संकट-प्रभावित 22 करोड़ बच्चों को शिक्षा सम्बन्धी समर्थन की दरकार
संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में चौंका देने वाले आँकड़े दर्शाते हैं कि संकट-प्रभावित स्कूली उम्र के ऐसे बच्चों की संख्या बढ़ रही है जिन्हें शैक्षणिक समर्थन की आवश्यकता है. मंगलवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, ज़रूरतमन्द बच्चों की संख्या वर्ष 2016 में साढ़े सात करोड़ से बढ़कर अब 22 करोड़ 20 लाख हो गई है.
आपात हालात और लम्बे समय से चले आ रहे संकट प्रभावित इलाक़ों में शिक्षा के लिये यूएन वैश्विक कोष (Education Cannot Wait / ECW) के अनुसार, इन 22 करोड़ से अधिक लड़के-लड़कियों में सात करोड़ 82 लाख बच्चे स्कूल से बाहर हैं.
लगभग 12 करोड़ बच्चे स्कूल में उपस्थिति के बावजूद, गणित या पढ़ने में न्यूनतम कौशल हासिल नहीं कर पा रहे हैं.
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संकटों के असर से जूझ रहे हर 10 में से केवल एक बच्चा ही प्राथमिक या माध्यमिक स्तर पर वास्तविकता में निपुणता मानकों पर खरा उतर पा रहे हैं.
संकट प्रभावित इलाक़ों में हिंसक टकराव, विस्थापन और जलवायु व्यवधान, भविष्य के लिये उनके सपनों को छीन रहे हैं.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अपने सन्देश में कहा, “इन संकटों के मद्देनज़र, आपात हालात में शिक्षा के लिये यूएन कोष – Education Cannot Wait – 40 देशों में बच्चों के साथ खड़ा है.”
“हमें Education Cannot Wait के महत्वपूर्ण कार्य के लिये, सरकारों, व्यवसायों, संस्थानों और व्यक्तियों से समर्थन की आवश्यकता है.”
बढ़ती ज़रूरतें
विश्लेषण के अनुसार स्कूल से वंचित होने वाले 84 प्रतिशत बच्चे, और लम्बे समय से जारी संकटों से प्रभावित इलाक़ों में रह रहे हैं.
इनमें अफ़ग़ानिस्तान, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इथियोपिया, माली, नाइजीरिया, पाकिस्तान, सोमालिया, दक्षिण सूडान, सूडान और यमन समेत अन्य देश हैं.
यूएन कोष का कहना है कि ज़रूरतें कभी भी इतनी विशाल, इतनी तात्कालिक नहीं रही हैं.
शुरुआती विश्लेषण के अनुसार, कोविड-19 के कारण निर्धनतम परिवारों में शिक्षा का नुक़सान अधिक हुआ है, साथ ही वे समुदाय भी प्रभावित हुए हैं, जो पहले से ही शिक्षा में पिछड़ रहे थे. इन दोनों श्रेणियों में आम तौर पर संकट प्रभावित इलाक़ों में रहने वाले बच्चे आते हैं.
वैश्विक यूएन कोष ECW और उसके रणनैतिक साझीदारों का सामूहिक संकल्प, संकट प्रभावित बच्चों के बुनियादी अधिकारों की रक्षा करना है, जिनमें न्यायोचित, समावेशी, गुणवत्तापरक शिक्षा का अधिकार है.
महासचिव गुटेरेश ने इस वर्ष सितम्बर में, शिक्षा के मुद्दे पर आयोजित होन वाली शिखर वार्ता का उल्लेख करते हुए कहा कि, कोष के विचार और नवाचार उपाय बेहत अहम हैं.
इस क्रम में, उन्होंने सभी से शिक्षा को हर स्थान पर हर बच्चे की पहुँच में रखने का आग्रह किया है.
आकांक्षाओं की पूर्ति
वैश्विक शिक्षा संकट से निपटने के लिये, ECW और रणनैतिक साझीदारों ने जिनीवा में संसाधनों की लामबन्दी के इरादे से #222MillionDreams नामक एक मुहिम पेश की है. इसके ज़रिये 22 करोड़ 20 लाख बच्चों के सपनों को पूरा करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया है.
40 से अधिक संकट-प्रभावित देशों में 50 लाख से अधिक बच्चों को पहले से ही गुणवत्तापरक शिक्षा मुहैया कराई जा रही है.
इस अभियान के तहत, दानदाताओं, परोपकारी संस्थानों, और धनी व्यक्तियों से वैश्विक कोष में निवेश का स्तर बढ़ाने के लिये अधिक संसाधनों का आहवान किया है.
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने कहा, “हमें 22 करोड़ 20 लाख सपनों को जीवित रखने में सहायता दीजिये.”
कार्रवाई की पुकार
दुनिया हिंसक संघर्षों, कोविड-19 और जलवायु व्यवधान के विनाशकारी प्रभावों से जूझ रही है और 22 करोड़ से अधिक बच्चे इन भयावह अनुभवों से गुज़रने के लिये विवश हैं.
Education Cannot Wait की निदेशक यासमिन शरीफ़ ने मौजूदा चुनौती से निपटने के लिये वैश्विक कार्रवाई की पुकार लगाई है.
उन्होंने इस अभियान के महत्वपूर्ण बिन्दुओं को साझा करने के दौरान बताया कि इसके साथ ही अगले वर्ष जिनीवा में 16-17 फ़रवरी को एक उच्चस्तरीय वित्त पोषण सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा.
निदेशक शरीफ़ ने ज़ोर देकर कहा कि हमारा दायित्व शिक्षा के ज़रिये उनका सशक्तिकरण करना और उनके सपनों को साकार करने का है.