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75वाँ सत्र: सऊदी शाह ने कोविड-19 महामारी पर जवाबी कार्रवाई में योगदान को रेखांकित किया

सऊदी अरब के शाह सलमान महासभा के 75वें सत्र को सम्बोधित करते हुए.
UN Photo/Eskinder Debebe
सऊदी अरब के शाह सलमान महासभा के 75वें सत्र को सम्बोधित करते हुए.

75वाँ सत्र: सऊदी शाह ने कोविड-19 महामारी पर जवाबी कार्रवाई में योगदान को रेखांकित किया

यूएन मामले

सऊदी अरब ने वैश्विक महामारी कोविड-19 के विनाशकारी प्रभावों से जूझ रहे देशों की मदद और वैश्विक स्तर पर जवाबी कार्रवाई को मज़बूती देने के अपने प्रयास जारी रखे हैं. शाह सलमान बिन अब्दुल अज़ीज़ अल-सऊद ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र के लिये रिकॉर्ड किये गए वीडियो सन्देश में बुधवार को यह बात कही है. 

अपने वीडियो सन्देश में उन्होंने जी-20 समूह के अध्यक्ष के तौर पर अपने देश की भूमिका को रेखांकित किया जिसके तहत विश्वव्यापी महामारी से निपटने के लिये अन्तरराष्ट्रीय प्रयासों में समन्वय सुनिश्चित किया जा रहा है.

साथ ही इस संकट के मानवीय और आर्थिक प्रभावों को कम करने का प्रयास किया जा रहा है.   

मार्च 2020 में जी-20 समूह की शिखर वार्ता के दौरान सऊदी अरब ने महामारी से मुक़ाबले और तैयारियों व जवाबी कार्रवाई को पुख़्ता बनाने के लिये, 50 करोड़ डॉलर की मदद करने का संकल्प लिया था. 

शाह सलमान ने कहा कि इसके समानान्तर सऊदी अरब सभी लोगों के लिये मानवीय राहत व विकास सुनिश्चित करने के प्रयासों को समर्थन दे रहा है, उनकी राजनैतिक, जातीय और धार्मिक पृष्ठभूमि की परवाह किये बग़ैर.

उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशकों में सऊदी अरब ने मानवीय राहत कार्यों के लिये 86 अरब डॉलर की रक़म मुहैया कराई है जिससे 81 देशों को लाभ पहुँचा है. 

“जब से इस संगठन की नींव रखी गई है, तब से मेरा देश अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा के लिये काम कर रहे देशों में सबसे आगे खड़ा है.”

उन्होंने कहा कि सऊदी अरब विवादों का शान्तिपूर्वक ढँग से समाधान निकालने और हिंसक संघर्षों की रोकथाम के लिये मध्यस्थता भी करता रहा है. 

तेल संयन्त्रों पर हमलों की निन्दा

शाह सलमान ने अपने सम्बोधन में सऊदी अरब द्वारा शुरू की गई मैत्रीपूर्ण पहलों का ग़लत फ़ायदा उठाने के लिये ईरान की निन्दा की है. 

उन्होंने कहा कि ईरान ने ‘शत्रुतापूर्ण रवैये के अनुरूप’ सऊदी अरब में तेल संयन्त्रों को निशाना बनाया जो कि अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का ‘खुला उल्लंघन’ है.   

“इस कृत्य से, उसने अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा पर हमला किया है और वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिरता व अन्तरराष्ट्रीय बाज़ारों में तेल आपूर्ति की सुरक्षा के लिये अपनी बेपरवाही को साबित किया है.”

उन्होंने ईरान पर यमन में हस्तक्षेप करने का भी आरोप लगाते हुए कहा कि हूती लड़ाकों की मदद करके वहाँ की सरकार का तख़्ता पलट किये जाने को समर्थन दिया गया.

इससे यमन में एक राजनैतिक, आर्थिक और मानवीय संकट खड़ा हो गया है जिससे लाखों लोग प्रभावित हुए हैं. 

आतंकवाद के ख़िलाफ़ 'रचनात्मक सहयोग'

शाह सलमान ने पूरी दुनिया के समक्ष मौजूद आतंकवाद व चरमपंथ के ख़तरों का ज़िक्र करते हुए कहा कि इस समस्या से मुक़ाबला करने में उनका देश अन्तरराष्ट्रीय प्रयासों को समर्थन दे रहा है.  

इसके तहत यूएन आतंकवाद निरोधक केन्द्र (UN Counter-Terrorism Centre) की स्थापना के लिये 11 करोड़ डॉलर का योगदान दिया गया है, और रियाद में चरमपंथी विचारधारा का मुक़ाबला करने के लिये वैश्विक केन्द्र की स्थापना की गई है. 

इसके अलावा सऊदी अरब अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादी गतिविधियों की वित्तीय मदद के ख़िलाफ़ लक्षित कार्रवाई के केन्द्र का भी मेज़बान है. 

शाह सलमान ने कहा कि मध्य पूर्व में सभी लोगों के लिये शान्ति, स्थिरता, समृद्धि और सहअस्तित्व को बढ़ावा देने वाले भविष्य के लिये उनका देश कोई क़सर बाक़ी नहीं छोड़ेगा. 

उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 की अरब शान्ति पहल इसराइल-अरब टकराव में व्यापक और न्यायोचित समाधान का आधार प्रदान करती है. शाह सलमान ने मध्य पूर्व में शान्ति स्थापना के लिये अमेरिका द्वारा किये जा रहे प्रयासों के लिये अपना समर्थन दिया है.  

लीबिया में हालात पर उन्होंने चिन्ता जताई और सीरिया में हिंसक संघर्ष का शान्तिपूर्ण समाधान तलाश किये जाने की पुकार भी लगाई है.