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ग़ाज़ा संकट पर सुरक्षा परिषद में चर्चा, इस बीच आम लोगों की भीषण तकलीफ़ें निरन्तर जारी

ग़ाज़ा संकट पर चर्चा के लिए सुरक्षा परिषद की बैठक (17 जुलाई 2024).
UN Photo/Eskinder Debebe
ग़ाज़ा संकट पर चर्चा के लिए सुरक्षा परिषद की बैठक (17 जुलाई 2024).

ग़ाज़ा संकट पर सुरक्षा परिषद में चर्चा, इस बीच आम लोगों की भीषण तकलीफ़ें निरन्तर जारी

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने इसराइल द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र में प्रशासनिक व भूमि प्रबन्धन बदलावों और यहूदी बस्तियों के विस्तार के ज़रिए, व्यापक भौगोलिक बदलाव करने पर चिन्ता व्यक्त की है. इस बीच ग़ाज़ा में भीषण युद्ध के कारण लोगों की भारी तकलीफ़ें बिना रुके जारी हैं, जिनमें पूरी तरह बिखर चुकी क़ानून और व्यवस्था ने भी इज़ाफ़ा किया है, मानवीय सहायता व्यवस्था भी ढह जाने के निकट है.

सुरक्षा परिषद ने, ग़ाज़ा में अक्टूबर से जारी निरन्तर युद्ध पर मुक्त चर्चा करने के लिए बुधवार को एक बैठक आयोजित की है.

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश के चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ कॉरटेने रैट्टरे ने उनकी तरफ़ से सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए आगाह किया कि युद्ध से तबाह ग़ाज़ा पट्टी में अत्यन्त भीषण स्थिति उत्पन्न हो जाने से भी ऊपर, पूरे क्षेत्र में युद्ध भड़क जाने का ख़तरा हर दिन बढ़ रहा है.

सामूहिक दंड बन्द किया जाए

कॉरटेने रैट्टरे ने हमास सहित फ़लस्तीनी चरमपंथी गुटों द्वारा 7 अक्टूबर को इसराइल के दक्षिणी इलाक़े में किए गए क्रूर हमलों की कठोर निन्दा करते हुए ज़ोर दिया कि फ़लस्तीनी लोगों को सामूहिक दंड दिए जाने को, किसी भी आधार पर जायज़ नहीं ठहराया जा सकता.

उन्होंने ध्यान दिलाया कि हाल के सप्ताहों में इसराइली सेना के अभियान और युद्ध, पूरे ग़ाज़ा में बहुत गहरे हुए हैं, जबकि फ़लस्तीनी सशस्त्र गुटों ने भी इसराइली क़स्बों और नगरों को निशाना बनाकर, रॉकेट दागना जारी रखा है.

यूएन महासचिव एंतोनिटो गुटेरेश के स्टाफ़ प्रमुख कॉरटेने रैट्टरे ने कहा, “रफ़ाह बिल्कुल मिट्टी में मिल चुका है – और रफ़ाह सीमा चौकी अब भी बन्द है, जिसके कारण मानवीय सहायता अभियानों में और भी बाधाएँ उत्पन्न हुई हैं. लगभग 20 लाख लोग विस्थापित हैं – जोकि ग़ाज़ा की लगभग पूरी आबादी है – जबकि इनमें से बहुत से लोगों को तो कई बार विस्थापित होना पड़ा है.”

उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “ग़ाज़ा में कोई भी स्थान सुरक्षित नहीं है.”

इसराइल द्वारा क़ाबिज़ पश्चिमी तट

कॉरटेने रैट्टरे ने इसराइल द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र पश्चिमी तट की स्थिति पर भी गहरी चिन्ता व्यक्त की, जहाँ इसराइली सैबलों, यहूदी बाशिन्दों और फ़लस्तीनी चरमपंथियों ने उच्च स्तर की हिंसा को अंजाम दिया है.

7 अक्टूबर 2023 और 8 जुलाई 2024 के बीच, पूर्वी येरूशेलम सहित पश्चिमी तट में 553 फ़लस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें 131 बच्चे भी थे. इनमें से अधिकतर लोगों की मौत इसराइली बलों के अभियानों में हुई हैं.

इसी अवधि के दौरान, फ़लस्तीनियों के हाथों इसराइल और क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्रों में, 22 इसराइली मारे गए हैं, जिनमें 9 लोग इसराइली बलों के सदस्य थे.

कॉरटेने रैट्टरे ने कहा कि इसराइल के प्रशासनिक और क़ानूनी क़दमों से भी, क़ाबिज़ पश्चिमी तट के भौगोलिक आकार को तेज़ी से बदल रहे हैं.

उन्होंने कहा, “रणनैतिक रूप से अहम इलाक़ों में ज़मीन के बड़े टुकड़ों पर क़ब्ज़ा किए जाने और नियोजन, भूमि प्रबन्धन व प्रशासन में परिवर्तनों से, यहूदी बस्तियों के विस्तार को तेज़ी मिलने की सम्भावना है.”

उन्होंने सुरक्षा परिषद में मौजूद राजदूतों को सम्बोधित करते हुए कहा कि इन क़दमों को अगर रोका नहीं गया तो इनसे ऐसा नुक़सान होगा जिसे फिर बदला नहीं जा सकेगा... “हमें इन बदलावों का रुख़ मोड़ना होगा. यहूदी बस्तियों के विस्तार सम्बन्धी तमाम गतिविधियों को तत्काल रोका जाना होगा. फ़लस्तीनी इलाक़ों में इसराइल की यहूदी बस्तियाँ बसाया जाना, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का खुला उल्लंघन है और शान्ति के रास्ते में एक बाधा भी.”

युद्ध को तत्काल रोका जाना होगा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव के स्टाफ़ प्रमुख कॉरटेने रैट्टरे ने ग़ाज़ा में फ़लस्तीनी लोगों तक सहायता सामग्री पहुँचाने और हमास व अन्य फ़लस्तीनी सशस्त्र संगठनों की हिरासत में रखे गए बन्धकों को रिहा कराने में यूएन प्रयासों की तरफ़ ध्यान आकर्षित किया.

उन्होंने साथ ही एक मानवीय युद्धविराम लागू किए जाने और सभी बन्धकों की तत्काल व बिना शर्त रिहाई की ज़रूरत को भी दोहराया.