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इबोला बीमारी से प्रभावी ढंग से निपटने पर चर्चा

उत्तरी किवु प्रांत में ईबोला के एक संदिग्ध मरीज़ का परीक्षण.
UNICEF/Vincent Tremeau
उत्तरी किवु प्रांत में ईबोला के एक संदिग्ध मरीज़ का परीक्षण.

इबोला बीमारी से प्रभावी ढंग से निपटने पर चर्चा

स्वास्थ्य

कॉंगो लोकतांत्रिक गणराज्य में इबोला बीमारी के नए मामले सामने आने पर चिंताएं बढ़ रही हैं. अगस्त 2018 में नए सिरे से बीमारी फैलने के बाद से अब तक 1,650 लोगों की मौत हो चुकी है और हर दिन लगभग 12 नए मामलों का पता चल रहे हैं. जिनीवा में सोमवार को आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में सरकार के साथ मिलकर इस घातक बीमारी पर क़ाबू पाने के प्रयासों पर चर्चा हुई.

14 जुलाई को गोमा शहर में पहली बार इबोला का मामला सामने आने की पुष्टि हुई थी. गोमा क़रीब 10 लाख की आबादी का शहर है और वहां अब तक लगभग तीन हज़ार स्वास्थ्यकर्मियों को टीके लगाए जा चुके हैं.

कॉंगो लोकतांत्रिक गणराज्य में इबोला वायरस का फिर से फैलना अभी देश के उत्तरी किवू और इतुरी प्रांत तक ही सीमित रहा है लेकिन गोमा में इसका मामला सामने आने के बाद से चिंता बढ़ गई है. 

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जिनीवा में हुई बैठक की अध्यक्षता विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस और मानवीय मामलों के अवर महासचिव और आपात राहत समन्वयक मार्क लोकॉक ने की.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी प्रमुख डॉक्टर घेब्रेयेसस ने बताया कि वायरस पर क़ाबू पाने के लिए सरकार के साथ एकजुट होकर प्रयास किए जा रहे हैं.

“हमारे पास पहले से कहीं बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े औज़ार हैं और इनमें प्रभावी वैक्सीन भी शामिल है. लेकिन इस कार्रवाई के दौरान होने वाले हमलों और पेश होने वाले व्यवधानों को रोके जाने की ज़रूरत है.”

वर्ष 2019 में जनवरी महीने से इबोला को नियंत्रण में लाने में जुटे स्वास्थ्यकर्मियों पर अब तक 198 हमले हो चुके हैं जिनमें सात स्वास्थ्यकर्मियों की मौत हो चुकी है और मरीज़ों सहित 158 लोग घायल हुए हैं.

उन्होंने कहा कि सभी पक्षों से राजनैतिक समर्थन की आवश्यकता है. साथ ही मदद प्रदान कर रहे स्वास्थकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए. इसी तरीक़े से वायरस का फैलना रोका जा सकता है.

डॉक्टर टेड्रोस ने आपात समिति की बैठक जल्द से जल्द बुलाने की घोषणा की है ताकि वर्तमान हालात पर पैनी नज़र रखी जा सके और उससे निपटने के क़दमों पर विचार किया जा सके.

कॉंगो लोकतांत्रिक गणराज्य के इतुरी और उत्तरी किवु प्रांत ईबोला से बुरी तरह प्रभावित हैं और दोनों ही हिस्सों में ख़राब ढांचागत सुविधाएं, राजनैतिक अस्थिरता, सरकारी सुरक्षा बलों और हथियारबंद गुटों के बीच हिंसा और राष्ट्रीय प्रशासन और व बाहरी लोगों के लिए अविश्वास का माहौल है.

2019 के मई महीने में महासचिव एंतोनियो गुटेरेश और यूएन की विभिन्न एजेंसियाँ संयुक्त कार्रवाई के तहत इबोला से निपटने के प्रयासों में तेज़ी लाए थे. इन्हीं प्रयासों के तहत इबोला इमरजेंसी रिस्पॉंस कोऑर्डिनेटर की नियुक्ति की गई जो प्रभावित क्षेत्रों में रहकर सार्वजनिक स्वास्थ्य के मोर्चे पर जवाबी कार्रवाई के लिए उचित माहौल तैयार कर रहे हैं.

सोमवार को हुई इस बैठक में कॉंगो लोकतांत्रिक गणराज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर ओली इलुंगा, मानवीय कार्रवाई और एकजुटता मामलों के मंत्री बर्नार्ड बियान्डो सांगो और ब्रिटेन में अंतरराष्ट्रीय विकास के सचिव रोरी स्टुअर्ट भी शामिल हुए.

 इलुंगा ने बताया कि “इबोला का दसवीं बार फैलना एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है और यह एक ऐसे माहौल में हो रहा है जहां विकास से जुड़ी चुनौतियां हैं और स्वास्थ्य प्रणालियों में कमियां हैं.”

वहीं बियान्डो सांगो ने कहा कि “सरकार मानती है कि देश में इबोला को फैलने से रोकने का काम कितना मुश्किल रहा है. बेहद जटिल पर्यावरण में ही इस कार्रवाई को संचालित किया जा रहा है लेकिन इसके लिए हमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहयोग मिल रहा है – कॉंगो लोकतांत्रिक गणराज्य की जनता ऐसे मामलों को शून्य पर लाने के लिए संकल्पित है.”