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75वाँ सत्र: तुर्की के राष्ट्रपति का आग्रह, आधे भरे गिलास के दोनों पहलुओं को देखना होगा

तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एरदोआन यूएन महासभा के 75वें सत्र को सम्बोधित करते हुए.
UN Photo/Eskinder Debebe
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एरदोआन यूएन महासभा के 75वें सत्र को सम्बोधित करते हुए.

75वाँ सत्र: तुर्की के राष्ट्रपति का आग्रह, आधे भरे गिलास के दोनों पहलुओं को देखना होगा

यूएन मामले

तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एरदोआन ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र में उच्चस्तरीय जनरल डिबेट को सम्बोधित करते हुए विश्व में मौजूदा घटनाक्रम का सटीकता और निष्ठा से आकलन किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया है. 

अपने सम्बोधन में राष्ट्रपति एरदोआन ने कहा कि इस महामारी ने दुनिया को ऐसे समय में जकड़ा है जब वो विभिन्न चुनौतियों का सामना करने में मुश्किलों का सामना कर रही थी. 

इन चुनौतियों के रूप में उन्होंने वैश्वीकरण, नियम-आधारित अन्तरराष्ट्रीय प्रणाली और बहुपक्षवाद का उल्लेख करते हुए प्रतिनिधियों से आधे भरे गिलास के दोनों हिस्सों को देखने का अनुरोध किया. 

तुर्की के राष्ट्रपति ने बहुपक्षीय संगठनों, विशेषत: संयुक्त राष्ट्र, में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया है.

उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान मौजूदा वैश्विक ढाँचा प्रभावहीन साबित हुआ है और सुरक्षा परिषद के एजेण्डे में महामारी को लाने में हफ़्तों, यहाँ तक कि महीनों का समय लगा.

“मानवता के भविष्य को कुछ ही देशों की दया पर नहीं छोड़ा जा सकता.”

इस क्रम में उन्होंने सुरक्षा परिषद का पुनर्गठन शुरू किये जाने से लेकर व्यापक और अर्थपूर्ण सुधार लागू किये जाने की पैरवी की है. 

आधे भरे गिलास का ज़िक्र करते हुए उन्होंने बताया कि शान्ति, न्याय और समृद्धि के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र मानवता के लिये दिशा बदल सकता है. 

वैश्विक महामारी

राष्ट्रपति एरदोआन ने कोरोनावायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई में तुर्की के सहयोग का भरोसा दिलाते हुए कहा कि शुरुआती दिनों से ही तुर्की ने सभी अन्तरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग की अपील की थी. 

इसके साथ-साथ तुर्की ने उन 146 देशों और सात अन्तरराष्ट्रीय संगठनों की ओर मदद का हाथ बढ़ाया जिन्हें चिकित्सा सामग्री व उपकरणों की ज़रूरत थी.

राहत प्रयासों के तहत तुर्की के एक लाख नागरिकों को 141 देशों से देश वापिस लाया गया और 47 देशों के साढ़े पाँच हज़ार से ज़्यादा विदेशी नागरिकों को उनके देश भेजा गया. 

राष्ट्रपति एरदोआन ने स्पष्ट किया कि चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति, दवाओं और वैक्सीन विकसित करने के प्रयासों को आपसी स्पर्धा का मुद्दा नहीं बनाया जा सकता. 

क्षेत्रीय स्थिरता

तुर्की के राष्ट्रपति ने सीरिया में जारी हिंसा का ज़िक्र करते हुए कहा कि इससे क्षेत्रीय सुरक्षा व स्थिरता को ख़तरा बना हुआ है. 

उन्होंने कहा कि क्षेत्र में इस्लामिक स्टेट (दाएश) के आतंकियों के ख़िलाफ़ तुर्की ने मज़बूत कार्रवाई की है और अब कुर्द आतंकी गुट के ख़िलाफ़ अभियान आगे बढ़ाया जा रहा है. साथ ही तुर्की ने 40 लाख सीरियाई शरणार्थियों को शरण दी है.   

उनके मुताबिक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2254 के तहत अनुमोदित रोडमैप के अनुरूप सीरिया मसले का हल ढूँढा जाना प्राथमिकता होनी चाहिये.  

राष्ट्रपति एरदोआन ने ज़ोर देकर कहा कि सीरिया के नेतृत्व में राजनैतिक प्रक्रिया को संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में आगे बढ़ाया जाना चाहिये, ताकि स्थायी शान्ति स्थापित की जा सके. 

उन्होंने कहा कि कश्मीर समस्या अब भी दक्षिण एशिया में स्थिरता और शान्ति के लिये एक ज्वलन्त मुद्दा है. जम्मू-कश्मीर को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत मिला विशेष दर्जा ख़त्म करने के बाद उठाए गए क़दमों ने समस्या को और ज़्यादा जटिल बना दिया है. 

राष्ट्रपति एरदोआन ने कहा कि तुर्की इस मुद्दे को सम्वाद के ज़रिये सुलझाये जाने के पक्ष में है और इसे संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के फ़्रेमवर्क में कश्मीरी जनता की आशाओं के अनुरूप सुलझाना होगा.