनाव से पहले उन्हें डराया-धमकाया भी गया.
आईपीयू ने तंज़ानिया प्रशासन से हत्या के प्रयास और त की कथित धमकियों की जाँच कराने का आग्रह किया है.
आईपीयू समिति ने वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान भीड़भाड़ भरे हिरासत केन्द्रों में रखे गए सासंदों, उनके उत्पीड़न के आरोपों पर भी चर्चा की और सम्बद्ध पक्षों से सांसदों के अधिकारों की रक्षा की पुकार लगाई है. ये मामले ज़िम्बाब्वे, युगाण्डा और गेबॉन सहित अन्य देशों में सामने आए हैं.