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इराक़ व अन्य देशों में प्रदर्शनों पर बल प्रयोग पर गंभीर चिंता

इराक की राजधानी बग़दाद में एक सार्वजनिक स्थल का नज़ारा
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इराक की राजधानी बग़दाद में एक सार्वजनिक स्थल का नज़ारा

इराक़ व अन्य देशों में प्रदर्शनों पर बल प्रयोग पर गंभीर चिंता

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने इराक़ सरकार से आग्रह किया है कि नागरिकों को अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का इस्तेमाल करने की इजाज़त दी जाए. ये आग्रह उन घटनाओं के बाद किया गया है जब इस सप्ताह के आरंभ में कुछ सरकार विरोधी प्रदर्शनों पर सुरक्षा बलों ने गोलियाँ चलाई थीं.

ख़बरों में कहा गया है कि देश भर में उन प्रदर्शनों के दौरान 30 से भी ज़्यादा लोगों की मौत हो गई. हालाँकि मानवाधिकार कार्यालय ने कहा है कि हताहतों की संख्या की पुष्टि नहीं हो सकी है.

अनेक लोग घायल भी हुए हैं जिनमें सुरक्षा बलों के सदस्य भी बताए गए हैं. अनेक प्रदर्शनकारियों को बंदी भी बनाया गया है, हालाँकि बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया.

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मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की प्रवक्ता मार्टा हर्तादो ने शुक्रवार को जिनीवा में पत्रकारों को बताया, "हम इन ख़बरों पर बहुत चिंतित हैं कि सुरक्षा बलों ने कुछ इलाक़ों में जानलेवा बारूद व रबर गोलियों का इस्तेमाल किया है, व  प्रदर्शनकारियों को निशाना बनाकर आँसू गैस के गोले भी दागे गए हैं."

प्रवक्ता ने कहा, "हम इराक़ सरकार का आहवान करते हैं कि नागरिकों को शांतिपूर्ण तरीक़े से सभा करने और अभिव्यक्ति की आज़ादी के अपने अधिकार का मुक्त रूप से इस्तेमाल करने की इजाज़त दी जाए. बल प्रयोग बिल्कुल असाधारण हालात में ही किया जाए, और जन सभाओं का प्रबंधन आमतौर बल प्रयोग के बिना ही किया जाए."

इराक़ में भारी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए थे जिनमें ज़्यादा संख्या युवाओं की थी. वोलोग आर्थिक सुधारों, कामकाज के अवसरों और भरोसेमंद सार्वजनिक सेवाओं की माँग कर रहे थे - जिनमें बिजली पानी शामिल थे. साथ ही वो भ्रष्टाचार का ख़ात्म करने की भी माँग कर रहे थे. 

अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि इन प्रदर्शनों के मद्देनज़र बहुत से इलाक़ों में इंटरनेट सेवाएँ भी बंद कर दी गई हैं. 

मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता मार्टा हर्तादो का कहना था, "इंटरनेट सेवाओं पर अंधाधुंध पाबंदियाँ लगाने से अभिव्यक्ति की आज़ादी का उल्लंघन होता है. ऐसे हालात में सूचनाएँ पाने और भेजने के अधिकार की पूर्ति में बाधा आती है और तनाव बढ़ने का अंदेशा होता है."

इराक़ से पहले भी कई देशों में इस तरह के प्रदर्शन होते रहे हैं. हाँगकाँग में भी हाल के में महीनों में लोग ऐसी योजनाओं के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करते रहे हैं कि वहाँ के लोगों को अधिकारियों की मर्ज़ी पर चीन प्रत्यार्पित किया जा सकेगा. हेती में भी सरकार विरोधी प्रदर्शन होते रहे हैं जिनमें हाल के सप्ताहों में तेज़ी आई है.

इकवेडोर की सरकार ने राष्ट्रव्यापी प्रदर्शनों के बाद शुक्रवार को आपातकाल लगाने की घोषणा की है. ये प्रदर्शन ईंधन की क़ीमतों में बढ़ोत्तरी के विरोध में परिवहन कर्मचारिओं और छात्रों के नेतृत्व में हो रहे थे. 

प्रदर्शनकारियों का पुलिस के साथ टकराव हो गया और ख़बरों के अनुसार पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आँसू गैस भी छोड़ी.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश के प्रवक्ता ने कहा कि यूएन प्रमुख ने इन सार्वजनिक प्रदर्शनों पर नज़र रखे हुए हैं और हिंसा व जान-माल के नुक़सान पर उन्होंने गंभीर चिंता जताई है. 

महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी और शांतिपूर्ण तरीक़े से सभाएँ करने के अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए.

महासचिव के प्रवक्ता द्वारा जारी बयान में कहा गया है, "महासचिव ने सुरक्षा बलों का आहवान किया है कि वो बहुत संयम से काम लें और हिंसक गतिविधियों का सामना करने के लिए बल प्रयोग करते समय संबंधित अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों का सम्मान अवश्य करें."

महासचिव ने प्रदर्शनकारियों से भी आग्रह किया है कि वो शांतिपूर्ण तरीक़ों से प्रदर्शन करें और किसी भी तरह की हिंसक गतिविधि से बिल्कुल बचें.