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75वाँ सत्र: कोविड-19 पर बहुपक्षीय कार्रवाई की ख़ातिर संकीर्ण हितों को छोड़ना होगा, सीरिया

सीरिया के उपप्रधानमन्त्री और विदेश मन्त्री वलीद अल-मुअलम जनरल असेम्बली के 75वें सत्र को सम्बोधित करते हुए.
UN Photo/Manuel Elias
सीरिया के उपप्रधानमन्त्री और विदेश मन्त्री वलीद अल-मुअलम जनरल असेम्बली के 75वें सत्र को सम्बोधित करते हुए.

75वाँ सत्र: कोविड-19 पर बहुपक्षीय कार्रवाई की ख़ातिर संकीर्ण हितों को छोड़ना होगा, सीरिया

यूएन मामले

सीरिया के उपप्रधानमन्त्री और विदेश मन्त्री वलीद अल-मुअलम ने शनिवार को यूएन महासभा की जनरल डिबेट में कहा कि कुछ देश अपने संकीर्ण एजेण्डा पर आगे बढ़े चले जा रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप दुनिया उन सिद्धान्तों से दूर होती जा रही है जो अन्तरराष्ट्रीय मानकों और संयुक्त राष्ट्र के कामकाज को मज़बूती प्रदान करते हैं.  

विदेश मन्त्री अल-मुअलम ने यूएन महासभा के 75वें सत्र के लिये पहले से रिकॉर्ड किये गए अपने वीडियो सन्देश में इस 'पतन' के लिये उन सरकारों को ज़िम्मेदार ठहराया जिन्होंने “ग़ैरक़ानूनी ढँग से अपना एजेण्डा दूसरे राष्ट्रों पर थोप दिया है.”

उन्होंने कहा, “हम जिस तरह का भविष्य चाहते हैं, यह स्थिति उस नज़रिये से अच्छा संकेत नहीं देती, और ना ही हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने वाले संयुक्त राष्ट्र को दर्शाती है.”

ग़ौरतलब है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 से बचाव के लिये ऐहतियाती उपायों के मद्देनज़र इस वर्ष यूएन महासभा के 75वें सत्र में राष्ट्राध्यक्ष, सरकार प्रमुख और मन्त्री वर्चुअली शिरकत कर रहे हैं. 

सीरियाई विदेश मन्त्री ने ज़ोर देकर कहा कि उनका देश एक सुरक्षित भविष्य का आकाँक्षी है, जो आतंकवाद, क़ब्ज़े और अमानवीय प्रतिबन्धों से मुक्त होगा. 

उनके मुताबिक सीरिया की आकाँक्षा ऐसा संयुक्त राष्ट्र देखने की है जो “बिना लागलपेट के युद्धों और युद्ध भड़काने वालों के ख़िलाफ़ खड़ा हो... राजनीतिकरण, ग़ैरक़ानूनी हस्तक्षेप और राष्ट्रों व समुदायों को तबाह करने के प्रयासों से बचते हुए.”

एकतरफ़ा कार्रवाई का विरोध

सीरियाई विदेश मन्त्री अल-मुअलम ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने आपसी सहयोग को और भी ज़्यादा महत्वपूर्ण बना दिया है. 

“आज की अनिवार्यता यह है कि हम मिलकर बहुपक्षीय संयुक्त कार्रवाई के ज़रिये इस महामारी का मुक़ाबला करें... एक समान विश्व के निर्माण के लिये, जो संकटों का बेहतर ढँग से सामना करने और सभी के लिये टिकाऊ विकास को हासिल करने के लिये तैयार होगा.”

लेकिन उन्होंने चिन्ता जताई कि ज़मीनी स्तर पर हालात इसके बिलकुल विपरीत हैं और मानवीय ज़रूरतों व अन्तरराष्ट्रीय मानकों के बजाय राजनैतिक एजेण्डों को प्राथमिकता दी जा रही है.

जब महामारी के दौरान जीवनरक्षक दवाओं व मेडिकल सामग्री पर रोक लगाई जाती है, आतंकवादियों द्वारा मचाई गई तबाही के बाद सीरिया के पुनर्निर्माण के प्रयासों में रुकावटें खड़ी की जाती हैं, खेत जलाए जाते हैं, तेल कुँओं को लूटा जाता है और ऊर्जा सैक्टर को निशाना बनाया जाता है, तो इससे आम नागरिकों की भोजन, ईंधन, बिजली से पहुँच को ही दूर किया जाता है. 

“कुछ देशों द्वारा थोपे गए एकतरफ़ा बाध्यतामूलक क़दमों से स्पष्ट रूप से अन्तरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन होता है.”

उन्होंने कहा कि अपनी अमानवीयता को छिपाने के लिये झूठे दावों का सहारा लिया जाता है. 

सीरियाई विदेश मन्त्री ने सभी देशों से एक साथ आने और सहयोग, समन्वय व ठोस राजनैतिक, आर्थिक और वाणिज्यिक साधनों से इस प्रकार के क़दमों को ख़ारिज किये जाने का आहवान किया है.

आतंकवाद

विदेश मन्त्री अल-मुअलम ने आतंकवाद की समस्या का ज़िक्र करते हुए कहा कि तुर्की की मौजूदा सरकार का प्रभाव सर्वोपरि है. 

उन्होंने क्षेत्र में तुर्की को आतंकवाद के मुख्य प्रायोजकों में से एक बताते हुए कहा कि तुर्की ने सीरिया में हज़ारों विदेशी आतंकवादियों को भेजने में मदद की है. 

सीरियाई नेता ने दावा किया कि तुर्की ने उन आतंकी गुटों को समर्थन दिया है जिन्होंने सीरियाई नागरिकों का क़त्ले-आम किया है और उन सीरियाई इलाक़ों का “तुर्कीकरण” करने के अलावा लोगों को जबरन विस्थापन के लिये मजबूर किया है जहाँ उसका क़ब्ज़ा है.

“मौजूदा तुर्की सरकार अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अन्तर्गत दुष्ट और ग़ैरक़ानूनी हो गई है.” उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इसकी नीतियों व कार्रवाइयों को रोका जाना होगा. 

विदेश मन्त्री अल-मुअलम के मुताबिक सीरियाई भूमि पर अमेरिकी और तुर्की के सुरक्षा बलों की नाजायज़ मौजूदगी क़ब्ज़े की हर क़ानूनी शर्त को पूरा करती है जोकि सीरया की सम्प्रभुता, स्वतन्त्रता और क्षेत्रीय अखण्डता का खुला उल्लंघन है.   

उन्होंने कहा कि इसराइली नीतियों के कारण गोलान क्षेत्र में व्यवस्थित ढँग से मानवाधिकारों का गम्भीर हनन हो रहा है. 

साथ ही उन्होंने अमेरिकी नीतियों के ख़िलाफ़ ईरान के लिये अपने समर्थन को दोहराते हुए आरोप लगाया कि परमाणु समझौते को कमज़ोर करने और क्षेत्र में अस्थिरता फैलाने के प्रयास किये जा रहे हैं.