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रोहिंज्या के ख़िलाफ़ अपराधों की जाँच के लिए आईसीसी की हरी झंडी

बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार में रोहिंज्या शरणार्थियों के लिए बनाए गए शिविर का एक दृश्य. म्याँमार से भागकर लाखों रोहिंज्या शरणार्थी यहाँ पनाह लिए हुए हैं.
UNICEF/UN0213967/Sokol
बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार में रोहिंज्या शरणार्थियों के लिए बनाए गए शिविर का एक दृश्य. म्याँमार से भागकर लाखों रोहिंज्या शरणार्थी यहाँ पनाह लिए हुए हैं.

रोहिंज्या के ख़िलाफ़ अपराधों की जाँच के लिए आईसीसी की हरी झंडी

मानवाधिकार

अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय आईसीसी ने रोहिंज्या समुदाय के लोगों के मामले में कथित तौर पर मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों की जाँच के लिए हरी झंडी दे दी है. इनमें मुख्य रूप से रोहिंज्या लोगों के विस्थापन का मामला है जिसकी वजह से 2016 से अब तक म्याँमार से लाखों रोहिंज्या लोग सुरक्षा की तलाश में पड़ोसी देश बांग्लादेश पहुँचे चुके हैं जो वहाँ शरणार्थी हैं. रोहिंज्या शरणार्थियों की संख्या छह से 10 लाख के बीच बताई जाती है.

अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के जजों ने जाँच की मंज़ूरी देते हुए कहा है कि ये विश्वास करने के समुचित आधार नज़र आते हैं कि रोहिंज्या आबादी के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर, पूर्व नियोजित और व्यवस्थित तरीक़े से हिंसक कार्रवाई की गई, जिसकी वजह से रोहिंज्या लोगों को म्याँमार से सीमा पार करके बांग्लादेश भागना पड़ा, ये कार्रवाई मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों की श्रेणी में रखी जा सकती है.

न्यायालय ने एक वक्तव्य जारी करके ये भी कहा है कि रोहिंज्या आबादी के ख़िलाफ़ नस्ल या धर्म के आधार पर भी अत्याचार होने के अपराध भी हुए हैं.

म्याँमार में अगस्त 2017 में कथित तौर पर सेना द्वारा की गई हिंसक कार्रवाई में बड़े पैमाने पर हत्याओं, बलात्कार और गाँवों को जला देने के बाद लगभग साढ़े सात लाख रोहिंज्या म्याँमार के राख़ीन प्रांत से भागकर बांग्लादेश पहुँच चुके हैं. ये रोहिंज्या शरणार्थी बांग्लादेश में भीड़ भरे शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर हैं.

रोहिंज्या मामले में आईसीसी का ये फ़ैसला इस सप्ताह दूसरा बड़ा घटनाक्रम है.

सोमवार, 11 नवंबर को गांबिया ने म्याँमार पर सामूहिक हत्याओं, बलात्कार, जनसंहारक गतिविधियों, गाँवों को जलाकर तबाह करने, मनमाने तरीक़े से लोगों को बंदी बनाने और प्रताड़ना में शामिल होने का आरोप लगाते हुए संयुक्त के हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में मुक़दमा दायर किया है.

आईसीजे को विश्व न्यायालय कहा जाता है जहाँ देशों के बीच विवादों या मुक़दमों का निबटारा होता है. जबकि आईसीसी विश्व का एक स्थाई आपराधिक ट्राईब्यूनल है जो ऐसे मामलों की जाँच व सुनवाई करता है जिनमें किन्हीं व्यक्तियों पर जनसंहार और मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों सहित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परिभाषित अपराधों में शामिल होने के आरोप लगाए जाते हैं.

मुक़दमे में कहा गया है कि म्याँमार में हुए ये कथित अपराध जैनोसाइड कन्वेंशन के तहत उसकी ज़िम्मेदारियों का उल्लंघन है.

जैनोसाइड कन्वेंशन के एक सदस्य के रूप में गांबिया ने “खामोश से बाहर निकलने” का फ़ैसला किया. इस्लामिक सहयोग संगठन के एक सदस्य होने के नाते भी एक छोटे से अफ्रीकी देश गांबिया ने रोहिंज्या समुदाय की मदद करने के लिए क़दम उठाया है जिसमें ज़्यादातर आबादी मुस्लिम है. गांबिया को इस क़दम में कुछ मुस्लिम देशों का समर्थन प्राप्त है.

जुलाई में आईसीसी की शीर्ष अभियोजक फ़तू बेनसूदा ने न्यायालय से म्याँमार और बांग्लादेश में अक्टूबर 2016 के बाद से ही हुए कथित अपराधों की जांच शुरू करने का अनुरोध किया था.

उनके कार्यालय ने उस समय तक की गई प्रारंभिक जाँच में पाया था कि ये विश्वास करने के पर्याप्त आधार हैं कि म्याँमार में लगभग सात लाख रोहिंज्या लोगों को हिंसा और प्रताड़ना जैसे गंभीर और अत्यधिक तकलीफ़ वाले कृत्यों के ज़रिए बांग्लादेश भागने पर मजबूर किया गया था.

आईसीसी की स्थापना रोम संधि के तहत हुई थी और मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों को इस संधि के चार प्रमुख अंतरराष्ट्रीय अपराधों की श्रेणी में रखा गया है.

आईसीसी की शीर्ष अभियोजक फ़तू बेनसूदा ने अपनी प्रारंभिक जाँच में ऐसे पर्याप्त क़ानूनी  परिस्थितियों का विवरण पेश किया था जो जाँच शुरू करने के लिए समुचित आधार प्रदान करती हैं.

म्याँमार रोम संधि का सदस्य देश नहीं है, मगर बांग्लादेश ने इस संधि को 2010 में मंज़ूरी दी थी.

आईसीसी ने जुलाई में कहा था कि इसका मतलब है कि इन कथित अपराधों की जाँच का दायरा म्याँमार तक नहीं बढ़ाया जा सकता और जाँच का दायरा बांग्लादेश की सीमा के भीतर ही रखा जाएगा.