इबोला संक्रमण के लगातार फैलने से सुरक्षा परिषद चिंतित

कॉंगो लोकतांत्रिक गणराज्य में इबोला बीमारी के नए मामले लगातार सामने आने पर शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने गहरी चिंता ज़ाहिर की है. सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों ने व्यापक रूप से बीमारी से निपटने के लिए समन्वित और तत्काल प्रयासों पर ज़ोर देते हुए कहा है कि अगर इस पर क़ाबू नहीं पाया गया तो पड़ोसी देशों में संक्रमण फैलने के गंभीर मानवीय नतीजे होंगे जिससे क्षेत्रीय स्थिरता पर भी प्रभाव पड़ेगा.
अगस्त 2019 महीने के लिए सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभाल रहे देश पोलैंड ने शुक्रवार को एक बयान जारी किया है जिसमें कॉंगो लोकतांत्रिक गणराज्य की सरकार के साथ सहयोग और समन्वयन से इबोला पर क़ाबू पाने की बात कही गई है.
सुरक्षा परिषद ने बेहद चुनौतीपूर्ण हालात में काम कर रही कॉंगो लोकतांत्रिण गणराज्य की सरकार, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी (WHO) और अन्य एजेंसियों, अफ़्रीकी संघ, मानवीय संगठनों, अंतरराष्ट्रीय दानदाताओं की प्रशंसा की है.
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार अगस्त 2018 से अब तक इबोला वायरस के 2,600 मामलों की पुष्टि हुई है और उसके संक्रमण से 1,800 से ज़्यादा मौतें इतुरी और उत्तर किवु प्रांतों में हुई हैं. हर तीन में से एक मरीज़ बच्चा है.
थ ही सरकार और नागरिक समाज के साथ मिलकर बीमारी की रोकथाम करने, नए मामलों का पता लगाने और फिर सही इलाज करने की ज़रूरत रेखांकित की गई है. संक्रमण के नए मामलों को रोकने के लिए टीकाकरण अभियान को महत्वपूर्ण बताया गया है.
सुरक्षा परिषद ने इबोला प्रभावित इलाक़ों में ख़राब सुरक्षा हालात पर गंभीर चिंता जताई है – विशेषकर मानवीय मदद मुहैया कराने वाले राहतकर्मियों और स्वास्थ्यक्रमियों पर हो रहे हमलों पर.
परिषद का कहना है का फ़िलहाल वहां क़ायम स्थिति से इबोला के विरुद्ध प्रयासों में अवरोध खड़ा हो रहा है जिससे बीमारी अन्य क्षेत्रों में फैल रही है. परिषद सदस्यों ने सभी हथियारबंद गुटों से तत्काल हिंसा रोकने का आग्रह किया है.
“सुरक्षा परिषद कड़े शब्दों में स्वास्थ्यकर्मियों पर जानबूझकर किए गए हमलों और उन्हें दी गई धमकियों की कड़े शब्दों में निंदा करती है.”
बयान में कहा गया है कि मानवीय सहायता और चिकित्सा सेवाएं मुहैया करा रहे स्वास्थ्यकर्मियों के लिए सुरक्षित और निर्बाध रूप से रास्ता सुनिश्चित होना चाहिए.
सुरक्षा परिषद ने ज़ोर देकर अंतरराष्ट्रीय समर्थन और संपर्क के महत्व पर ज़ोर देते हुए कहा है कि इबोला से निपटने की कार्रवाई में पूर्ण और सामयिक वित्तीय योगदान दिया जाना चाहिए – इसके अलावा तकनीकी मदद, वैज्ञानिक सहयोग और मानव संसाधन उपलब्ध कराए जाने चाहिए ताकि इस बीमारी पर सफलतापूर्वक हमेशा के लिए क़ाबू पाया जा सके.
कॉंगो लोकतांत्रिक गणराज्य की सरकार ने अगस्त 2019 में उत्तर किवु प्रांतमें इबोला संक्रमण के नए सिरे से फैलने की घोषणा की थी. दो सप्ताह पहले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों ने इसे अंतरराष्ट्रीय चिंता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति घोषित किया था.
इबोला वायरस के नए मामले रवांडा की सीमा से सटे गोमा शहर में भी सामने आए हैं. कई स्वास्थ्य केंद्रों पर स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले की रिपोर्टें भी सामने आई हैं.