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म्याँमार: रोहिंज्या व लोकतांत्रिक बदलावों के लिए उम्मीद बची है

म्यांमार में मानवाधिकारों की स्थिति पर विशेष यूएन दूत यैंगही ली.
UN Photo/Jean-Marc Ferré
म्यांमार में मानवाधिकारों की स्थिति पर विशेष यूएन दूत यैंगही ली.

म्याँमार: रोहिंज्या व लोकतांत्रिक बदलावों के लिए उम्मीद बची है

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र की एक स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ यैंगही ली ने कहा है कि म्याँमार को अलबत्ता संभवतः जनसंहार के अपराधों सहित अंतरराष्ट्रीय अपराधों के “गंभीर आरोपों” का समाधान निकालना है, फिर भी उन्होंने देश में लोकतांत्रिक परिवर्तन के लिए अभी उम्मीद नहीं छोड़ी है. इन आरोपों में संभावित जनसंहार के आरोप भी शामिल हैं.  

म्याँमार के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत यैंगही ली ने क्षेत्र के लिए अपनी आधिकारिक यात्रा पूरी करने के बाद बांग्लादेश की राजधानी ढाका में गुरूवार को  ये बात कही.

यैंगही ली ने कहा, “मैं अपनी उम्मीद खो चुकी हूँ, मैं भला ऐसे में किस तरह आशावान रह सकती हूँ जबकि म्याँमार में युद्धापराधों, मानवता के विरुद्ध अपराधों और संभवतः जनसंहार के भरोसा करने योग्य आरोप लगे हैं, फिर भी न्याय व जवाबदेही अभी कहीं भी नज़र नहीं आ रहे हैं.?”

म्याँमार से बचकर भागे रोहिंज्या शरणार्थी बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में भी अक्सर मौसम की मार जैसी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं.
IOM/Mohammed
म्याँमार से बचकर भागे रोहिंज्या शरणार्थी बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में भी अक्सर मौसम की मार जैसी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं.

“लेकिन मेरी इतनी उम्मीद ज़रूरी बची है कि लोकतांत्रिक परिवर्तन होगा जिसका वादा किया गया है. सरकार के लिए मौजूदा ढाँचा बदलने के लिए अब भी देरी नहीं हुई है. म्याँमार सरकार को अपनी ज़िम्मेदारियों, दायित्वों और कर्तव्यों के लिए जवाबदेह तो होना ही होगा.”

यैंगही ली हर छह महीने में म्याँमार का दौरा करती थीं लेकिन म्याँमार सरकार ने दिसंबर 2017 में देश में उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था.

यैंगही ली को म्याँमार में उनकी अंतिम यात्रा के लिए भी इजाज़त नहीं दी गई तो उन्होंने बांग्लादेश और थाईलैंड की यात्रा करके म्याँमार में ताज़ा स्थिति के बारे में जानकारी एकत्र की.

आईसीजे का अस्थाई आदेश और उनकी यात्रा

यैंगही ली को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने 2014 में म्याँमार के लिए विशेष दूत नियुक्त किया था. वो मार्च 2020 में अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपेंगी.

उनकी नियुक्ति संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की विशेष प्रक्रिया के अंतर्गत हुई है जिसमें किसी देश या विशेष क्षेत्र में किन्हीं विशेष मुद्दों या स्थिति पर स्वतंत्र रूप से तथ्य एकत्र करनाऔर स्थिति पर निगरानी रखना शामिल होता है.

स्पेशल रैपोर्टेयर (विशेष दूत) संयुक्त राष्ट्र के नियमित कर्मचारी नहीं होते हैं और वो ख़ुद की हैसियत में ही ये कामकाज करते हैं. उन्हें उनके कामकाज के लिए कोई वेतन नहीं दिया जाता है.

उनकी ये यात्रा ऐसे मौक़े पर समाप्त हुई जब अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में गांबिया द्वारा म्याँमार सरकार के ख़िलाफ़ रोहिंज्या मुद्दे पर दायर मुक़दमें में गुरूवार को ‘अस्थाई आदेश’ जारी किया गया.

इसमें म्याँमार सरकार को रोहिंज्या आबादी को जनसंहार का शिकार होने से बचाने के लिए ठोस क़दम उठाने का आदेश दिया गया है.

म्याँमार के उत्तरी रख़ाइन प्रान्त में मुख्यरूप से मुस्लिम बहुल रोहिंज्या आबादी पर 2017 में सैन्य कार्रवाई होने के बाद लगभग सात लाख लोग सुरक्षा के लिए बांग्लादेश पहुँच गए थे.

उन्हें बांग्लादेश के कॉक्सेज़ बाज़ार शरणार्थी शिविर में रखा गया है.

बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार में सात लाख से ज़्यादा राष्ट्र विहीन रोहिंज्या शरणार्थी रह रहे हैं.
© UNICEF/Bashir Sujan
बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार में सात लाख से ज़्यादा राष्ट्र विहीन रोहिंज्या शरणार्थी रह रहे हैं.

म्याँमार सरकार का कहना रहा है कि रोहिंज्या लोगों के ख़िलाफ़ सैन्य कार्रवाई अगस्त 2017 में पुलिस और सुरक्षा बलों पर पृथकतावादी अराकान रोहिंज्या साल्वेशन आर्मी द्वारा किए गए हमलों के जवाब में की गई थी.

वो वापिस लौटना चाहते हैं 

यैंगही ली ने अपने अंतिम यात्रा मिशन के दौरान बांग्लादेश के कॉक्सेज़ बाज़ार में अनेक शरणार्थियों से बातचीत की जिन्होंने अपनी तकलीफ़ों के बारे में खुलकर बताया.

यैंगही ली ने कहा, “मैंने यौन हिंसा के शिकार हुए पुरुषों से भी मुलाक़ात की. उन्होंने मुझे बताया कि रख़ाइन प्रान्त में म्याँमार सेना और सुरक्षा बलों ने उनके साथ बलात्कार व सामूहिक बलात्कार किया.”

“मैंने ऐसे रोहिंज्या ईसाइयों से भी मुलाक़ात की जिन्होंने मुझे बताया कि उनके धर्म के आधार पर म्याँमार सरकार ने उनका उत्पीड़न किया.”

यैंगही ली ने बताया, “जिन शरणार्थियों के साथ मेरी बातचीत हुई, उन सभी ने म्याँमार वापिस लौटने के लिए अपनी दृढ़ इच्छा जताई. अलबत्ता मुझे लगातार जारी हिंसा के बारे में भी जानकारी मिली, लोगों के आवागमन पर पाबंदियाँ जारी हैं, राष्ट्रीय पुष्टि कार्ड को सख़्ती से लागू किया जा रहा है और उत्तरी रख़ाइन प्रान्त में बारूदी सुरंगें फटने से लोगों की मौतें हो रही हैं. रोहिंज्या शरणार्थियों की वापसी के लिए परिस्थितियाँ अनुकूल नही हैं.”

उन्होंने कहा कि रख़ाइन प्रान्त में पृथकतावादी अराकान आर्मी और राष्ट्रीय सशस्त्र बलों के बीच गहराए संघर्ष का भीषण प्रभाव हो रहा है. ये स्थिति सरकारी प्रतिबंधों के कारण और भी ज़्यादा गंभीर हो गई है, इनमें इंटरनेट बन्द करना और कुछ बस्तियों में सहायता सामग्री पहुँचने पर प्रतिबंध भी शामिल हैं.

यैंगही ली ने कहा, “मैं दोनों पक्षों द्वारा गंभीर गतिविधियों में शामिल होने पर भी बहुत दुखी हूँ. इनमें लोगों का अपहरण व बड़े पैमाने पर गिरफ़्तारियाँ जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं, और ये गतिविधियाँ सिविल आबादी में डर पैदा कर रही हैं.”

स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव की आशा 

विशेष दूत यैंगही ली का कहना है कि म्याँमार सरकार ने अंतरराष्ट्रीय न्याय व जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए हाल के वर्षों में कुछ क़दम उठाए हैं लेकिन अभी बहुत कुछ करने की ज़रूरत है.

म्याँमार में वर्ष 2020 में चुनाव होने हैं, इस मौक़े पर उन्होंने म्याँमार सरकार से ये सुनिश्चित करने आहवान किया कि मतदान शांतिपूर्ण, भरोसेमंद, स्वतंत्र और निष्पक्ष हो, और ये भी कि सभी लोग इस प्रक्रिया में हिस्सा ले सकें.

विशेष दूत ने कहा, “कुछ लोगों ने चिंता व्यक्त की है कि रख़ाइन व शान प्रान्तों के कुछ हिस्सों में सुरक्षा कारणों से शायद मतदान नहीं कराया जाए.”

स्पेशल रैपोर्टेयर यैंगही ली का कहना था, “अगर ऐसा होता है तो अगली सरकार के बारे में अविश्वास और समुदायों की शिकायतें व अलगाव और ज़्यादा बढ़ेगा, जोकि पहले से ही मौजूद है. ये कारण लोकतांत्रिक व्यवस्था की तरफ़ बढ़त और शांति प्रक्रिया के प्रयासों में और ज़्यादा मुश्किलें पैदा करेंगे.”