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‘दुनिया को बदलने से पहले ख़ुद को बदलें’

काँगो लोकतान्त्रिक गणराज्य में यूएन मिशन में भारतीय दल में ‘फ़ीमेल इन्गेजमेन्ट टीम’ की कमान्डर कैप्टन तन्वी शुक्ला.
MONUSCO
काँगो लोकतान्त्रिक गणराज्य में यूएन मिशन में भारतीय दल में ‘फ़ीमेल इन्गेजमेन्ट टीम’ की कमान्डर कैप्टन तन्वी शुक्ला.

‘दुनिया को बदलने से पहले ख़ुद को बदलें’

शान्ति और सुरक्षा

कैप्टन तन्वी शुक्ला काँगो लोकतान्त्रिक गणराज्य में यूएन मिशन (MONUSCO) में भारतीय दल की महिला टीम की कमाण्डर हैं. कैप्टन शुक्ला के मुताबिक शान्तिरक्षा मिशन का हिस्सा बनने पर उन्हें बहुत कुछ सीखने, विविध पृष्ठभूमियों से आए लोगों से मिलने-जुलने और स्थानीय लोगों से संवाद स्थापित करने का अवसर मिला है. उनका कहना है कि हमें पहले ख़ुद में वो बदलाव लाने का प्रयास करना चाहिए जैसा कि हम दूसरों में देखना चाहते हैं. 

पेश है कैप्टन तन्वी शुक्ला के साथ एक बातचीत.   

आप अपने बारे में कुछ बताइए.

मेरा नाम कैप्टन तन्वी शुक्ला है और मैं काँगो लोकतान्त्रिक गणराज्य (डीआरसी) में यूएन मिशन (MONUSCO) के भारतीय दल में ‘फ़ीमेल एन्गेजमेण्ट टीम’ की कमाण्डर हूँ. जब मैं बड़ी हो रही थी तो मुझ पर मेरी माँ का प्रभाव रहा और इसीलिए मुझमें पढ़ने की आदत विकसित हुई और संगीत से भी प्यार हो गया. 

मैंने हाई स्कूल की पढ़ाई के बाद स्नातक डिग्री के लिए भूगोल, राजनैतिक विज्ञान और लोक प्रशासन जैसे विषय चुने. अन्तत: मैं वर्ष 2014 में सैन्य बलों में शामिल हो गई और फिर एक साल बाद अपने ही एक पुराने सहपाठी के साथ मेरा विवाह हो गया. 

इस मिशन में आपकी क्या ज़िम्मेदारियाँ हैं और एक आम दिन आपके लिए किस तरह गुज़रता है? 

मैं और 22 अन्य महिला सदस्यों वाली एक टीम त्वरित तैनाती के लिए तैयार बटालियन के हिस्से के तौर पर शामिल है. 

‘फ़ीमेल एन्गेजमेण्ट टीम’ कमाण्डर के तौर पर मेरी ज़िम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि हम शारीरिक और मानसिक रूप से अभियान में सभी प्रकार की गतिविधियों और तैनाती के लिए तैयार रहें और स्थानीय लोगों के साथ अर्थपूर्ण संवाद बनाए रखने का हरसम्भव प्रयास करें. 

आम तौर पर मेरी टीम का दिन सुबह जल्दी उठने से शुरू होता है जिसके बाद हम दल के अन्य सैनिकों के साथ ट्रेनिंग करते हैं. इसके बाद विभिन्न गतिविधियों और कार्यों के लिए छोटी-छोटी टीमें तैनात की जाती हैं.

दोपहर में हमारी टीम स्वाहिली भाषा सीखने के लिए कक्षाओं में जाती है ताकि स्थानीय लोगों के साथ बातचीत करते समय हमें आसानी रहे. 

यूएन शान्तिरक्षक के तौर पर आप कब से कार्यरत हैं और आप इसमें किस तरह शामिल हुईं?

