कोविड-19 से तबाह हुए पर्यटन क्षेत्र को हरित तरीक़े से उबारने की ज़रूरत

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि पर्यटन केवल कुछ सांस्कृतिक स्थलों का दौरा करना या कुछ सौन्दर्यपूर्ण ट्रॉपिकल यानि उष्णकटिबन्धीय तटों पर तैराकी का आनन्द लेना भर नहीं है, पर्यटन दुनिया के कुछ सर्वाधिक महत्वपूर्ण आर्थिक क्षेत्रों में से एक है.
यूएन महासचिव ने मंगलवार को पर्यटन पर पॉलिसी ब्रीफ़ यानि नीति पत्र जारी करते हुए ध्यान दिलाया कि “पर्यटन जगत में दुनिया में मौजूद हर दस में एक व्यक्ति को रोज़गार मिलता है और पर्यटन जगत करोड़ों लोगों को रोज़गार मुहैया कराता है”.
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संयुक्त राष्ट्र के विश्व पर्यटन संगठन के आँकड़े दिखाते हैं कि सीधे तौर पर पर्यटन से जुड़े 10 करोड़ से 12 करोड़ के बीच रोज़गार ख़तरे में हैं. संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन का अनुमान है कि वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का डेढ़ से 2.8 प्रतिशत तक के बराबर नुक़सान हो सकता है.
एंतोनियो गुटेरेश ने पर्यटन को एक ऐसा अवसर बताया जिसमें विश्व की सांस्कृतिक धरोहरो और प्राकृतिक सम्पदाओं का अनुभव किया जा सकता है और ये क्षेत्र विभिन्न पृष्ठभूमियों वाले लोगों को एक साथ लाता है जिनमें एक साझी इनसानियत झलकती है. “दूसरे शब्दों में ये भी कहा जा सकता है कि पर्यटन अपने आप में विश्व का एक अजूबा है.”
महासचिव के नीति पत्र में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर यातायात व व्यापार में असाधारण बाधा आने से पर्यटन शायद ऐसा ऐसा क्षेत्र है जो कोरोनावायरस से सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ है.
यूएन प्रमुख ने कहा, “ये देखना बेहद दुखदायी है कि कोविड-19 महामारी के कारण पर्यटन क्षेत्र किस तरह तहस-नहस हो गया है.”
इसके अलावा कुछ परोक्ष नुक़सान हुए हैं, मसलन, चूँकि लोग आमदनी के साधनों की खोज कर रहे हैं तो चोरी-चकारी की घटनाओं में वृद्धि हुई है.
यूएन महासचिव के अनुसार वर्ष 2020 के पहले पाँच महीनों के दौरान अन्तरराष्ट्रीय पर्यटकों की संख्या में 50 फ़ीसदी से भी ज़्यादा गिरावट हुई है और लगभग 320 अरब डॉलर के सैलानी सामाने के निर्यात का नुक़सान हुआ है.
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश का कहना है, “पर्यटन क्षेत्र में काम करने वाले ज़्यादातर लोग अनौपचारिक व लघु, छोटे और मध्य आकार वाली इकाइयों में काम करते हैं, जिनमें काम करने वालों में बड़ी संख्या महिलाओं और युवाओं की है.”
उन्होंने कहा, “महिलाओं, ग्रामीण समुदायों, आदिवासी लोगों और ऐतिहासिक रूप से हाशिये पर धकेल दी गई आबादियों के लिये, पर्यटन एकीकरण, सशक्तिकरण और आमदनी का एक वाहन रहा है.”
पर्यटन प्राकृतिक व सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिये भी एक स्तम्भ का काम करता है.
यूएन प्रमुख ने कहा, “राजस्व में कमी होने के कारण संरक्षित स्थलों में चोरी-चकारी और क़ीमती चीज़ों व स्थानों को तबाह किये जाने की घटनाएँ बढ़ी हैं. अनेक विश्व विरासत स्थलों के बन्द होने की वजह से बहुत से समुदायों की आजीविकाएँ ख़त्म हो गई हैं.”
