वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

कोविड-19 महामारी के दौरान आपसी सहयोग की परीक्षा में ‘विफल हुई दुनिया’

निजेर में, आम लोगों पर ग़ैर-सरकारी सशस्त्र गुटों व सैनिक अभियानों में हमले बढ़ रहे हैं, इनके अलावा सीमाएँ बन्द किये जाने और कोविड-19 से निपटने के अन्य उपायों ने बहुत से समूहों को बहुत नाज़ुक हालात में डाल दिया है.
© UNICEF/Juan Haro
निजेर में, आम लोगों पर ग़ैर-सरकारी सशस्त्र गुटों व सैनिक अभियानों में हमले बढ़ रहे हैं, इनके अलावा सीमाएँ बन्द किये जाने और कोविड-19 से निपटने के अन्य उपायों ने बहुत से समूहों को बहुत नाज़ुक हालात में डाल दिया है.

कोविड-19 महामारी के दौरान आपसी सहयोग की परीक्षा में ‘विफल हुई दुनिया’

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए बहुपक्षवाद को मज़बूती देने और सभी देशों के बीच भरोसा क़ायम करने की आवश्यकता पर बल दिया है. गुरूवार को अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 ने विभिन्न मोर्चों पर ख़ामियाँ उजागर की हैं लेकिन अन्तरराष्ट्रीय समुदाय इस परीक्षा का सामना करने में विफल रहा है. 

यूएन प्रमुख ने कहा कि गम्भीर भूराजनैतिक तनावों और शान्ति के लिये दरपेश जटिल जोखिमों के ख़तरनाक मिश्रण ने कोरोनावायरस संकट के दौरान और भी गम्भीर आकार ले लिया है. 

Tweet URL

महासचिव गुटेरेश ने सुरक्षा परिषद को वीडियो लिंक के ज़रिये मौजूदा हालात से अवगत कराते हुए वैश्विक शासन व्यवस्था और बहुपक्षवाद के लिये नवाचारी समाधानों की ज़रूरत पर बल दिया.

उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी, अन्तरराष्ट्रीय सहयोग की एक स्पष्ट परीक्षा है – एक ऐसी परीक्षा जिसमें हम विफल साबित हुए हैं.  

“इससे दुनिया भर में क़रीब दस लाख लोगों की मौत हुई है, तीन करोड़ से ज़्यादा लोग संक्रमित हुए हैं, और अब भी मोटे तौर पर यह क़ाबू से बाहर है.”

“यह वैश्विक तैयारी, सहयोग, एकता और एकजुटता के अभाव का नतीजा है.” 

नैटवर्क की आवश्यकता

गुरुवार को हुई बैठक में सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों ने वर्चुअली शिरकत की. 

यूएन प्रमुख ने प्रतिनिधियों को बताया कि नैटवर्क आधारित बहुपक्षवाद की ज़रूरत है जो वैश्विक और क्षेत्रीय संगठनों, अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं और अन्य वैश्विक गठबन्धनों व निकायों में मज़बूत सम्पर्कों व सहयोग पर आधारित होगा.

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि महामारी के कारण बदहाल होते हालात में यह व्यवस्था और भी ज़्यादा ज़रूरी हो गई है. 

“हमारे पास कोई विकल्प नहीं है... या तो हम उन वैश्विक संस्थाओं में एक साथ आएँ जो हमारी ज़रूरतों को पूरा करती हों, या फिर हम मतभेदों और अराजकता में पिस जाएँगे.”

सितम्बर 2020 में सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष देश निजेर ने कोविड-19 और अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा के सन्दर्भ में वैश्विक शासन व्यवस्था में सुधारों पर विचार-विमर्श के लिये इस बैठक का आयोजन किया. इस बैठक की अध्यक्षता निजेर गणराज्य के राष्ट्रपति महमदू इस्सूफ़ू ने की.

महासचिव ने ध्यान दिलाया कि वैश्विक शासन व्यवस्था को बेहतर व प्रभावी बनाने की ज़िम्मेदारी संयुक्त राष्ट्र की है, लेकिन साझा चुनौतियों से निपटने के लिये साझा कार्रवाई में सदस्यों देशों की भी उतनी ही अहम भूमिका है.

हिंसा व अशान्ति, मानवाधिकारों का हनन, मानवीय संकट और विकास पथ पर रुकी हुई प्रगति आपस में जुड़े हुए मुद्दे हैं जो एक दूसरे को और गम्भीर बनाते हैं. लेकिन इन विकराल चुनौतियों से निपटने में वैश्विक कार्रवाई लगातार खण्डित होती जा रही है.

मज़बूत सहयोग की दरकार

महासचिव गुटेरेश ने अफ़्रीकी संघ (AU) और संयुक्त राष्ट्र के बीच की साझेदारी को रेखांकित करते हुए उसे अन्य क्षेत्रीय संगठनों के साथ सम्बन्धों के लिये एक मॉडल बताया. 

इसके तहत उन्होंने विशेष रूप से अफ़्रीकी संघ और संयुक्त राष्ट्र में शान्ति व सुरक्षा पर फ़्रेमवर्क (African Union-United Nations framework on peace and security) का उल्लेख किया. 

उन्होंने सुरक्षा परिषद से आग्रह किया है कि अफ़्रीकी संघ की शान्ति व सुरक्षा परिषद के साथ आपसी सम्बन्ध को गहरा करने और नियमित सम्पर्क को औपचारिक आकार देने की आवश्यकता है. 

उनके मुताबिक इससे श्रम का असरदार ढँग से विभाजन करने में आसानी होगी और अफ्रीकी संघ सुरक्षा परिषद के शासनादेश (Mandate) के तहत आतंकवाद निरोधक व शान्ति अभियानों को आगे बढ़ा सकेगा. 

“यही एक रास्ता है जिससे हम उस गठबन्धन का निर्माण करेंगे जिसकी ज़रूरत हमें अफ़्रीकी महाद्वीप पर आतंकवाद को हराने के लिये और बन्दूकें शान्त करने की अफ़्रीकी संघ की महत्वपूर्ण पहल को पूरा करने के लिये है.”

अफ़्रीकी संघ आयोग के प्रमुख मूसा फ़ाकी महामत ने सुरक्षा परिषद को बताया कि वह महामारी के ख़िलाफ़ अब तक की जवाबी कार्रवाई से चिन्तित हैं. 

उनके मुताबिक कोविड-19 की पृष्ठभूमि में अर्थव्यवस्थाओं, उद्योगों, स्कूलों पर भारी असर हुआ है, शान्ति प्रक्रियाएँ निर्जीव हो गई हैं और अफ़्रीका में शान्तिरक्षा अभियान भी प्रभावित हुए हैं.

सशस्त्र गुट और हिंसक तत्व इन हालात का फ़ायदा उठा रहे हैं और आपराधिक गतिविधियाँ तेज़ करने में लगे हैं. 

उन्होंने ध्यान दिलाया कि इन ख़तरों से प्रभावी तौर पर निपटने के लिये वैश्विक संस्थाओं व औज़ारों में ज़रूरतों के मुताबिक बदलाव करने होंगे और यह एक बेहद ज़रूरी ज़िम्मेदारी है.