मुझे मिशन का हिस्सा बने नौ महीने से ज़्यादा का समय हो गया है. मेरा चयन ‘इन्डियन इन्फ़ैन्ट्री बटालियन’ में ‘फ़ीमेल एन्गेजमेण्ट टीम’ की प्रमुख के तौर पर किया गया था. 
चयन प्रक्रिया योग्यता पर आधारित थी और हमें विभिन्न चरणों से गुज़रना था.

इसकी शुरुआत एक शारीरिक क्षमता टैस्ट से हुई जिसके बाद लिखित परीक्षा हुई और फिर सबसे आख़िर में इन्टरव्यू. 

कॉंगो लोकतान्त्रिक गणराज्य में यूएन शान्तिरक्षा मिशन का एक हेलीकॉप्टर.
MONUSCO
कॉंगो लोकतान्त्रिक गणराज्य में यूएन शान्तिरक्षा मिशन का एक हेलीकॉप्टर.

देश छोड़कर जाने और यूएन शान्तिरक्षा मिशन के लिए काम करने के आपके फ़ैसले पर घर-परिवार और मित्रों की क्या प्रतिक्रिया थी?

मैं अपने परिवार में सैन्य बलों में शामिल होने वाली पहली सदस्य हूँ और यूएन शान्तिरक्षा मिशन में सेवा प्रदान करने के लिए देश छोड़कर जाने वाली भी.

शुरू में थोड़ी आशंकाएँ थीं, ख़ासतौर पर मेरी माँ को, लेकिन मेरे परिवार और मेरे पति को मुझ पर बेहद गर्व है और वो मेरे निर्णय का समर्थन करते हैं. 

इस मिशन और देश से जुड़ी कौन सी तीन बातें आपको सबसे ज़्यादा पसन्द हैं?

जो तीन सबसे ख़ास बातें मुझे पसन्द हैं वो ये कि मुझे विविध पृष्ठभूमियों से आए अनेक लोगों से मिलने और सीखने का अवसर मिलता है, और ये भी कि मैंने पक्के दोस्त बनाए हैं. 

मुझे यहाँ का मौसम बहुत ख़ूबसूरत लगता है और यह देश मुझे इतना भा गया है कि मुझे ऐसा महसूस होता है कि मानो मेरा अफ़्रीका से कोई नाता है. 

मुझे अपने काम में चुनौतियाँ भी पसन्द हैं जैसे मुझे स्थानीय लोगों की स्वीकार्यता हासिल करने और उनका भरोसा जीतने में मेहनत करनी पड़ती है और जब भी ऐसा होता है तो मुझे ख़ुशी होती है. 

आपको अपने काम में सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण क्या लगता है और क्यों?

टैक्नॉलॉजी ने सम्पर्क में रहने को बेहद आसान बना दिया है, लेकिन मुझे अपने परिवार की याद आती है. हमारे दल के साथी सदस्य बेहद मददगार हैं और जब भी हम काम के लिए बाहर जाते हैं तो उनसे पूरा सहयोग मिलता है.

लेकिन स्थानीय लोगों का विश्वास जीतने में भाषा एक अवरोध ज़रूर रही है. हमें उसके लिए और ज़्यादा ट्रेनिंग हासिल करनी चाहिए थी. 

क्या आप मानती हैं कि महिला शान्तिरक्षक स्थानीय समुदायों के लिए ‘रोल मॉडल’ बनती हैं?

मेरा इसमें मज़बूत विश्वास है. ना सिर्फ़ महिलाओं के लिए बल्कि हम युवा पुरुषों के लिए भी ‘रोल मॉडल’ की तरह काम करते हैं. वे जिस तरह महिलाओं को देखते हैं और उनकी भूमिका तय करते हैं. 

शान्तिरक्षा में करियर बनाने की तैयारी कर रही महिला सैनिकों को आप क्या सन्देश देना चाहेंगी?

मैं उनसे कड़ी मेहनत करने के लिए कहूँगी, अपनी ख़ूबियों पर और भी ज़्यादा मेहनत करने के लिए, क्योंकि वही हमें शान्तिरक्षा मिशनों का एक अहम अंग बनाती हैं.

और मैं उनसे कहूँगी कि पहले ख़ुद में वो बदलाव लाएँ जैसा कि वो दूसरों में देखना चाहती हैं.