आबिये में यूएन मिशन: भारतीय महिला शान्तिरक्षकों की प्लाटून की तैनाती

अफ़्रीका में सूडान और दक्षिण सूडान के बीच विवादित सीमा क्षेत्र – आबिये में संयुक्त राष्ट्र अन्तरिम सुरक्षा बल (UNISFA) मिशन में अब महिला शान्तिरक्षकों का एक दस्ता भी भारतीय बटालियन का हिस्सा होगा.
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि रुचिरा काम्बोज ने अपने एक ट्वीट सन्देश में इस प्लाटून की एक तस्वीर साझा करते हुए अपनी शुभकामनाएँ प्रेषित की हैं.
महिला शान्तिरक्षकों की यह प्लाटून 6 जनवरी 2023 से यूएन मिशन में भारतीय बटालियन के हिस्से के रूप में तैनात की जाएगी.
India is deploying an all #women’s platoon of peacekeepers 🪖 as part of our battalion to the UN Mission in #Abyei @UNISFA_1
This is the single largest deployment of women #peacekeepers in recent years. Good wishes to the team!
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ruchirakamboj
संयुक्त राष्ट्र शान्तिरक्षा अभियानों में योगदान करने वाले देशों में, भारत का अग्रणी स्थान है. पिछले 70 वर्षों में, यूएन शान्तिरक्षा मिशन में भारत के दो लाख से अधिक सैन्य व पुलिस अधिकारियों ने अपनी सेवाएँ प्रदान की हैं.
वर्ष 2007 में, भारत ने लाइबेरिया में यूएन मिशन के तत्वाधान में पहली बार पूर्ण रूप से केवल महिलाओं की शान्तिरक्षा टीम तैनात की थी.
इसके बाद से, किसी यूएन मिशन में महिला शान्तिरक्षकों की यह सबसे इकलौती सबसे बड़ी टीम होगी.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन के अनुसार, यह तैनाती, शान्तिरक्षा दल में महिलाओं की भागेदारी बड़े स्तर पर बढ़ाने के लिये भारत द्वारा किये जा रहे प्रयासों को दर्शाती है.
भारतीय महिला शान्तिरक्षकों के इस दस्ते में दो अधिकारी व 25 अन्य रैंकों के सुरक्षाकर्मी हैं, और उनका ज़ोर मुख्य रूप से, स्थानीय समुदाय के साथ सम्पर्क व बातचीत सुनिश्चित करना होगा.
इसके साथ-साथ, यह टीम यूएन मिशन के तहत अन्य सुरक्षा दायित्वों का भी निर्वहन करेगी.
समाचार माध्यमों के अनुसार, आबिये में हाल के दिनों में हिंसक घटनाओं में तेज़ी आई है, जिससे हिंसक टकराव प्रभावित क्षेत्र में महिलाओं और बच्चों के लिये मानव कल्याण चिन्ता गहरी हुई है.
इस पृष्ठभूमि में, महिला शान्तिरक्षकों की इस प्लाटून की तैनाती को अहम माना गया है.
विश्व के अनेक क्षेत्रों में शान्तिरक्षा मिशन, संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा सम्बन्धी कामकाज की आधारशिला हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अनेक अवसरों पर ध्यान दिलाया है कि संगठन के शान्तिरक्षा अभियानों में महिलाओं की पूर्ण, समान और अर्थपूर्ण भागीदारी को बढ़ावा देना, उनकी एक बड़ी प्राथमिकता है.
माना जाता है कि महिला शान्तिरक्षक, स्थानीय आबादियों, विशेष रूप से महिलाओं व बच्चों के साथ सहजता से संवाद स्थापित करने में सक्षम होती हैं, विशेष रूप से हिंसक टकराव वाले क्षेत्रों में यौन हिंसा पीड़ितो के साथ.
भारतीय महिलाओं की यूएन शान्तिरक्षा अभियानों में योगदान की समृद्ध परम्परा रही है, जिनमें यूएन की पहली पुलिस परामर्शदाता का दायित्व सम्भालने वाली डॉक्टर किरण बेदी का नाम प्रमुख है.
उनके अलावा, दक्षिण सूडान में शान्तिरक्षक की भूमिका निभाने वाली मेजर सुमन गवानी को 2020 में ‘जैंडर एडवोकेट ऑफ़ द ईयर’ और शक्ति देवी को 2015 में महिला शान्तिरक्षक सम्मान से पुरस्कृत किया गया था.