यूएन महासचिव ने पर्यटन क्षेत्र को इस तरह फिर से बहाल करने के महत्व पर ज़ोर दिया है जो सुरक्षित, न्यायसंगत और जलवायु अनुकूल हो.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अगर पुनर्बहाली जलवायु लक्ष्यों से मेल नहीं खाएगी तो परिवहन सम्बन्धी ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन फिर से तेज़ी से उभरेगा. जो करोड़ों लोग अपनी आजीविका के लिये पर्यटन पर निर्भर हैं, उनकी भलाई की ख़ातिर टिकाऊ और ज़िम्मेदार परिवहन साधन अपनाना बहुत ज़रूरी है.
एंतोनियो गुटेरेश ने पर्यटन क्षेत्र की पुनर्बहाली व उसे फिर से आत्मनिर्भर बनाने में मदद करने के लिये पाँच प्राथमिकताएँ गिनाई हैं जिनके ज़रिये मेजमान समुदायों, कामगारों और यात्रियों के लिये सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
प्रथम प्राथमिकता संकट के सामाजिक व आर्थिक प्रभावों का असर कम करना है – ख़ासतौर से महिलाओं के रोज़गार व आर्थिक सुरक्षा के लिये.
द्वितीय, महासचिव का सुझाव है कि पूरे पर्यटन क्षेत्र में सहनशीलता व मज़बूती बढ़ाई जाए.
तीसरी प्राथमिकता, पूरे पर्यटन जगत में टैक्नॉलॉजी का भरपूर फ़ायदे के लिये इस्तेमाल किया जाए, जिसमें नवाचार को प्रोत्साहन देना और डिजिटल कौशल में धन व संसाधन निवेश करना.
चौथी प्राथमिकता है, पर्यटन को एक मज़बूत, सहनशील, और कार्बन मुक्त क्षेत्र बनाने की दिशा में बढ़त के तहत टिकाऊ और हरित प्रगति सुनिश्चित करना.
और अन्त में, पाँचवीं प्राथमिकता, यातायात पर लगी पाबन्दियाँ हटाने में ज़िम्मेदारी व साझेदारी बढ़ाने के लिये व्यापक तालमेल से काम लिया जाए, और पर्यटन क्षेत्र में टिकाऊ विकास लक्ष्य हासिल करने के लिये अनुकूल बदलाव लाए जाएँ.
महासचिव का कहना है, “आइये, मिलकर ये सुनिश्चित करें कि पर्यटन क्षेत्र सम्मनजनक रोज़गार, टिकाऊ आमदनी और हमारी सांस्कृतिक व प्राकृतिक धरोहर के संरक्षण वाले क्षेत्र के रूप में अपना सम्मानजनक स्थान फिर से हासिल करे.”
यूएन विश्व पर्यटन संगठन ने इन प्राथमिकताओं के अतिरिक्त ये भी ध्यान दिलाया है कि हर स्तर पर लगातार जारी तालमेल और सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है.
संगठन के नेतृत्व ने “एक साथ ताक़तवर” के दिग्दर्शक सिद्धान्तों पर ज़ोर देते हुए देशों की सरकारों द्वारा लिये जाने वाले इकतरफ़ा फ़ैसलों के तात्कालिक व दीर्घकालिक गम्भीर नतीजों के बारे में आगाह भी किया है.
विश्व पर्यटन संगठन के प्रमुख ज़ुराब पोलोलिकाशविली का कहना है, “हर दिन स्थिति बदल रही है. अगले वर्ष के बारे में आज कुछ भी अनुमान लगाना असम्भव है.”
वैसे तो पर्यटन पर महासचिव का नीति पत्र तैयार करने में विश्व पर्यटन संगठन ने अग्रणी भूमिका निभाई है, मगर इसमें 13 अन्य यूएन एजेंसियों व कोष या कार्यक्रमों ने भी योगदान किया है. इनमें अन्तरारष्ट्रीय श्रम संगठन, यूएन महिला संस्था और संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन शामिल हैं.
इस नीति पत्र में अन्य महत्वपूर्ण विषयों के साथ-साथ ये भी कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के कारण वैश्विक यातायात व व्यापार में पैदा हुई रुकावट के कारण, शायद पर्यटन एक ऐसा क्षेत्र है जो सबसे ज़्यादा और बुरी तरह प्रभावित हुआ है.