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इराक़: राजनैतिक गतिरोध ख़त्म करने के लिये संवाद का आग्रह

इराक़ में संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अधिकारी जीनिन हैनिस-प्लैश्शर्ट, देश की स्थिति पर, सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए.
UN Photo/Eskinder Debebe
इराक़ में संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अधिकारी जीनिन हैनिस-प्लैश्शर्ट, देश की स्थिति पर, सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए.

इराक़: राजनैतिक गतिरोध ख़त्म करने के लिये संवाद का आग्रह

शान्ति और सुरक्षा

इराक़ में संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अधिकारी जीनिन हैनिस-प्लैश्शर्ट ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद को बताया है कि देश में चुनाव होने के एक साल बाद भी एक कार्यकारी सरकार का गठन नहीं होना, समझ में नहीं आने वाली बात है. उन्होंने देश के राजनैतिक नेताओं से एक सामान्य भलाई की ख़ातिर, अपने तमाम मतभेद दरकिनार करने का आग्रह भी किया है.

इराक़ में संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि जीनिन हैनिस-प्लैश्शर्ट ने न्यूयॉर्क स्थित सुरक्षा परिषद को सम्बेधित करते हुए, आगाह भी किया कि जनता में मायूसी और निराशा का माहौल बहुत ऊँचे स्तर पर है और बहुत से नागरिक राजनैतिक हस्तियों में अपना भरोसा खो चुके हैं.

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राजनैतिक हस्तियों की लम्बी निष्क्रियता के कारण, प्रदर्शन और प्रतिक्रियात्मक प्रदर्शन भड़काए हैं, जिनके परिणामस्वरूप, गत अगस्त में, घातक झड़पें भी हुईं.

घातक परिणाम, जारी अनिश्चितता

जीनिन हैनिस-प्लैश्शर्ट ने राजदूतों को बताया कि ये त्रासद घटनाक्रम, इराक़ में राजनैतिक नेतृत्व द्वारा कोई समाधान पेश नहीं कर पाने में नाकामी के परिणाम हैं.

“अन्य शब्दों में कहा जाए तो तमाम राजनैतिक हस्तियाँ, राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखने में नाकाम रही हैं. उन्होंने देश को एक लम्बे दौर की गतिरोधक अवस्था में छोड़ रखा है, जिससे और भी ज़्यादा क्रोध पनप रहा है.”

जीनिन हैनिस-प्लैश्शर्ट ने कहा कि स्थिति बहुत विस्फोटक है. अलबत्ता, सितम्बर 2022 में संसद शुरू हो चुकी है, मगर अन्य हिंसक गतिविधियों के अलावा, प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के दरम्यान झड़पें भी हुई हैं.

उन्होंने बताया, “और अभी तक हमने इसका अन्त होते नहीं देखा है. गत रात्रि भी, बसरा में तीन दिनों तक रॉकेट हमलों के बाद, सघन लड़ाई देखी गई, जबकि अन्य दक्षिणी गवर्नरेट्स में भी इसी तरह की छुट-पुट घटनाएँ दर्ज की गईं.”

चुनाव फिर से कराए जाने की पुकारों के सन्दर्भ में उन्होंने कहा कि, इस बात की क्या गारण्टी है कि आगे होने वाले चुनाव भी इसी तरह से व्यर्थ नहीं जाएंगे.

2019 के प्रदर्शनों की याद

इराक़ में बड़े पैमाने पर भड़के, देशव्यापी भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों को शनिवार, 1 अक्टूबर को तीन वर्ष हो गए हैं जब हज़ारों लोग सड़कों पर उतर आए थे. उस दौरान कई सौ लोगों की मौत हुई थी और अनेक गम्भीर रूप से घायल हुए थे, बहुत से लोगों को अपहरम किया गया, बहुत से लोगों को डराया धमकाया भी गया.

उन प्रदर्शनों के परिणामस्वपूर तत्कालीन सरकार को इस्तीफ़ा देना पड़ा था, और अक्टूबर 2021 में मध्यावधि चुनाव कराए गए थे.

जीनिन हैनिस-प्लैश्शर्ट ने कहा, “दीगर शब्दों में, और मैंने अक्सर ऐसा कहा है: गत वर्ष के चुनाव अत्यन्त महत्वपूर्ण थे. और इस अहमियत को ध्यान में रखते हुए, एक वर्ष बाद भी एक कार्यकारी सरकार का नहीं होना, वाजिब नहीं ठहराया जा सकता.”

कोई जादुई छड़ी नहीं

जीनिन हैनिस-प्लैश्शर्ट इराक़ में संयुक्त राष्ट्र के विशेष सहायता मिशन (UNAMI) की अध्यक्षा भी हैं और वो देश में राष्ट्रीय संवाद की हिमायत करती आई हैं.

इस सम्बन्ध में उन्होंने ज़्यादा विवरण देने से बचते हुए कहा कि उन्होंने अनेक दलों के साथ सघन बातचीत की है, जिनमें सम्भावित रोडमैप्स पर द्विपक्षीय बैठकों के साथ, राजनय जारी रखना भी शामिल है.

उन्होंने सुरक्षा परिषद में कहा, “हमारा विश्वास करें, हमने कोशिश की है, लगातार... मगर हमारे पास कोई जादुई छड़ी नहीं है. अन्ततः ये सबकुछ एक राजनैतिक इच्छा पर टिका हुआ है.”

संवाद की अपील

उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद के समय में, सभी पक्षों ने सामरिक ग़लतियाँ और कोताहियाँ की हैं, और उन्होंने अपने मतभेदों को हल करने के बहुमूल्य अवसर गँवाए हैं.

“और आगे भी तनाव भड़कने और रक्तापात के जोखिम मौजूद हैं, ऐसे में केवल इस पर ध्यान टिकाए रखना, अब कोई विकल्प नहीं बचा है कि किसने, कब क्या किया.”

उन्होंने कहा कि इसलिये ऐसे हालात में इराक़ के तमाम नेताओं के लिये – संवाद में शामिल होने, इराक़ की मुख्य ज़रूरतों को परिभाषित करने और देश को अस्थिरता की स्थिति से बाहर निकालने के प्रयासों के लिये, अब सटीक समय है. अन्य शब्दों में कहें तो सभी नेताओं को अपनी ज़िम्मेदारी स्वीकार करनी होगी और सारा ध्यान इराक़ के लोगों की तरफ़ मोड़ना होगा.