महासभा सत्र: कोविड-19 भावी चुनौतियों की आहट-वैश्विक एकजुटता का आहवान

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मंगलवार को यूएन महासभा के ऐतिहासिक और अभूतपूर्व 75वें सत्र को सम्बोधित करते हुए विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 पर क़ाबू पाने के लिये वैश्विक एकजुटता की अपील की है, और महामारी के दौरान वैश्विक युद्धविराम की अपील दोहराई है. साथ ही उन्होंने बदलती दुनिया के अनुरूप वैश्विक संस्थाओं में परिवर्तन करने और बहुपक्षवाद को बढ़ावा देने की पुकार लगाई है.
अतीत के सत्रों की अपेक्षा इस वर्ष न्यूयॉर्क में महासभा के 75वें सत्र के दौरान जनरल डिबेट यानि आम चर्चा या बहस में कोविड-19 महामारी के ऐहतियाती उपायों के मद्देनज़र चहल-पहल कम है.
यूएन प्रमुख ने अपने सम्बोधन में आगाह किया कि यह महामारी ना सिर्फ़ नीन्द से जगा देने वाली घण्टी है बल्कि आने वाली चुनौतियों का संकेत भी है.
Today, I appeal for a new push by the international community to make a global ceasefire a reality by the end of this year.We have 100 days. The clock is ticking.#UNGA https://t.co/LMUAzkgBRc pic.twitter.com/4O6RqJHSxb
antonioguterres
संगठन के कामकाज पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट पेश करते हुए उन्होंने कहा, “आपस में जुड़ी दुनिया में, यह एक सरल सत्य को पहचानने का समय है: एकजुटता सभी के हित में है. अगर हम इसे समझने में विफल रहते हैं तो फिर हर किसी की हार होगी.”
महासचिव ने संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों से इस महामारी से निपटने की जवाबी कार्रवाई में वैज्ञानिक तथ्यों का सहारा लेते हुए एकता और विनम्रता का परिचय देने का आग्रह किया है.
कोविड-19 महामारी के कारण विश्व नेता महासभा के सत्र में शिरकत करने के लिये न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय नहीं आ रहे हैं.
जनरल डिबेट में निजी रूप से सम्बोधन के बजाय उन्होंने पहले से रिकॉर्ड किये गए अपने वीडियो सन्देश भेजे हैं. वैसे कोविड-19 के कारण की गई असाधारण व्यवस्था के तहत भी विश्व नेताओं को निजी रूप से सभागार में अपनी सीट से भाषण देने का अधिकार है, लेकिन मँच से नहीं.
यूएन प्रमुख ने अपने सम्बोधन में कहा कि दुनिया में सब कुछ बदल गया है और महासभा के हॉल को इस तरह से देखना विचित्र अनुभव है.
ध्यान रहे कि संयुक्त राष्ट्र के लिये देशों के मिशनों के प्रतिनिधि सामाजिक दूरी बनाते हुए महासभा के हॉल में बैठ रहे हैं.
महासचिव गुटेरेश ने महामारी के दौरान वैश्विक एकजुटता की अपनी अपील फिर दोहराई है. उन्होंने यह अपील मार्च 2020 में जारी की थी और युद्धरत पक्षों से युद्ध के बजाय इस महामारी से लड़ाई को प्राथमिकता बनाने का आग्रह किया था.
करीब 180 देशों, धार्मिक नेताओं, क्षेत्रीय सहयोगियों और नागरिक समाज संगठनों के नैटवर्क और कुछ सशस्त्र गुटों ने इस अपील का स्वागत किया है लेकिन युद्धविराम के लिये समर्थन के बावजूद उसे टिकाऊ तौर पर जारी रख पाने में सफलता नहीं मिली है.
यूएन प्रमुख ने चिन्ता जताई है कि दुनिया एक ख़तरनाक दिशा में आगे बढ़ रही है और विश्व फिर दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में विभाजित होने का ख़तरा मोल नहीं ले सकता - एक ऐसा महा-विभाजन (Great Fracture) जिसमें दोनों पक्षों के पास व्यापार, वित्त, इण्टरनैट और आर्टिफ़िशियल इण्टैलीजेन्स सम्बन्धी नियम और क़ानून होंगे.
उन्होंने कहा कि वइस टैक्नॉलॉजी और आर्थिक विभाजन के भू-राजनैतिक व सैन्य दरार में बदलने का जोखिम भी है.
यूएन प्रमुख ने अफ़सोस ज़ाहिर करते हुए कहा कि कोविड-19 के कारण लैंगिक समानता के मसले पर दशकों की प्रगति की दिशा उलट गई है.
कोरोनावायरस संकट से महिलाएँ व लड़कियाँ व्यापक पैमाने पर सामाजिक और आर्थिक रूप से प्रभावित हुई हैं और उनके लिये बेरोज़गारी बढ़ी है, और शिक्षा तक पहुँच कम हुई है.
महामारी के दौरान महिलाओं और लड़कियों के साथ हिंसक घटनाओं में हुई बढ़ोत्तरी पर क्षोभ प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि यह महिलाओं के साथ छेड़ा गया एक परोक्ष युद्ध है जिसकी रोकथाम ज़रूरी है और सभी संसाधनों और मज़बूत संकल्प के साथ इसका अन्त करना होगा.
महासचिव गुटेरेश ने ध्यान दिलाया कि कोविड-19 से उबरते समय दुनिया को एक बेहतर भविष्य की दिशा में ले जाना होगा जिससे समावेशी, टिकाऊ और सुदृढ़ समाजों का निर्माण हो सके.
इस क्रम में उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर जनता के साथ एक नए सामाजिक अनुबन्ध की अहमियत को रेखांकित किया है और वैश्विक स्तर पर एक नए समझौते की ज़रूरत बताई है.
इसके तहत न्यायोचित कर प्रणाली, सर्वजन के लिये शिक्षा, डिजिटल टैक्नॉलॉजी की मदद लेने के साथ-साथ मानवाधिकार सुनिश्चित करने होंगे.
साथ ही वर्ष 2050 तक नैट कार्बन उत्सर्जन शून्य करना, नवीनीकृत ऊर्जा के स्रोतों को बढ़ावा देना, जीवाश्म ईंधनों को दी जाने वाला अनुदान समाप्त करना और हरित रोज़गारों को समर्थन देना अहम होगा ताकि जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने में मदद मिल सके.
महासचिव ने कहा है कि सात दशकों से ज़्यादा समय बीत जाने के बाद बहुपक्षीय संस्थाओं में बदलाव की आवश्यकता है ताकि दुनिया के सभी लोगों का न्यायसंगत ढँग से प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके.
21वीं सदी में बहुपक्षवाद के लिये अपना ब्लूप्रिण्ट पेश करते हुए उन्होंने कहा कि यह नैटवर्क-युक्त होगा, जिसमें विकास बैंक, क्षेत्रीय संगठन, व्यापार सहबन्धन जैसी वैश्विक संस्थाएँ आपस में जुड़े होंगे.
साथ ही इस मुहिम को समावेशी बनाना होगा और नागरिक समाज, शिक्षा व व्यवसाय जगत के साथ-साथ अन्य पक्षकारों को भी सम्मिल्लित करना होगा.