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शरणार्थियों को सहारा देने वाले देशों की सराहना

ग़ाज़ा में यूएन एजेंसी फ़लस्तीनी शरणार्थियों को राहत पहुंचाने का काम करती है.
World Bank/Natalia Cieslik
ग़ाज़ा में यूएन एजेंसी फ़लस्तीनी शरणार्थियों को राहत पहुंचाने का काम करती है.

शरणार्थियों को सहारा देने वाले देशों की सराहना

प्रवासी और शरणार्थी

गुरुवार को विश्व शरणार्थी दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने उन देशों की सराहना की है जो आर्थिक चुनौतियों और सुरक्षा चिंताओं से जूझने के बावजूद अपने यहां शरणार्थियों को शरण देते हैं. युद्ध, संघर्ष और उत्पीड़न से बचने के लिए घर छोड़कर अन्य देशों में शरण लेने वाले लोगों की संख्या पिछले 20 साल में दोगुनी हो गई है.

इस विश्व दिवस पर अपने वीडियो संदेश में  महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि “मेरी संवेदनाएं उन सात करोड़ से ज़्यादा महिलाओं, बच्चों और पुरुषों के साथ हैं जिन्हें युद्ध, संघर्ष और उत्पीड़न से बचने के लिए घर छोड़ना पड़ा.”

उन्होंने कहा कि यह हैरान कर देने वाली संख्या है.

बड़ी संख्या में लोगों के पड़ोसी और अन्य देशों में जाने से उन्हें शरण देने वाले देशों के लिए राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां खड़ी होती हैं.

यूएन प्रमुख ने अपने संदेश में उन देशों की मानवीयता को पहचाना है जो आर्थिक चुनौतियों और सुरक्षा चिंताओं से जूझने के बावजूद शरणार्थियों को शरण देते हैं.

उन्होंने कहा है कि ऐसे देशों के आदर सत्कार का जवाब वहां विकास और निवेश के ज़रिए दिया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संरक्षण व्यवस्था की अखंडता को फिर से स्थापित करने के लिए बल दिया है ताकि शरणार्थियों को हरसंभव मदद मुहैया कराई जा सके.

पिछले साल दिसंबर में पारित होने वाला ‘ग्लोबल कॉम्पैक्ट ऑन रैफ़्यूज़ीज़’ इसी पर लक्षित है जिसमें आधुनिक ढंग से शरणार्थी समस्या से निपटने का ब्लूप्रिंट है.

शरणार्थी समस्या का विकराल रूप

यूएन शरणार्थी एजेंसी  (UNHCR) की एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि साल 2018 में सात करोड़ से ज़्यादा लोगों को घर छोड़कर भागना पड़ा. नए आंकड़े जारी करते हुए अपील की है कि विश्व में शांति स्थापना को संभव बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय एकजुटता की ज़रूरत है.

यूएन शरणार्थी एजेंसी की ‘ग्लोबल ट्रेन्ड्स’ रिपोर्ट के अनुसार विस्थापन का स्तर 20 साल पहले की तुलना में अब दोगुना हो गया है. इससे पुष्टि होती है कि ऐसे लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है जिन्हें अंतरराष्ट्रीय संरक्षण की आवश्यकता है.

जबरन विस्थापन का शिकार होने वाले लोगों की संख्या बड़ी है लेकिन अधिकांश शरणार्थी कुछ ही देशों से आते हैं. सीरिया, अफ़ग़ानिस्तान, दक्षिण सूडान, म्यांमार और सोमालिया जैसे देशों में राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा के चलते पीड़ितों को अन्य देशों का रुख़ करना पड़ रहा है.

हाल के सालों में वेनेज़्वेला में राजनीतिक संकट बड़े पैमाने पर लोगों के देश छोड़कर जाने की वजह बना है. 40 लाख से ज़्यादा लोग अन्य देशों में जा चुके हैं लेकिन सिर्फ़ पांच लाख लोगों ने ही औपचारिक तौर पर शरण और शरणार्थियों के दर्जे के लिए आवेदन किया है.

ऐसे में कई बार शरणार्थियों की वास्तविक संख्या का अनुमान लगाना कठिन होता है.

'विश्व शरणार्थी दिवस' हर साल 20 जून को मनाया जाता है. 2019 में ‘स्टैप विद रैफ़्यूज़ीज़’ मुहिम के ज़रिए समुदायों, स्कूलों, व्यवसायों और लोगों से आग्रह किया जा रहा है वे शरणार्थियों के साथ एकजुटता दिखाएं. सुरक्षित जीवन की तलाश में जैसे वे लंबी यात्राएं करते हैं उनके प्रति एकजुटता दिखाते हुए आम लोगों से भी कुछ कदम चलने का आग्रह किया जा रहा है.