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इराक़: तुरंत समाधान की सख़्त ज़रूरत

इराक़ की राजधानी बग़दाद का एक दृश्य.
Photo: UNAMI/Sanaa Kareem
इराक़ की राजधानी बग़दाद का एक दृश्य.

इराक़: तुरंत समाधान की सख़्त ज़रूरत

शान्ति और सुरक्षा

इराक़ में संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि जैनीन हेनिस प्लासशर्ट ने देश में सरकार विरोध प्रदर्शनों, हताहतों की बढ़ती संख्या और ज़्यादा बड़े पैमाने पर प्रदर्शन होने की संभावनाओं के बीच राजनेताओं से आग्रह किया है कि वो इस गतिरोध को तोड़ें और टिकाऊ सुधार सुनिश्चित करें.

इराक़ में यूएन की विशेष प्रतिनिधि ने गुरूवार को क्षुब्ध अंदाज़ में कहा, “युवा लोगों की ज़िन्दगी का इस तरह ख़त्म होना और इस तरह रोज़ाना रक्तपात होना असहनीय है, एक अक्तूबर 2019 से लेकर अभी तक लगभग 467 प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है और 9000 से ज़्यादा घायल हुए हैं.”

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प्रतिनिधि ने चेतावनी देते हुए कहा कि बल प्रयोग से केवल क़ीमती ज़िन्दगियाँ गँवानी पड़ रही हैं, इससे संकट का कोई समाधान नहीं निकलेगा.

इराक़ में संयुक्त राष्ट्र के सहायता मिशन की अध्यक्ष जैनीन हैनिस प्लासशर्ट ने कहा कि सुरक्षा बलों और अज्ञात बंदूकधारियों द्वारा हाल के समय में प्रदर्शनकारियों पर जानलेवा बारूद व गोलियाँ इस्तेमाल किया जाना और “प्रदर्शनकारियों व मानवाधिकार रक्षकों को जानबूझकर व लगातार निशाना बनाया जाना बहुत चिंताजनक है.”

उन्होंने कहा, “ये बहुत ज़रूरी है कि इराक़ी सरकार व अधिकारी शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वालों के मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करें, साथ ही ये भी सुनिश्चित करें कि कोई भी बल प्रयोग अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो.”

“साथ ही जवाबदेही सुनिश्चित करना भी बहुत ज़रूरी है. ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से लोगों की हत्याएँ करने वालों और हमला करने वालों को न्याय कटघरे में अवश्य लाया जाए.”

विशेष प्रतिनिधि ने ज़ोर देकर कहा कि अनिर्णय की स्थिति दूर करके राजनैतिक कार्रवाई का रास्ता अपनाया जाना चाहिए ताकि जो वादे किए गए और सदइच्छाएँ दिखाई गईं, वो पूरे किए जा सकें.

इसके लिए दोनों तरफ़ – सरकार व सामाजिक स्तर पर लचीलापन दिखाए जाने की ज़रूरत है. “आगे बढ़ने का केवल एक यही रास्ता बचा है जिसके ज़रिए लोगों को निराशा और मायूसी से बाहर निकालकर उनमें नई उम्मीद जगाई जा सकती है.”

इराक़ के लिए यूएन की विशेष प्रतिनिधि ने कहा, “बहुत से लोगों ने अपनी आवाज़ सुनाने की जद्दोजहद में अपना सबकुछ गँवा दिया है. समाधान तुरंत निकाले जाने की ज़रूरत है. इराक़ में इस तरह का हिंसक दमन और राजनैतिक व आर्थिक गतिरोध जारी नहीं रह सकता.”

मानवाधिकारों का उल्लंघन

इराक़ में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन का मानवाधिकार कार्यालय प्रदर्शन स्थलों के आसपास मानवाधिकार स्थिति पर नज़दीकी नज़र रखता रहा है.

देश में बढ़ती बेरोज़गारी, वर्षों से चले आ रहे भ्रष्टाचार और नाकाम होती सार्वजनिक सेवाओं के ख़िलाफ़ अक्टूबर 2019 में शुरू हुए प्रदर्शनों के बाद यूएन मिशन ने मानवाधिकार उल्लंघन मामलों के बारे में 1 अक्टूबर से 9 दिसंबर तक तीन रिपोर्टें तैयार की हैं.

इन रिपोर्टें की सिफ़ारिशें इराक़ सरकार को भी सौंपी गई हैं.

यूएन मिशन ने दर्ज किया है कि 17 जनवरी से बग़दाद, बसरा, धी क़ान, दियाला, दिवानिया, करबला और वास्सित में सुरक्षा बलों द्वारा 19 प्रदर्शनकारी मौत का शिकार हुए हैं और 400 से ज़्यादा घायल हुए हैं.

शुरुआती जाँच में पाया गया है कि प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ जानलेवा बारूद व गोलियाँ इस्तेमाल करने के साथ-साथ आँसू गैस के कैनिस्तरों का इस्तेमाल इन प्रदर्शनकारियों की मौत का प्रमुख कारण था.

सुरक्षा बलों द्वारा प्रदर्शनकारियों को लाठियों से पीटे जाने के कारण भी बहुत से लोग घायल हुए हैं.

ज़्यादातर हिंसा उस दौरान हुई जब सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को रास्तों से हटाने और उन्हें तितर-बितर करने के लिए हिंसक बल प्रयोग किया.

इसके अलावा प्रदर्शनकारियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को चुनकर मारा जाना भी जारी है.

1 अक्टूबर 2019 के बाद से कम से कम 28 ऐसी घटनाएँ हुई हैं जिनमें ऐसे लोगों को निशाना बनाया गया है जो या तो प्रदर्शनकारियों से किसी तरह से सबंद्ध थे, ख़ुद प्रदर्शनों में हिस्सा ले रहे थे, प्रदर्शनों को कवर करने वाले पत्रकार थे या फिर जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता थे.

इन लोगों पर या तो सशस्त्र आदमियों ने हमला किया या उन पर संवर्धित विस्फोटकों से हमला किया गया. इन हमलों के परिणामस्वरूप 18 लोगों की मौत हो गई और 13 अन्य घायल हो गए. इनमें दिजलाह टेलीविज़न नैटवर्क के दो पत्रकारों को चुनकर मारा जाना भी शामिल है.

यूएन मिशन प्रदर्शनकारियों पर होने वाले शारीरिक हमलों पर भी नज़दीकी नज़र रखा रहा है, जिनमें चाकूओं से होने वाले हमले भी शामिल हैं.

साथ ही प्रदर्शनकारियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के ग़ायब होने व धमकियों व प्रताड़ित किए जाने की घटनाएं भी दर्ज की जा रही हैं.

औचित्यहीन हिंसा

विशेष प्रतिनिधि ने प्रदर्शनों पर होने वाली हिंसा के औचित्य के बारे में कहा कि इसके बजाय सारा ज़ोर इस बात पर होना चाहिए कि सुधार कैसे लागू किए जाएँ और देश की तमाम समस्याओं का हल निकालने के लिए किस तरह रचनात्मक बातचीत शुरू की जाए.

प्रतिनिधि का कहना था, “ये सबसे निर्णायक समय है कि देश और वहाँ के लोगों की भलाई के लिए काम करते हुए, साझेदारियाँ बनाकर आपसी विश्वास का माहौल बहाल किया जाए.”

“कठिन परिश्रम व सदइच्छा लोगों को अपील करेगी और जिसका लोग दयालुता के साथ स्वागत करेंगे. इससे देश की क्षमता मज़बूत होगी क्योंकि देश इस संकट से मज़बूती के साथ उबरना चाहता है.”