वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

दक्षिण एशिया: महामारी के कारण जच्चा-बच्चा मौतों में तीव्र बढ़ोत्तरी

अफ़ग़ानिस्तान के हेरात प्रान्त में, आन्तरिक विस्थापितों के लिये बनाए गए एक शिविर में, सामुदायिक शिक्षा केन्द्र में कुछ बच्चे.
UNICEF/Omid Fazel
अफ़ग़ानिस्तान के हेरात प्रान्त में, आन्तरिक विस्थापितों के लिये बनाए गए एक शिविर में, सामुदायिक शिक्षा केन्द्र में कुछ बच्चे.

दक्षिण एशिया: महामारी के कारण जच्चा-बच्चा मौतों में तीव्र बढ़ोत्तरी

महिलाएँ

संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियों ने कहा है कि दक्षिण एशिया में, कोविड-19 के कारण, स्वास्थ्य सेवाओं में उत्पन्न हुए गम्भीर व्यवधान के परिणामस्वरूप, वर्ष 2020 के दौरान, जच्चा-बच्चा की अतिरिक्त दो लाख 39 हज़ार मौतें हुई हैं.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) ने द्वारा बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा है कि इस व्यवधान के परिणामस्वरूप, गम्भीर व तात्कालिक कुपोषण का इलाज पाने वालों, व बचपन में टीकाकरण किये जाने वाले बच्चों संख्या में भी काफ़ी कमी हुई है.

दक्षिण एशिया के लिये यूनीसेफ़ के क्षेत्रीय निदेशक ज्यॉर्ज लरयी-ऐडजेई के अनुसार इन महत्वपूर्ण व आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं में व्यवधान उत्पन्न होने के कारण, निर्धनतम व बहुत कमज़ोर हालात का सामना कर रहे परिवारों के स्वास्थ्य व पोषण पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है.  

उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “इन स्वास्थ्य सेवाओं को पूरी तरह बहाल किया जाना बेहद आवश्यक है ताकि उन बच्चों व माताओं को इनका लाभ मिल सके, जिन्हें इनकी बेहद ज़रूरत है."

"साथ ही, वो सब कुछ किया जाना सुनिश्चित करना होगा जिसके ज़रिये, लोग इन सेवाओं का इस्तेमाल करने में सुरक्षित महसूस करें.”

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस महामारी के कारण, दक्षिण एशिया क्षेत्र में भी बेरोज़गारी, निर्धनता और खाद्य असुरक्षा में बढ़ोत्तरी हुई है, जिसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में भी गिरावट आई है.

स्कूल वापसी की सम्भावना कम

इस रिपोर्ट में अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका के हालात का जायज़ा लिया गया है. पाया गया है कि महामारी और उससे निपटने के लिये लागू किये गए उपायों के कारण, इन देशों में लगभग 42 करोड़ बच्चे स्कूलों से बाहर रह गए.

रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी सम्भावना है कि लगभग 45 लाख लड़कियाँ, अब कभी भी स्कूली शिक्षा में वापिस नहीं लौट पाएंगी. इसके अलावा, ये लडकियाँ, यौन व प्रजनन स्वास्थ्य और सूचना प्रदान करने वाली सेवाओं तक पहुँच नहीं होने के कारण, जोखिम के दायरे में हैं.

एशिया-प्रशान्त के लिये, यूएन जनसंख्या कोष के क्षेत्रीय निदेशक ब्यॉर्न एण्डर्सन का कहना है, “दक्षिण एशिया में सांस्कृतिक व सामाजिक परिदृश्य को देखते हुए, इन सेवाओं में व्यवधान आने से, विषमताएँ और ज़्यादा गहरी हो रही हैं, और इसके परिणामस्वरूप, जच्चा-बच्चा की मृत्यु दर में और भी बढ़ोत्तरी होने की सम्भावना है.”

दक्षिण एशिया में, बच्चों और माताओं पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव की एक झलक
UNICEF-WHO-UNFPA report
दक्षिण एशिया में, बच्चों और माताओं पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव की एक झलक

उन्होंने चेतावनी के अन्दाज़ में कहा, “इस क्षेत्र में, अतिरिक्त 35 लाख अवांछित गर्भधारण के मामले होने की भी सम्भावना है.”

कोविड-19 के व्यापक प्रभावों के परिणामस्वरूप, बाल विवाह के जोखिम का बढ़ना और ख़राब पोषण व स्वास्थ्य के कारण, नाटेपन और विकास में बाधा के मामलों में बढ़ोत्तरी होने की भी सम्भावना है.

आवश्यक सेवाओं को प्राथमिकता

यूएन एजेंसियों ने गर्भवती महिलाओं, किशोरों और बच्चों की ख़ातिर, आवश्यक सेवाओं को प्राथमिकता दिये जाने का आहवान किया है. साथ ही वैक्सीन की आपूर्ति और बच्चों के लिये अन्य अनिवार्य दवाओं की आपूर्ति श्रृंखला मज़बूत किये जाने का भी आहवान किया गया है.

दक्षिण पूर्व एशिया के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की क्षेत्रीय निदेशक पूनम खेत्रपाल सिंह ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं को मुस्तैद रखना, क्षेत्र में कोविड-19 से निपटने की रणनीति के लिये बहुत अहम है, क्योंकि इन सेवाओं में व्यवधान उत्पन्न होने से, ऐसी बीमारियों के कारण मौतें बढ़ने का जोखिम बढ़ेगा जिनका इलाज सम्भव है.

रिपोर्ट में, सर्वजन के लिये बाधारहित व बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ सुनिश्चित किये जाने, बहुत कमज़ोर हालात में रहने वाली आबादियों की स्वास्थ्य ज़रूरतें पूरी करने में मदद करने, और कोविड-19 की रोकथाम के उपायों में तेज़ी लाने का भी आहवान किया गया है.

रिपोर्ट में, निर्धनतम परिवारों की मदद के लिये, नक़दी मुहैया कराने वाले कार्यक्रम चलाने का भी आग्रह किया गया है.